Donald Trump News / भारत और ब्रिक्स क्या ट्रंप के डॉलर से टक्कर ले रहा, कैसी है प्लानिंग?

संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) देशों पर 100% आयात शुल्क लगाने की धमकी दी है। उनका यह कदम ब्रिक्स देशों द्वारा अमेरिकी डॉलर के विकल्प तलाशने के प्रयासों के जवाब में है। ट्रंप का दावा है कि डॉलर पर निर्भरता कम करने के कदम अमेरिकी हितों के खिलाफ हैं।

Vikrant Shekhawat : Jan 22, 2025, 09:12 AM
Donald Trump News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) देशों को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि ये देश डॉलर की जगह किसी वैकल्पिक करेंसी को स्थापित करने का प्रयास करते हैं, तो उनके उत्पादों पर 100 फीसदी आयात शुल्क लगाया जाएगा। ट्रंप की यह सख्त चेतावनी वैश्विक व्यापार और वित्तीय समीकरणों में संभावित बदलावों की ओर इशारा करती है।

ट्रंप की चिंता का कारण

डॉलर का वैश्विक वर्चस्व अमेरिकी अर्थव्यवस्था को स्थिरता और ताकत प्रदान करता है। अगर ब्रिक्स देश नई करेंसी लाने में सफल होते हैं, तो इससे डॉलर की उपयोगिता और महत्त्व में कमी हो सकती है। ब्रिक्स देश पहले भी वैश्विक वित्तीय सिस्टम पर अमेरिकी प्रभुत्व को चुनौती देने की कोशिश कर चुके हैं। 2023 में जोहान्सबर्ग ब्रिक्स शिखर सम्मेलन और 2024 में कज़ान सम्मेलन में इस दिशा में चर्चा हुई थी।

क्या ब्रिक्स देश नई करेंसी की योजना बना रहे हैं?

ब्रिक्स देशों ने डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए कई प्रयास किए हैं। रूस और चीन ने हाल के वर्षों में आपसी व्यापार के लिए डॉलर की बजाय अपनी स्थानीय मुद्राओं का उपयोग किया है। इसके अलावा, ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा ने नई ब्रिक्स करेंसी का प्रस्ताव रखा था।

चीन और रूस ने डॉलर के विकल्प के रूप में युआन और रूबल के उपयोग को बढ़ावा दिया है। रूस में पश्चिमी प्रतिबंधों के बाद युआन सबसे अधिक प्रचलित विदेशी करेंसी बन गई है।

भारत की स्थिति

भारत ने डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए कुछ कदम उठाए हैं, लेकिन वह इसे टारगेट नहीं कर रहा। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2022 में भारतीय रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार को मंजूरी दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स देशों के बीच वित्तीय समेकन और स्थानीय मुद्राओं में व्यापार बढ़ाने का समर्थन किया।

हालांकि, भारत ने चीनी युआन के बढ़ते प्रभाव को लेकर सतर्कता दिखाई है। रूस से तेल आयात में युआन का उपयोग करने से भारत ने इनकार कर दिया था।

डॉलर के खिलाफ बढ़ते कदम और अमेरिका की प्रतिक्रिया

ट्रंप का 100 फीसदी आयात शुल्क लगाने का प्रस्ताव ब्रिक्स देशों की नई करेंसी योजना को रोकने का एक प्रयास है। अमेरिका की चिंताओं का केंद्र चीन का युआन है, जिसे वह डॉलर के लिए सबसे बड़ा खतरा मानता है।

जानकारों का मत

भारतीय विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को किसी भी नई व्यवस्था में इस बात का ध्यान रखना होगा कि इसका फायदा चीन को न मिले। भारत को अपने व्यापारिक हितों और वैश्विक साझेदारी के बीच संतुलन बनाना होगा।

भविष्य का मार्ग

ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग और अमेरिका के साथ बातचीत के बीच संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण होगा। ट्रंप की चेतावनी के बावजूद, ब्रिक्स देश डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए नए रास्ते तलाशने में जुटे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि वैश्विक वित्तीय प्रणाली में ये बदलाव कितने सफल होते हैं और अमेरिका इसके जवाब में क्या कदम उठाता है।

निष्कर्ष
डॉलर का वर्चस्व खत्म करने की कोशिशें वैश्विक शक्ति संतुलन को बदल सकती हैं। हालांकि, इस प्रक्रिया में न केवल ब्रिक्स देशों के आपसी समन्वय की आवश्यकता होगी, बल्कि अन्य वैश्विक खिलाड़ियों के समर्थन की भी जरूरत होगी। ट्रंप की चेतावनी और ब्रिक्स की कोशिशें आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय व्यापार और राजनीति को नई दिशा देंगी।