- भारत,
- 27-Aug-2025 06:00 PM IST
BRICS-QUAD Summit: हाल के वर्षों में वैश्विक भू-राजनीति में तेजी से बदलाव देखने को मिले हैं। भारत, जो एक ओर रूस और चीन के साथ अपनी दोस्ती को मजबूत कर रहा है और ब्रिक्स (BRICS) को गति देने पर काम कर रहा है, वहीं दूसरी ओर क्वाड (QUAD) जैसे संगठन के माध्यम से अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ रणनीतिक साझेदारी को भी बढ़ावा दे रहा है। लेकिन भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव और भारत की रूस-चीन के साथ बढ़ती नजदीकी के बीच सवाल उठता है कि क्वाड का भविष्य क्या होगा? विशेष रूप से तब, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान की यात्रा पर जा रहे हैं और इस साल के अंत में भारत में क्वाड शिखर सम्मेलन होने वाला है।
क्वाड का गठन और पुनर्जनन
क्वाड, यानी क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग, का गठन 2004 में हुआ था, लेकिन यह 2017 तक काफी हद तक निष्क्रिय रहा। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में इसे पुनर्जनन प्रदान किया, जिसे बाद में जो बाइडेन प्रशासन ने और मजबूती दी। 2021 में बाइडेन के नेतृत्व में क्वाड को नेताओं के स्तर तक उन्नत किया गया, जिससे यह इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक मंच बन गया। क्वाड का मुख्य उद्देश्य इंडो-पैसिफिक में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करना और क्षेत्रीय स्थिरता, सुरक्षा, और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है।
भारत की स्थिति
भारत ने क्वाड को हमेशा महत्व दिया है, भले ही अमेरिका के साथ उसके संबंधों में उतार-चढ़ाव आए हों। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने हाल ही में कहा कि भारत क्वाड को इंडो-पैसिफिक में एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में देखता है, जो न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देता है, बल्कि महत्वपूर्ण खनिजों, तकनीक और आपूर्ति श्रृंखला जैसे क्षेत्रों में सहयोग को भी मजबूत करता है। मिस्री ने यह भी बताया कि भारत और अमेरिका टैरिफ और व्यापार जैसे मुद्दों पर बातचीत कर रहे हैं, और भारत क्वाड देशों के साथ अपने सहयोग को और विस्तार देने के लिए प्रतिबद्ध है।
पीएम मोदी की जापान यात्रा
28 अगस्त 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान की आधिकारिक यात्रा पर जा रहे हैं, जहां वे 29 और 30 अगस्त को जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के साथ 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। यह यात्रा कई मायनों में महत्वपूर्ण है। यह मोदी की इशिबा के साथ पहली द्विपक्षीय शिखर बैठक होगी और लगभग सात वर्षों में उनकी पहली एकल जापान यात्रा होगी। इस यात्रा का फोकस भारत-जापान संबंधों को और गहरा करना, क्वाड के तहत सहयोग को बढ़ावा देना, और महत्वपूर्ण खनिजों जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में साझेदारी को मजबूत करना होगा।
अमेरिका के लिए क्वाड की अहमियत
अमेरिका के लिए क्वाड इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपने हितों को बढ़ावा देने का एक प्रभावी तंत्र है। लिसा कर्टिस, जो ट्रंप के पहले कार्यकाल में दक्षिण और मध्य एशिया के लिए वरिष्ठ निदेशक रह चुकी हैं, ने कहा कि क्वाड अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता विफल होती है, तो यह चीन के लिए एक रणनीतिक जीत होगी। क्वाड के माध्यम से अमेरिका न केवल क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखना चाहता है, बल्कि भारत जैसे महत्वपूर्ण साझेदारों के साथ तकनीकी और रक्षा सहयोग को भी बढ़ाना चाहता है।
भारत-अमेरिका संबंध: तनाव और बातचीत
भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ, व्यापार संतुलन और अन्य मुद्दों पर तनाव बना हुआ है, लेकिन दोनों देश अपने रणनीतिक संबंधों को बनाए रखने और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हाल ही में हुई 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता में दोनों देशों ने रक्षा, सुरक्षा, व्यापार, और प्रौद्योगिकी सहयोग को गहरा करने पर सहमति जताई। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत अमेरिका के लिए इंडो-पैसिफिक में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है, जबकि अमेरिका भारत के लिए उच्च तकनीक, निवेश, और रक्षा सहयोग का एक बड़ा स्रोत है।
ब्रिक्स और रूस-चीन के साथ भारत की दोस्ती
भारत की रूस और चीन के साथ बढ़ती नजदीकी ने क्वाड के भविष्य पर सवाल खड़े किए हैं। ब्रिक्स के तहत भारत, रूस, और चीन मिलकर वैश्विक आर्थिक और भू-राजनीतिक व्यवस्था में अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। रूस के साथ भारत के ऐतिहासिक संबंध और चीन के साथ आर्थिक सहयोग, खासकर महत्वपूर्ण खनिजों और आपूर्ति श्रृंखला के क्षेत्र में, भारत की विदेश नीति को और जटिल बनाते हैं। लेकिन भारत की "रणनीतिक स्वायत्तता" की नीति उसे विभिन्न वैश्विक शक्तियों के साथ संतुलन बनाए रखने में सक्षम बनाती है।
क्वाड का भविष्य
क्वाड का भविष्य भारत-अमेरिका संबंधों की दिशा, भारत-जापान सहयोग की गहराई, और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भू-राजनीतिक गतिशीलता पर निर्भर करता है। भारत के लिए क्वाड एक ऐसा मंच है, जो उसे क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर अपनी स्थिति को मजबूत करने में मदद करता है। दूसरी ओर, रूस और चीन के साथ भारत की दोस्ती उसे वैश्विक मंच पर एक संतुलित भूमिका निभाने का अवसर देती है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत अपनी "मल्टी-अलाइनमेंट" नीति के तहत क्वाड और ब्रिक्स दोनों को संतुलित करने में सक्षम है।
