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- 08-Jun-2025 09:00 PM IST
US News: अमेरिका की राजनीति में डोनाल्ड ट्रंप की धमाकेदार वापसी ने वैश्विक मंच पर हलचल मचा दी है। सुरक्षा और इमिग्रेशन के मुद्दे को केंद्र में रखते हुए ट्रंप प्रशासन ने एक बार फिर कड़ा फैसला लिया है। इस बार 12 देशों के नागरिकों पर अमेरिका में प्रवेश पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है, जबकि 7 अन्य देशों पर आंशिक पाबंदी लागू की गई है। यह नया ट्रैवल बैन सोमवार से प्रभावी हो गया है और दुनियाभर में इसे लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
कौन-कौन से देश हैं निशाने पर?
पूरी तरह बैन किए गए देशों की सूची में अफगानिस्तान, म्यांमार, चाड, कांगो, इक्वेटोरियल गिनी, इरीट्रिया, हैती, ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान और यमन जैसे देश शामिल हैं। ये वे राष्ट्र हैं जिन्हें ट्रंप प्रशासन ने ‘उच्च जोखिम’ वाला करार दिया है, जहां से संभावित आतंकवाद और इमिग्रेशन संबंधी समस्याओं की आशंका जताई गई है।
वहीं, बुरुंडी, क्यूबा, लाओस, सिएरा लियोन, टोगो, तुर्कमेनिस्तान और वेनेजुएला जैसे देशों पर आंशिक प्रतिबंध लगाए गए हैं। इन देशों के नागरिकों को कुछ विशेष मामलों में अमेरिका आने की अनुमति नहीं होगी, खासकर तब जब उनकी पहचान और पृष्ठभूमि को सत्यापित करना कठिन हो।
ट्रंप का तर्क: “सुरक्षा पहले”
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने बयान में कहा, “हम ऐसे देशों को अमेरिका में नहीं आने दे सकते, जो हमारे साथ वीजा सुरक्षा पर सहयोग नहीं करते या जिनके यात्री समय से अधिक अमेरिका में रुक जाते हैं। हमारी प्राथमिकता अमेरिका की सुरक्षा है।” उन्होंने हाल ही में कोलोराडो में हुए पेट्रोल बम हमले का उदाहरण भी दिया, हालांकि हमलावर का देश इस बैन सूची में नहीं था।
इतिहास दोहराता है खुद को
यह फैसला ट्रंप के पहले कार्यकाल की याद दिलाता है, जब उन्होंने मुस्लिम-बहुल सात देशों पर यात्रा प्रतिबंध लगाया था। इस बार भी सूची में कई मुस्लिम-बहुल देश शामिल हैं, जिससे एक बार फिर यह बहस शुरू हो गई है कि क्या यह फैसला धार्मिक आधार पर भेदभाव को दर्शाता है। ट्रंप की नीतियां हमेशा से ही “अमेरिका फर्स्ट” के एजेंडे पर केंद्रित रही हैं, और यह प्रतिबंध उसी नीति का विस्तार माना जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: नाखुशी और विरोध
कई देशों ने इस कदम की तीखी आलोचना की है। चाड ने जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिकी नागरिकों को वीजा देना बंद कर दिया है। चाड के राष्ट्रपति ने कहा, “हमारे पास ना विमान हैं, ना अरबों डॉलर, लेकिन हमारे पास आत्म-सम्मान है।” वहीं, अफगान शरणार्थियों में डर का माहौल है कि उन्हें अब तालिबान के साये में लौटना पड़ सकता है।
अमेरिका के भीतर भी विरोध
अमेरिका के भीतर भी यह निर्णय विवादों में घिर गया है। डेमोक्रेट सांसद रो खन्ना ने इस फैसले को “क्रूर और असंवैधानिक” बताते हुए कहा कि यह अमेरिका के मौलिक सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने कहा, “हर व्यक्ति को शरण मांगने का अधिकार है।” इसके उलट ट्रंप समर्थकों का मानना है कि यह कदम देश की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है और इससे अवैध प्रवास पर लगाम लगेगी।
आगे क्या?
ट्रंप के इस फैसले से स्पष्ट हो गया है कि उनके दूसरे कार्यकाल में अमेरिका की इमिग्रेशन नीति और ज्यादा सख्त और संकीर्ण होगी। इस यात्रा प्रतिबंध का असर न केवल अंतरराष्ट्रीय रिश्तों पर पड़ेगा, बल्कि अमेरिका के भीतर सामाजिक और राजनीतिक बहस को भी तेज करेगा। अब देखना दिलचस्प होगा कि यह नीति अदालतों की कसौटी पर कितनी टिकती है और ट्रंप इसे कितनी मजबूती से आगे बढ़ा पाते हैं।