राजस्थान में अरावली पर्वत श्रृंखला में खनन को मंजूरी मिलने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ सोमवार को व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए और यह फैसला, जो भूमि से 100 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाली भू-आकृति को ही अरावली पहाड़ी मानता है, ने विभिन्न सामाजिक संगठनों, कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पर्यावरण प्रेमियों को एकजुट कर दिया है। प्रदर्शनकारियों का मानना है कि इस मानक से अरावली की 90% से अधिक पहाड़ियां संरक्षण। के दायरे से बाहर हो जाएंगी, जिससे पर्यावरण और जीव-जंतुओं पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।
अरावली बचाओ अभियान की पृष्ठभूमि
20 नवंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के अनुसार, अब केवल वही भू-आकृति अरावली पहाड़ी मानी जाएगी जो जमीन से 100 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई पर स्थित हो और इस नई परिभाषा ने अरावली पर्वतमाला के संरक्षण को लेकर एक बड़ी बहस छेड़ दी है। प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि यह परिभाषा अरावली के एक बड़े हिस्से को खनन गतिविधियों के लिए खोल देगी, जिससे इस महत्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्र को अपूरणीय क्षति होगी। इस फैसले के बाद से ही अरावली को बचाने की आवाजें तेज हो गई हैं, और विभिन्न संगठन सड़कों पर उतर आए हैं।
उदयपुर में कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन और पुलिस से झड़प
उदयपुर में कई संगठनों ने कलेक्ट्रेट पर इकट्ठा होकर अरावली को बचाने के लिए एकजुटता दिखाई। कांग्रेस कार्यकर्ता, करणी सेना, फाइनेंस ग्रुप और कई समाजों के लोगों। ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को वापस लेने की मांग की। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो उग्र प्रदर्शन किए जाएंगे और इस दौरान, कलेक्ट्रेट पर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच धक्का-मुक्की भी हुई, जिसके बाद पुलिस ने कुछ कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार भी कर लिया। यह घटना प्रदर्शनकारियों के आक्रोश और प्रशासन के साथ उनके सीधे टकराव को दर्शाती है।
अलवर में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली का बयान
अलवर में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इस मुद्दे पर सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि अरावली राजस्थान के लिए फेफड़े के समान है और सरकार इसे खत्म करना चाहती है। जूली ने चुनौती देते हुए कहा कि वे अरावली को खत्म नहीं होने देंगे और यदि यह फैसला वापस नहीं लिया गया तो कांग्रेस एक उग्र आंदोलन करेगी। उनके बयान ने इस मुद्दे को राजनीतिक रंग दे दिया है, जिसमें विपक्ष सरकार की नीतियों पर सवाल उठा रहा है।
पर्यावरण प्रेमियों की चिंता और जीव-जंतुओं का भविष्य
सीकर में पर्यावरण प्रेमी पवन ढाका ने एक मार्मिक अपील की। उन्होंने कहा कि यदि इंसान को उसके घर से निकालकर तोड़ दिया जाए, तो वह कहीं और झोपड़ी बना लेगा, लेकिन जीव-जंतु क्या करेंगे? यह बयान अरावली के विनाश से वन्यजीवों पर पड़ने वाले गंभीर प्रभावों को उजागर करता है और अरावली पर्वतमाला विभिन्न प्रकार के जीव-जंतुओं का घर है, और इसके पारिस्थितिक संतुलन में किसी भी तरह की छेड़छाड़ से उनकी प्रजातियों पर खतरा आ सकता है।
जोधपुर में एनएसयूआई कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज
जोधपुर में एनएसयूआई (नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया) के कार्यकर्ताओं ने भी इस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान, कार्यकर्ता बेरिकेड्स पर चढ़ गए, जिसके बाद पुलिस को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा और इस घटना ने प्रदर्शन की तीव्रता और पुलिस-प्रदर्शनकारी टकराव को और बढ़ा दिया। लाठीचार्ज के बाद भीड़ को खदेड़ दिया गया, लेकिन यह घटना आंदोलन की गंभीरता को दर्शाती है।
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव का स्पष्टीकरण और भ्रम फैलाने से रोकने की अपील
अरावली के मुद्दे को लेकर केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने भ्रम फैलाने से रोकने की अपील की। उन्होंने स्पष्ट किया कि अरावली के कुल 1. 44 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में से मात्र 0. 19% हिस्से में ही खनन की पात्रता हो सकती है, जबकि बाकी पूरी अरावली संरक्षित और सुरक्षित है। उन्होंने 'एक पाती अलवर के नाम' पत्र के माध्यम से स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि अरावली पूर्ण रूप से सुरक्षित है। और सुप्रीम कोर्ट का निर्णय पर्यावरण संरक्षण, अवैध खनन पर रोक और विकास के संतुलन को ध्यान में रखते हुए दिया गया है।
मुख्यमंत्री भजनलाल का दृढ़ संकल्प
मुख्यमंत्री भजनलाल ने भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि आज लोग 'सेव अरावली' की डीपी लगा रहे हैं, लेकिन सिर्फ डीपी बदलने से काम नहीं चलता है और काम दृढ़ इच्छाशक्ति और काम करने से चलता है। उन्होंने राजस्थान के भाई-बहनों को बरगलाने से मना किया और विश्वास दिलाया कि सरकार किसी भी तरह से अरावली के साथ छेड़छाड़ नहीं होने देगी। मुख्यमंत्री का यह बयान सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
जल संसाधन मंत्री सुरेश रावत का बयान
जल संसाधन मंत्री सुरेश रावत ने भी कहा कि कुछ लोग। सोशल मीडिया के माध्यम से अरावली को लेकर गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव के आश्वासन का हवाला दिया कि अरावली पहले से ज्यादा सुरक्षित होगी। रावत ने कहा कि सरकार की जिम्मेदारी है कि उसे हर हाल में संरक्षित करें और इसमें कोई समझौता नहीं करेगी। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार की ओर से लाखों की संख्या में पौधे लगाए गए हैं, जो पर्यावरण संरक्षण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
सुप्रीम कोर्ट की परिभाषा और अरावली की सुरक्षा पर विस्तृत जानकारी
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अरावली को लेकर दी गई परिभाषा कोई नई नहीं है। यह वही परिभाषा है जो राजस्थान में साल 2002 में गहलोत सरकार के कार्यकाल में गठित समिति की रिपोर्ट के आधार पर पहले से लागू है और इसके तहत, स्थानीय भूमि स्तर से 100 मीटर से अधिक ऊंचाई वाली पहाड़ियां अरावली मानी जाती हैं और उन पर खनन प्रतिबंधित है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि 100 मीटर से अधिक ऊंचाई वाली पहाड़ी केवल शिखर तक सीमित नहीं होगी, बल्कि शिखर से लेकर आधार तक का पूरा क्षेत्र अरावली पर्वत में शामिल माना जाएगा। साथ ही, यदि ऐसी दो पहाड़ियां 500 मीटर की दूरी के भीतर स्थित हैं, तो उनके बीच की संपूर्ण भूमि भी अरावली रेंज के अंतर्गत आएगी। इस प्रकार, यह दावा कि नई परिभाषा से 90 प्रतिशत अरावली नष्ट हो जाएगी, पूरी तरह निराधार है। वास्तविकता यह है कि इस परिभाषा से 90 प्रतिशत से अधिक अरावली क्षेत्र सुरक्षित रहेगा।
कोटा में आंदोलन की चेतावनी और भविष्य की रणनीति
अरावली को बचाने के लिए हाड़ौती पर्यावरण संरक्षण समिति और चंबल बचाओ अभियान समिति ने कोटा में आंदोलन की चेतावनी दी है। चंबल बचाओ अभियान समिति के कुंदन चीता ने कहा कि अरावली पर्वतमाला चार राज्यों की जीवन रेखा है और कोर्ट के फैसले के बाद 100 मीटर के नीचे वाले हिस्से को काटा जाएगा। उन्होंने पर्यावरण को उजड़ता हुआ नहीं देखने की बात कही और घोषणा की कि कोटा की धरती पर कल से आंदोलन का आगाज होगा और यह दर्शाता है कि यह आंदोलन केवल राजस्थान के कुछ शहरों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका प्रभाव व्यापक हो सकता है।
कांग्रेस नेताओं का सरकार पर हमला
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने अरावली मामले में बीजेपी पर तीखा हमला करते हुए। कहा कि इनके डेथ वारंट पर साइन हैं और पूरी बीजेपी को भुगतना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि राजस्थान की जनता भोली है, चुनाव जिता सकती है, लेकिन इतनी ताकतवर भी है कि अरावली को बचा सकती है। जूली ने सरिस्का में किसानों की जमीन को सीटीएच में शामिल करने और खान वाली भूमि को सीटीएच से बाहर करने का भी आरोप लगाया, यह कहते हुए कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वे पूरे राजस्थान की अरावली माता को बेच देंगे और अजमेर में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा ने भी कहा कि अरावली हमारी सब कुछ है और इसे खोदकर खुद के घर भरना चाहते हैं। उन्होंने सरकार को तानाशाह बताते हुए आरोप लगाया कि अवैध खनन माफिया। के दबाव में सुप्रीम कोर्ट में अरावली के खिलाफ पैरवी की गई। उन्होंने बड़े पैमाने पर विरोध करने की बात कही।
सीकर सांसद अमराराम का विरोध
सीकर सांसद अमराराम ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, दिल्ली तक फैली अरावली पर्वतमाला को भूमाफियाओं के दबाव में तहस-नहस करने का काम किया जा रहा है, जिससे पूरे देश की जीवनलीला समाप्त होगी। उन्होंने चेतावनी दी कि अरावली को माफिया के हवाले करने की कोशिश को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह बयान इस मुद्दे की गंभीरता और इसके राष्ट्रीय महत्व को रेखांकित करता है।