Aravalli Hills / अरावली मामले में सुप्रीम कोर्ट का स्वत: संज्ञान, CJI की अध्यक्षता में सुनवाई सोमवार से

सुप्रीम कोर्ट ने अरावली हिल्स मामले का स्वत: संज्ञान लिया है। सोमवार से सीजेआई सूर्यकांत की अध्यक्षता में मामले की सुनवाई शुरू होगी। केंद्र सरकार ने खनन पर प्रतिबंध लगाए हैं और अरावली के संरक्षण के लिए व्यापक योजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं, जबकि कांग्रेस ने खनन की परिभाषा बदलने का आरोप लगाया है जिसे सरकार ने खारिज कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने अरावली हिल्स से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले का स्वत: संज्ञान लिया है, जिससे इस संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र के भविष्य को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है। यह कदम अरावली क्षेत्र में हाल ही में हुए विरोध प्रदर्शनों और खनन गतिविधियों को लेकर चल रहे विवादों के बीच आया है। देश की सर्वोच्च अदालत ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए, बिना किसी याचिका। के स्वयं ही इसे सुनवाई के लिए चुना है, जो इसके महत्व को दर्शाता है।

सीजेआई की अध्यक्षता में सुनवाई

इस मामले की सुनवाई सोमवार से शुरू होगी, जिसकी अध्यक्षता स्वयं भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत करेंगे और यह दर्शाता है कि सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे को कितनी गंभीरता से ले रहा है और यह सुनिश्चित करना चाहता है कि अरावली पर्वत श्रृंखला की सुरक्षा और संरक्षण के लिए उचित कदम उठाए जाएं। सीजेआई की सीधी निगरानी में होने वाली यह सुनवाई इस मामले में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है, जिससे अरावली के भविष्य पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकते हैं।

विवाद और आरोप-प्रत्यारोप

अरावली हिल्स को लेकर हाल के दिनों में कई इलाकों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन देखने को मिले हैं। इन प्रदर्शनों में स्थानीय समुदायों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने अरावली में कथित अवैध खनन और इसके पारिस्थितिक विनाश पर चिंता व्यक्त की है। इन विरोध प्रदर्शनों के बीच, कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कांग्रेस का दावा है कि बड़े पैमाने पर खनन की अनुमति देने के लिए अरावली की परिभाषा में बदलाव किया गया है, जिससे इस प्राचीन पर्वत श्रृंखला को खतरा पैदा हो गया है। हालांकि, केंद्र सरकार ने कांग्रेस के इन दावों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है और लगातार यह स्पष्ट कर रही है कि अरावली हिल्स को किसी भी प्रकार का खतरा नहीं है और सरकार इसके संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है।

केंद्र सरकार का रुख और प्रतिबंध

केंद्र सरकार ने अरावली के संरक्षण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। हाल ही में, केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों को अरावली क्षेत्र में किसी भी प्रकार के नए खनन पट्टे देने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के निर्देश जारी किए हैं। यह प्रतिबंध पूरे अरावली भूभाग पर समान रूप से लागू होता है, जिसका उद्देश्य इस महत्वपूर्ण पर्वत श्रृंखला की अखंडता को संरक्षित करना है। इन निर्देशों का मुख्य लक्ष्य गुजरात से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र तक फैली सतत भूवैज्ञानिक श्रृंखला के रूप में अरावली की रक्षा करना और सभी अनियमित खनन गतिविधियों को प्रभावी ढंग से रोकना है। यह कदम सरकार की अरावली को बचाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

अतिरिक्त क्षेत्रों की पहचान और व्यापक योजना

इसके अतिरिक्त, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (ICFRE) को पूरे अरावली क्षेत्र में अतिरिक्त क्षेत्रों/जोनों की पहचान करने का निर्देश दिया है। इन क्षेत्रों को पारिस्थितिक, भूवैज्ञानिक और भू-भाग स्तर के विचारों के आधार पर खनन के लिए प्रतिबंधित किए जाने की आवश्यकता है, जो केंद्र द्वारा पहले से ही खनन के लिए प्रतिबंधित क्षेत्रों के अलावा होंगे और यह पहल अरावली के उन हिस्सों को भी सुरक्षा प्रदान करेगी जो वर्तमान में सीधे तौर पर संरक्षित नहीं हैं, लेकिन पारिस्थितिक रूप से महत्वपूर्ण हैं। संपूर्ण अरावली क्षेत्र के लिए सतत खनन हेतु एक व्यापक, विज्ञान-आधारित प्रबंधन योजना तैयार। करने का कार्य भी भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद को सौंपा गया है। यह योजना संचयी पर्यावरणीय प्रभाव और पारिस्थितिक वहन क्षमता का आकलन करेगी, साथ ही पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील और संरक्षण की दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान करेगी। इसके अलावा, यह योजना बहाली और पुनर्वास के उपायों को भी निर्धारित करेगी ताकि खनन से प्रभावित क्षेत्रों को फिर से जीवंत किया जा सके और इस योजना को व्यापक हितधारक परामर्श के लिए सार्वजनिक किया जाएगा, जिससे सभी संबंधित पक्षों की राय और सुझाव शामिल किए जा सकें।

पर्यावरणीय सुरक्षा उपायों का कड़ाई से पालन

केंद्र सरकार ने यह निर्देश भी दिया है कि पहले से ही चालू खदानों के बारे में संबंधित राज्य सरकारें सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुरूप सभी पर्यावरणीय सुरक्षा उपायों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करें। पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ खनन पद्धतियों के पालन को सुनिश्चित करने के लिए चल रही खनन गतिविधियों को अतिरिक्त प्रतिबंधों के साथ सख्ती से विनियमित किया जाना चाहिए। केंद्र सरकार अरावली इकोसिस्टम के दीर्घकालिक संरक्षण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। सरकार का मानना है कि मरुस्थलीकरण को रोकने, जैव विविधता के संरक्षण, जलभंडारों के पुनर्भरण और क्षेत्र के लिए पर्यावरणीय सेवाओं में अरावली की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करना कि अरावली अपनी प्राकृतिक स्थिति में बनी रहे, न केवल स्थानीय पर्यावरण के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए आवश्यक है। केंद्र द्वारा यह प्रयास स्थानीय स्थलाकृति, पारिस्थितिकी और जैव विविधता को ध्यान में रखते हुए, संपूर्ण अरावली क्षेत्र में खनन से संरक्षित और प्रतिबंधित क्षेत्रों के दायरे को और अधिक बढ़ाएगा। यह एक समग्र दृष्टिकोण है जिसका उद्देश्य अरावली पर्वत श्रृंखला को भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखना है।