देश / BBC डॉक्यूमेंट्री पर JNU के बाद जामिया में बवाल, पुलिस ने छात्रों को लिया हिरासत में

Zoom News : Jan 25, 2023, 07:16 PM
BBC documentary on PM Modi: BBC की विवादित डॉक्यूमेंट्री पर बवाल बढ़ता ही जा रहा है. जेएनयू के बाद अब जामिया मिलिया इस्लामिया में भी इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर हालात बेकाबू हो गए. दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में आज शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विवादास्पद बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की योजना थी. जिसके बारे में जानकारी होने के बाद प्रशासन ने विश्वविद्यालय की क्लास को निलंबित कर दिया. मामले में पुलिस ने वामपंथी छात्र संघ के तीन सदस्यों को हिरासत में भी लिया है.

बता दें कि मंगलवार को जामिया के अधिकारियों ने आदेश जारी करते हुए कहा था कि वे कैंपस में किसी भी अनधिकृत सभा की अनुमति नहीं देंगे. जामिया अधिकारियों का यह आदेश स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा फेसबुक पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की घोषणा के बाद आया था. इसके विरोध में छात्रों के हंगामे को देखते हुए दंगा नियंत्रण वाहन और आंसू गैस कैनन के साथ पुलिस वैन कॉलेज के गेट तक पहुंच गई.

बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री में 2002 के दंगों के दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल को दर्शाया है. इस डॉक्यूमेंट्री पर सरकार ने प्रतिबंध लगाने और सोशल मीडिया कंपनियों से इसके लिंक हटाने के लिए कहा है. विपक्ष ने इस कदम को ज़बरदस्त सेंसरशिप बताया.

इससे पहले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में कल मंगलवार की शाम कुछ छात्रों ने इसी तरह की स्क्रीनिंग का आयोजन किया था. जिसके बाद इंटरनेट और बिजली का कनेक्शन काट दिया गया था. फोन स्क्रीन या अपने लैपटॉप पर डॉक्यूमेंट्री देखने के लिए सैकड़ों लोगों की भीड़ बाहर अंधेरे में आ गई थी. इतना ही नहीं छात्रों ने शाम को विरोध मार्च भी निकाला था. जेएनयू के अधिकारियों ने डॉक्यूमेंट्री दिखाए जाने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी थी. इंतजामिया ने कहा था कि इस कदम से परिसर में शांति और सद्भाव भंग हो सकता है.

पीएम मोदी की सरकार ने दो पार्ट वाली डॉक्यूमेंट्री सीरीज 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' को 'प्रोपेगेंडा पीस' करार दिया है. गुजरात दंगों की जांच में उन्हें किसी भी गलत काम से मुक्त कर दिया गया है. पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने हत्याओं से जुड़े एक मामले में उनकी रिहाई के खिलाफ अपील खारिज कर दी थी.

2002 में गुजरात में तीन दिन तक चली हिंसा में 1,000 से अधिक लोग मारे गए थे. गोधरा में तीर्थयात्रियों को ले जा रही एक ट्रेन के कोच को जला दिया गया था. इस आगजनी में 59 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी. जिसके बाद शुरू हुए दंगों को रोकने के लिए पुलिस द्वारा पर्याप्त कदम नहीं उठाने के गंभीर आरोप लगे थे.

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