हाथरस गैंगरेप मामले की पीड़िता को सरकारी अस्पताल में मेडिको लीगल (एमएलसी) नहीं दी गई थी। बागला सरकारी अस्पताल के सीएमसी डॉ. सिंह ने कहा कि पीड़ित को घटना के बाद पहले लाया गया था। उनकी हालत बहुत खराब थी, जिसकी वजह से हम उनका MLC नहीं कर सके। डॉ. सिंह ने कहा कि हमने पुलिस को बताया था कि हमारे पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। हमने उसे प्राथमिक उपचार दिया और फिर उसे एएमयू के जेएन मेडिकल अस्पताल में रेफर कर दिया। लड़की के मुंह से खून निकल रहा था। वह बोल भी नहीं पा रही थी। वह बेहोश थी।सीएमसी डॉ। सिंह ने कहा कि उसकी हालत को देखते हुए हम एमएलसी भी नहीं कर पाए और न ही गायनेकोलॉजिस्ट को बुला पाए, क्योंकि हालत गंभीर थी और हम इंतजार नहीं कर सकते थे। लड़की की मौत हो सकती थी। यानी जिस अस्पताल में लड़की को सबसे पहले भर्ती कराया गया था, वहां उसका एमएलसी नहीं हो पाया था।सिंह ने बताया कि उनकी स्थिति को देखते हुए, हम एमएलसी भी नहीं कर सकते हैं और न ही एक स्त्री रोग विशेषज्ञ को बुला सकते हैं, क्योंकि हालत बहुत ज्यादा गंभीर थी और हम इंतजार नहीं कर सकते थे। लड़की की जान को खतरा था । यानी जिस अस्पताल में लड़की को पहले भर्ती कराया गया था वह एमएलसी नहीं हो सकता था।सफदरजंग अस्पताल ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में गले पर चोट के निशान भी हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि सिर्फ एक बार नहीं बल्कि गले को दबाने की कोशिश की गई है। पीड़िता ने उसे छुड़ाने की कई बार कोशिश की, जिसकी वजह से गर्दन की हड्डी भी टूट गई।
विसरा रिपोर्ट का फिलहाल इंतजार किया जा रहा है, जिसके बाद इस बात की पुरी तरह से पुष्टि हो जाएगी कि आखिर मौत का कारण क्या था। गौरतलब है कि अलीगढ़ के अस्पताल में पीड़िता की हालत को देखते हुए उसे 28 तारीख को दिल्ली सफदरजंग अस्पताल लाया गया था। इलाज के दौरान 29 तारीख को सुबह 6.55 बजे पीड़ित की मौत हो गई।
विसरा रिपोर्ट का फिलहाल इंतजार किया जा रहा है, जिसके बाद इस बात की पुरी तरह से पुष्टि हो जाएगी कि आखिर मौत का कारण क्या था। गौरतलब है कि अलीगढ़ के अस्पताल में पीड़िता की हालत को देखते हुए उसे 28 तारीख को दिल्ली सफदरजंग अस्पताल लाया गया था। इलाज के दौरान 29 तारीख को सुबह 6.55 बजे पीड़ित की मौत हो गई।
