- भारत,
- 29-Aug-2025 10:00 PM IST
Bollywood Actress: अर्चना पूरन सिंह को आज हर कोई उनकी बुलंद हंसी, बेबाक अंदाज और टीवी शो द ग्रेट इंडियन कपिल शो में जज की कुर्सी पर बैठने वाली हस्ती के रूप में जानता है। लेकिन उनकी जिंदगी का एक ऐसा पहलू भी है, जो शायद ही लोग जानते हैं। हाल ही में अर्चना अपने बड़े बेटे आर्यमन के व्लॉग में नजर आईं, जहां उन्होंने पहली बार अपने बचपन, परिवार और अपने पिता के संजय गांधी से जुड़े गहरे कनेक्शन के बारे में खुलकर बात की। इस दौरान उन्होंने अपनी जिंदगी के उन अनछुए पन्नों को खोला, जो उनकी हंसी और हौसले की असल कहानी बयां करते हैं।
ह्यूमर का स्रोत: पिता की प्रेरणा
देहरादून में पली-बढ़ी अर्चना ने बताया कि उनके पिता चौधरी पूरन सिंह एक मशहूर क्रिमिनल लॉयर थे, जिन्हें उनके ईमान और उसूलों के लिए जाना जाता था। उनकी प्रतिष्ठा इतनी थी कि उन्होंने इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी के एक चर्चित केस की पैरवी भी की थी। अर्चना ने गर्व से कहा, "मेरे अंदर जो ह्यूमर है, वो मेरे पापा से आया है।" उनके पिता भले ही एक गंभीर पेशे से जुड़े थे, लेकिन उनका स्वभाव बेहद मासूम, ईमानदार और मजाकिया था। देहरादून में उन्हें 'कर्मयोगी' कहा जाता था, क्योंकि वे अपने काम के प्रति पूरी तरह समर्पित थे।
पिता की सीख: ईमानदारी सबसे बड़ी पूंजी
अर्चना ने अपने पिता से जुड़ा एक किस्सा साझा करते हुए बताया कि एक बार कोई शख्स उनके घर एक बोरी पैसे लेकर आया और कहा कि यह रिश्वत है, ताकि वे एक केस हार जाएं। उनके पिता ने बिना पल गंवाए उस व्यक्ति को पैसे सहित घर से बाहर कर दिया। अर्चना ने कहा, "उन्होंने मुझे सिखाया कि ईमानदारी सबसे बड़ी पूंजी है।" लेकिन उनके पिता नहीं चाहते थे कि उनके बच्चे वकालत के पेशे में जाएं। वे कहते थे, "अगर तुम वकील बनोगे, तो तुम्हें अपनी आत्मा बेचनी पड़ेगी।" एक वकील के तौर पर कई बार उन्हें ऐसे क्लाइंट्स को डिफेंड करना पड़ता था, जिन्हें वे दोषी जानते थे। यह नैतिक द्वंद्व उन्हें बहुत परेशान करता था, और यही वजह थी कि उन्होंने अपने बच्चों को इस पेशे से दूर रखा।
संजय गांधी और 'किस्सा कुर्सी का' का मामला
अर्चना ने अपने पिता के सबसे चर्चित केस के बारे में भी बताया। इमरजेंसी के बाद संजय गांधी पर फिल्म किस्सा कुर्सी का के प्रिंट जलवाने का आरोप लगा था, जिसके चलते उन्हें जेल जाना पड़ा। उनके पिता ने इस केस में संजय गांधी की पैरवी की थी। यह मामला उस समय काफी सुर्खियों में रहा था, और अर्चना के पिता की वकालत ने उनकी ख्याति को और बढ़ाया।
आर्थिक समृद्धि और सादगी का मेल
अपने बचपन को याद करते हुए अर्चना ने बताया कि उनका परिवार आर्थिक रूप से संपन्न था। उनके पास शानदार बंगला, गाड़ियां और स्वादिष्ट खाने का लुत्फ था। लेकिन इसके बावजूद, उनके पिता की सादगी और उसूलों ने उन्हें सबसे ज्यादा प्रभावित किया। यही सादगी और ईमानदारी अर्चना ने अपने जीवन में अपनाई। 20 साल की उम्र में जब उन्होंने अभिनय के सपने के साथ मुंबई का रुख किया, तब उनके पास न तो कोई फिल्मी बैकग्राउंड था और न ही कोई गॉडफादर। छोटे-छोटे विज्ञापनों से शुरूआत करने वाली अर्चना को उनके पहले विज्ञापन ने ही आत्मविश्वास दिया कि वे इस इंडस्ट्री में अपनी जगह बना सकती हैं।
मेहनत और हौसले की मिसाल
अर्चना पूरन सिंह की कहानी सिर्फ हंसी और मनोरंजन की नहीं, बल्कि मेहनत, हौसले और उसूलों की भी है। देहरादून के एक साधारण परिवार से निकलकर उन्होंने न केवल मनोरंजन जगत में अपनी पहचान बनाई, बल्कि अपने पिता की सीख को भी अपने जीवन का आधार बनाया। आज उनकी हंसी लाखों लोगों को खुशी देती है, लेकिन इसके पीछे छुपी उनकी जिंदगी की कहानी उतनी ही प्रेरणादायक है, जितनी उनकी ऑन-स्क्रीन मौजूदगी।
