- भारत,
- 19-Jun-2025 03:40 PM IST
PM Modi in G7 Summit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 जून को G7 समिट में हिस्सा लेने के लिए कनाडा पहुंचे थे। करीब 23 घंटे का यह दौरा भले ही छोटा था, लेकिन इसके राजनीतिक और कूटनीतिक प्रभाव बहुत बड़े नजर आ रहे हैं। 2015 के बाद यह उनका पहला कनाडा दौरा था, और इसने दोनों देशों के संबंधों को एक नई दिशा देने का काम किया है।
भारत-कनाडा रिश्तों में नई शुरुआत
कई वर्षों से भारत और कनाडा के संबंध खटास से भरे रहे हैं। इसका मुख्य कारण कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियों को नजरअंदाज किया जाना था, खासकर जस्टिन ट्रूडो की सरकार के दौर में। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के हालिया दौरे ने इन संबंधों में सकारात्मक मोड़ ला दिया है। मोदी और नए कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के बीच हुई बातचीत ने साफ संकेत दिया कि अब दोनों देश रिश्तों को फिर से मजबूत करने को लेकर गंभीर हैं।
खालिस्तानियों पर कनाडा की एजेंसियों की सख्ती
प्रधानमंत्री मोदी के दौरे के महज 24 घंटे के भीतर कनाडा की खुफिया एजेंसी CSIS ने पहली बार सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि खालिस्तानी तत्व कनाडा की धरती से भारत विरोधी हिंसक गतिविधियों को अंजाम देने की कोशिश कर रहे हैं। ये तत्व फंडिंग, हिंसा की योजना और भारत में अस्थिरता फैलाने के लिए कनाडा का उपयोग कर रहे हैं। यह वही बात है जिसे भारत लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाता रहा है, लेकिन ट्रूडो सरकार ने इसे नजरअंदाज किया था।
Project Pelican: खालिस्तानियों पर कार्रवाई
कनाडा में भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल खालिस्तानी नेटवर्क पर नकेल कसने के लिए ‘Project Pelican’ नाम का अभियान भी चलाया गया। इस ऑपरेशन के तहत कनाडा और अमेरिका के बीच ट्रकिंग नेटवर्क के जरिए ड्रग तस्करी और आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने वाले एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ हुआ। इस नेटवर्क के तार खालिस्तान समर्थकों, मैक्सिकन ड्रग कार्टेल और हथियार सप्लायर्स से जुड़े हुए थे। जांच में यह भी सामने आया कि इस काले धन का इस्तेमाल जनमत संग्रह, हथियारों की खरीद और भारत विरोधी प्रदर्शनों के लिए किया जा रहा था।
मार्क कार्नी: रिश्तों में स्थिरता लाने की कोशिश
जस्टिन ट्रूडो के जाने के बाद मार्क कार्नी के नेतृत्व में कनाडा की नीति में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है। मोदी और कार्नी की मुलाकात के दौरान उच्चायुक्तों की नियुक्ति, व्यापार वार्ता की बहाली और डिजिटल, खाद्य सुरक्षा, खनिज सहयोग जैसे विषयों पर सहमति बनी। यह दोनों देशों के बीच सहयोग को नए आयाम देने का संकेत है।
निज्जर मुद्दे पर संतुलित रुख
हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पर पूछे गए सवाल पर कार्नी ने बेहद संतुलित प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह मामला अदालत में है और इस पर सतर्क रहने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय दमन से निपटने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच सीधे सहयोग की अहमियत को रेखांकित किया। यह रुख जस्टिन ट्रूडो के आक्रामक आरोपों से बिलकुल उलट है।
