Centre likely to privatise Central Bank of India, / सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज़ बैंक का निजीकरण कर सकती है सरकार: रिपोर्ट

Zoom News : Jun 08, 2021, 07:04 AM
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने फरवरी में पेश आम बजट (Budget) में दो सरकारी बैंकों के निजीकरण (PSU Bank privatisation) की घोषणा की थी। इसके तहत सरकार सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (CBI) और इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB) में अपनी हिस्सेदारी बेच सकती है। सूत्रों के मुताबिक नीति आयोग (Niti Aayog) ने इसके लिए दो बैंकों ने नाम की सिफारिश की है। लेकिन, सरकार बैंक ऑफ इंडिया (BoI) में भी अपनी हिस्सेदारी बेच सकती है।

मौजूदा शेयर प्राइस के आधार पर सेंट्रल बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक की मार्केट वैल्यू 44,000 करोड़ रुपये है जिसमें आईओबी का मार्केट कैप 31,641 करोड़ रुपये का है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक नीति आयोग के प्रस्ताव पर अभी विनिवेश (DIPAM) और फाइनेंशियल सर्विसेज विभागों (Bankibg Division) में विचार किया जा रहा है। नीति आयोग ने विनिवेश संबंधी सचिवों की कोर समिति को उन सरकारी बैंकों के नाम सौंप दिए हैं, जिनका विनिवेश प्रक्रिया के तहत मौजूदा वित्तीय वर्ष में निजीकरण किया जाना है। नीति आयोग को निजीकरण के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों और एक बीमा कंपनी का नाम चुनने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट में निजीकरण से जुड़ी घोषणा की गई थी।

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नीति आयोग ने सौंपे नाम

आयोग ने सचिवों की विनिवेश संबंधी कोर समिति को (सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम बैंकों के) नाम सौंप दिए हैं। समिति के सदस्यों में कैबिनेट सचिव के अलावा आर्थिक मामलों के सचिव, राजस्व सचिव, व्यय सचिव, कॉरपोरेट मामलों के सचिव, कानूनी मामलों के सचिव, सार्वजनिक उपक्रम सचिव, निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) के सचिव और प्रशासनिक विभाग के सचिव शामिल हैं।

कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली सचिवों की कोर समिति (Core Group of Secretaries on Disinvestment) से मंजूरी मिलने के बाद ये नाम मंजूरी के लिए पहले वैकल्पिक तंत्र (AM) के पास और अंतिम मंजूरी के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल के समक्ष रखे जाएंगे। कैबिनेट की मंजूरी के बाद निजीकरण की प्रक्रिया में मदद करने के लिए नियामकीय पक्ष में बदलाव शुरू किया जाएगा।

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कितना समय लगेगा

सूत्रों का कहना है कि दीपम डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज के साथ इस प्रस्ताव पर विचार करेगा और सरकारी बैंकों के निजीकरण के लिए जरूरी विधायी बदलवों पर चर्चा करेगा। बैंकों के निजीकरण पर कितना समय लगेगा, यह नियामकीय बदलावों पर निर्भर करेगा। साथ ही इस मामले में आरबीआई के साथ भी व्यापक चर्चा करनी होगी।

मोदी सरकार ने हाल में आईडीबीआई बैंक में सरकारी हिस्सेदारी बेचने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। सरकार इस वित्त वर्ष में इस काम के पूरा होने की उम्मीद कर रही है। निजीकरण के लिए नीति आयोग की नजर उन 6 बैंकों पर है जो मर्जर में शामिल नहीं थे। इसमें बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक के अलावा बैंक ऑफ महाराष्ट्र, पंजाब एंड सिंध बैंक और यूको बैंक शामिल हैं।

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1.75 लाख करोड़ रुपये विनिवेश का लक्ष्य

सरकार ने बजट में दो सरकारी बैंकों और एक बीमा कंपनी सहित सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों एवं वित्तीय संस्थानों में अपनी हिस्सेदारी बेचकर 1.75 लाख करोड़ रुपये की राशि जुटाने करने का लक्ष्य रखा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल में कहा था, ‘जिन बैंकों का निजीकरण किया जाएगा उनके कम्रचारियों के हितों की पूरी तरह से सुरक्षा की जाएगी। उनके वेतन की बात हो अथवा पेंशन सभी का ध्यान रखा जाएगा।’ निजीकरण के पीछे के तर्क पर उन्होंने कहा कि देश में भारतीय स्टेट बैंक जैसे बड़े बैंकों की आवश्यकता है।

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