Semiconductor Chip / भारत की सेमीकंडक्टर चिप का दुनिया में बजेगा डंका, इतना बड़ा कारोबार

भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 2030 तक दोगुने से भी अधिक होकर 100-110 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। 2023 में यह 38 अरब डॉलर था। ताइवान वैश्विक उत्पादन में अग्रणी है, लेकिन महामारी के बाद भारत को एक विश्वसनीय भागीदार मानते हुए वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में उसका महत्व बढ़ा है।

Semiconductor Chip: उद्योग जगत ने अनुमान जताया है कि भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 2030 तक दोगुने से भी अधिक बढ़कर 100-110 अरब डॉलर के दायरे में पहुंच जाएगा। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, भारतीय सेमीकंडक्टर बाजार 2023 में 38 अरब डॉलर का था, जो 2024-25 में बढ़कर 45-50 अरब डॉलर तक पहुंच गया। इस तेजी से वृद्धि के पीछे सरकार के नीतिगत प्रयास, उद्योग की सक्रियता और वैश्विक आपूर्ति शृंखला में भारत की बढ़ती भूमिका को प्रमुख कारक माना जा रहा है।

वैश्विक आपूर्ति शृंखला में भारत की भूमिका

कोविड महामारी के दौरान सेमीकंडक्टर की आपूर्ति में कमी ने वैश्विक स्तर पर प्रौद्योगिकी क्षेत्रों, विशेष रूप से वाहन उद्योग, को गंभीर रूप से प्रभावित किया था। इसका मुख्य कारण चुनिंदा भौगोलिक क्षेत्रों, विशेषकर ताइवान, पर अत्यधिक निर्भरता थी। ताइवान वर्तमान में वैश्विक सेमीकंडक्टर उत्पादन का लगभग 60% हिस्सा नियंत्रित करता है, जिसमें 90% सबसे उन्नत चिप्स शामिल हैं। इस निर्भरता ने महामारी, प्राकृतिक आपदाओं और भू-राजनीतिक तनावों जैसे जोखिमों को उजागर किया।

इन चुनौतियों को देखते हुए, भारत सरकार और उद्योग वैश्विक आपूर्ति शृंखला में एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में भारत को स्थापित करने के लिए सक्रिय कदम उठा रहे हैं। बयान में कहा गया है कि भारत न केवल सेमीकंडक्टर विनिर्माण में, बल्कि उपकरण, सामग्री, सेवाओं और अनुसंधान व विकास (आरएंडडी) जैसे क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।

वैश्विक सेमीकंडक्टर बाजार में ताइवान का दबदबा

वर्तमान में ताइवान, दक्षिण कोरिया, जापान, चीन और अमेरिका जैसे देश सेमीकंडक्टर उद्योग पर हावी हैं। ताइवान अकेले ही दुनिया के सबसे उन्नत सेमीकंडक्टर चिप्स का 90% उत्पादन करता है। हालांकि, इस एकल निर्भरता ने वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं को जोखिमों के प्रति संवेदनशील बना दिया है। इस स्थिति को बदलने के लिए अमेरिका, यूरोपीय संघ, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों ने घरेलू चिप विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय रणनीतियाँ शुरू की हैं।

भारत का उभरता योगदान

भारत इस वैश्विक बदलाव में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है। वैश्विक सेमीकंडक्टर बाजार 2030 तक एक लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, जिसमें भारत का बाजार एक बड़ा हिस्सा होगा। भारत सरकार ने सेमीकंडक्टर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई नीतिगत पहल की हैं, जिनमें उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाएँ (PLI) और अनुसंधान व विकास को बढ़ावा देना शामिल है।

भविष्य की संभावनाएँ

भारत का सेमीकंडक्टर बाजार न केवल आकार में वृद्धि करेगा, बल्कि यह वैश्विक आपूर्ति शृंखला में विविधता और स्थिरता लाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि भारत उपकरण निर्माण, सामग्री आपूर्ति और आरएंडडी जैसे क्षेत्रों में अपनी विशेषज्ञता का उपयोग करके इस उद्योग में एक प्रमुख खिलाड़ी बन सकता है।

इसके अलावा, भारत की युवा और कुशल कार्यबल, तकनीकी नवाचारों के प्रति उत्साह और सरकार की रणनीतिक पहल इस क्षेत्र में भारत को एक विश्वसनीय और प्रतिस्पर्धी गंतव्य के रूप में स्थापित करने में सहायक होंगी।