- भारत,
- 30-May-2025 07:30 AM IST
US Visas: हाल ही में अमेरिका ने चीन के कुछ छात्रों के वीजा रद्द करने की घोषणा कर दी है, जिससे न केवल चीन, बल्कि वैश्विक शैक्षणिक जगत में एक नई हलचल पैदा हो गई है। यह फैसला खासतौर पर उन छात्रों को प्रभावित कर रहा है जो चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से किसी प्रकार के संबंध में हैं या फिर अमेरिका की नजर में "संवेदनशील" माने जाने वाले विषयों की पढ़ाई कर रहे हैं। इस कदम को अमेरिका-चीन के बीच जारी भू-राजनीतिक तनाव की एक नई कड़ी के रूप में देखा जा रहा है, जिसका सीधा असर हजारों छात्रों के शैक्षणिक और करियर विकल्पों पर पड़ रहा है।
चीन के छात्र—अमेरिका की शिक्षा प्रणाली का अहम हिस्सा
शैक्षणिक वर्ष 2023-24 में अमेरिका में 2,70,000 से अधिक चीनी छात्र अध्ययनरत हैं, जो कुल विदेशी छात्रों का लगभग एक चौथाई हिस्सा बनाते हैं। यह आंकड़ा बताता है कि चीनी छात्र न केवल अमेरिकी विश्वविद्यालयों के लिए एक बड़ा आर्थिक और बौद्धिक योगदान देते हैं, बल्कि वे अमेरिका की वैश्विक शैक्षणिक साख का भी हिस्सा हैं। ऐसे में अचानक वीजा रद्द किए जाने की खबर ने पूरे छात्र समुदाय में भय, चिंता और भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है।
जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के छात्र लिनकिन ने इस फैसले को "चीनी बहिष्कार अधिनियम" की आधुनिक पुनरावृत्ति बताया। उनका कहना है कि वर्षों की मेहनत और उम्मीदों के बाद अब उनके मन में पहली बार अमेरिका छोड़ने का विचार आया है।
चीन की प्रतिक्रिया—राजनयिक विरोध और आलोचना
इस कदम की चीन ने कड़ी आलोचना की है। विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने इसे "भेदभावपूर्ण और अनुचित" करार देते हुए कहा कि यह अमेरिका के तथाकथित खुलेपन की नीति को झूठा साबित करता है। चीन ने इस मुद्दे पर अमेरिका के समक्ष आधिकारिक विरोध भी दर्ज कराया है।
शिक्षा के मैदान में भू-राजनीति का प्रवेश
यह पहली बार नहीं है जब चीन के छात्रों को अमेरिका में वीजा संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ा हो। वर्ष 2019 में ही चीन के शिक्षा मंत्रालय ने छात्रों को चेतावनी दी थी कि उन्हें वीजा प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। शिकागो विश्वविद्यालय की छात्रा ज़ू रेंगे ने कहा कि वे अब अमेरिका में आगे पढ़ाई की योजना के बजाय नौकरी की तलाश पर ध्यान दे रही हैं, क्योंकि मौजूदा माहौल बेहद अनिश्चित है।
हांगकांग की पहल—नए अवसर की तलाश
इस बीच, हांगकांग ने अमेरिका की सख्त नीति से प्रभावित छात्रों को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश शुरू कर दी है। हांगकांग के चीफ एग्जीक्यूटिव जॉन ली ने सार्वजनिक रूप से कहा कि वे उन छात्रों का स्वागत करेंगे जो अमेरिकी नीतियों के चलते भेदभाव का सामना कर रहे हैं। यह न केवल हांगकांग को चीनी छात्रों के लिए एक वैकल्पिक शैक्षणिक केंद्र के रूप में प्रस्तुत करता है, बल्कि यह चीन की ओर से एक रणनीतिक जवाब भी हो सकता है।
ट्रंप युग की परछाईं—क्या यह सिलसिला रुकेगा?
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान विदेशी छात्रों, विशेषकर चीन से आने वाले छात्रों, पर कई पाबंदियां लगाई गई थीं। हार्वर्ड विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों तक में विदेशी छात्रों की संख्या को लेकर विवाद हुआ था, जिसे बाद में अदालतों ने रोका। लेकिन इन घटनाओं ने यह संकेत दिया कि शिक्षा जैसे "नरम शक्ति" के क्षेत्र में भी अब सियासी और कूटनीतिक टकराव की लहरें चल रही हैं।
अनिश्चित भविष्य की ओर बढ़ते कदम
अमेरिका में पढ़ाई का सपना लेकर आए हजारों चीनी छात्रों के लिए यह निर्णय एक झटका है। जहां शिक्षा को दुनिया भर में सहयोग, समावेश और संवाद का माध्यम माना जाता है, वहीं इन हालातों ने इसे सियासी हथियार में बदलने की शुरुआत कर दी है। यह केवल चीन या अमेरिका के लिए नहीं, बल्कि समूचे वैश्विक छात्र समुदाय और शिक्षा प्रणाली के लिए एक गंभीर चेतावनी है।