ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका में H-1B और H-4 वीजा आवेदकों के लिए एक महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव। लागू किया है, जिसके तहत आज से उनकी कड़ी जांच और सत्यापन प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस नई व्यवस्था में आवेदकों के सोशल मीडिया प्रोफाइल की गहन जांच भी शामिल है। यह कदम अमेरिकी विदेश विभाग के एक नए आदेश के तहत। उठाया गया है, जो 15 दिसंबर से प्रभावी हो गया है। इस बदलाव का सीधा असर उन हजारों आईटी पेशेवरों और उनके परिवारों पर पड़ेगा जो अमेरिका में काम करने या रहने की योजना बना रहे हैं।
नया आदेश और उसका दायरा
अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा जारी नए आदेश के अनुसार, अब सभी H-1B आवेदकों और उनके आश्रितों, जो H-4 वीजा के लिए आवेदन करते हैं, की ऑनलाइन उपस्थिति की समीक्षा की जाएगी और यह नियम पहले से ही अमेरिका में पढ़ाई के लिए जाने वाले छात्रों (F, M और J वीजा धारकों) और एक्सचेंज विजिटर्स पर लागू था। हालांकि, ट्रंप प्रशासन ने अब इसका दायरा काफी बढ़ा दिया है, जिसमें आईटी प्रोफेशनल्स और उनके परिवार के सदस्य भी शामिल हो गए हैं। यह विस्तार अमेरिकी वीजा प्रक्रियाओं में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता। है, जिसका उद्देश्य आवेदकों की पृष्ठभूमि की अधिक व्यापक जांच करना है।
सोशल मीडिया स्क्रीनिंग की अनिवार्यता
इस नए नियम का सबसे महत्वपूर्ण पहलू सोशल मीडिया स्क्रीनिंग को अनिवार्य बनाना है। अमेरिकी विदेश विभाग ने स्पष्ट किया है कि H-1B (वर्किंग वीजा) और H-4 (आश्रित वीजा) के लिए आवेदन करने वालों को अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल्स की प्राइवेसी सेटिंग्स को बदलना होगा। इसका सीधा अर्थ यह है कि यदि किसी आवेदक का सोशल मीडिया अकाउंट लॉक है या उसकी गोपनीयता सेटिंग्स बहुत सख्त हैं, तो उसे वीजा प्राप्त करने में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। अधिकारियों को आवेदकों की ऑनलाइन गतिविधियों की पूरी जानकारी चाहिए ताकि उनकी। जांच प्रक्रिया को आसानी से और प्रभावी ढंग से पूरा किया जा सके। यह कदम पारदर्शिता बढ़ाने और संभावित सुरक्षा जोखिमों की पहचान करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
नियम का बढ़ता दायरा और तत्काल प्रभाव
यह नियम, जो पहले केवल छात्रों पर लागू था, अब आईटी पेशेवरों और उनके परिवारों को भी अपने दायरे में ले आया है। ट्रंप प्रशासन का यह फरमान तत्काल प्रभाव से दिखना शुरू हो गया है। भारत में कई H-1B वीजा धारकों के साक्षात्कार इस नई गाइडलाइन की वजह से रीशेड्यूल कर दिए गए हैं। यह दर्शाता है कि अमेरिकी दूतावास और वाणिज्य दूतावास इन नए नियमों को गंभीरता से ले। रहे हैं और आवेदकों को अपनी ऑनलाइन उपस्थिति के बारे में अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता होगी। साक्षात्कार के रीशेड्यूल होने से आवेदकों को अतिरिक्त समय और असुविधा का सामना करना पड़ रहा है, जो इस नीतिगत बदलाव का एक सीधा परिणाम है।
ट्रंप प्रशासन की नीतिगत प्राथमिकताएं
यह कदम ट्रंप प्रशासन की व्यापक आव्रजन नीतियों का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य अमेरिका में प्रवेश करने वाले व्यक्तियों की कड़ी जांच करना है। प्रशासन का मानना है कि सोशल मीडिया प्रोफाइल की जांच से आवेदकों के चरित्र, इरादों और संभावित जोखिमों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है। यह नीतिगत बदलाव अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक सुरक्षा को मजबूत करने के प्रयासों के अनुरूप है और इस तरह की जांच से यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है कि केवल योग्य और विश्वसनीय व्यक्ति ही अमेरिकी वीजा प्राप्त करें।
आवेदकों के लिए निहितार्थ
H-1B और H-4 वीजा आवेदकों के लिए इस नए नियम के कई निहितार्थ हैं। उन्हें अब अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल को सार्वजनिक करने या कम से। कम वीजा अधिकारियों के लिए सुलभ बनाने के लिए तैयार रहना होगा। इसका मतलब यह भी है कि आवेदकों को अपनी ऑनलाइन गतिविधियों और पोस्ट की सामग्री के प्रति अधिक जागरूक रहना होगा, क्योंकि कोई भी आपत्तिजनक या संदिग्ध सामग्री उनके वीजा आवेदन को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है। यह बदलाव वीजा आवेदन प्रक्रिया में एक अतिरिक्त परत जोड़ता है, जिससे आवेदकों को अधिक सावधानी और तैयारी के साथ आगे बढ़ना होगा और यह नीतिगत परिवर्तन अमेरिका में प्रवेश करने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है, जहां डिजिटल पदचिह्न भी उनकी पात्रता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है।