पटना में केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य के अपने परिवार। से कथित तौर पर नाता तोड़ने और राजनीति छोड़ने के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। इस संवेदनशील मुद्दे पर चिराग पासवान ने सीधे टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन उन्होंने अपनी गहरी सहानुभूति व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वे ऐसी मुश्किल परिस्थितियों से गुजरने वाले परिवार की मानसिक स्थिति को भली-भांति समझ सकते हैं, क्योंकि वे स्वयं भी ऐसे अनुभवों से गुजर चुके हैं। यह बयान उनकी व्यक्तिगत अनुभवों की ओर इशारा करता है, जो उन्हें लालू परिवार के प्रति सहानुभूति रखने पर मजबूर करता है।
पवन वर्मा को चिराग पासवान की चुनौती
चिराग पासवान ने लालू यादव के परिवार के सदस्यों के प्रति अपने व्यक्तिगत संबंधों पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्पष्ट किया कि राजनीतिक मतभेद होने के बावजूद, उन्होंने हमेशा लालू यादव के परिवार को अपना माना है। चिराग ने कहा कि चाहे तेजस्वी यादव हों, तेज प्रताप यादव हों, रोहिणी आचार्य हों या मीसा भारती हों, उन्होंने इन सभी को अपने बहन-भाई की तरह माना है। उन्होंने लालू परिवार के लिए प्रार्थना की कि उनके बीच का यह पारिवारिक मामला जल्द से जल्द सुलझ जाए। चिराग ने इस बात पर जोर दिया कि यदि परिवार में एकता और मजबूती हो,। तो व्यक्ति बाहर की कठिन परिस्थितियों और चुनौतियों से प्रभावी ढंग से लड़ सकता है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि लालू परिवार निश्चित रूप से इस समय एक कठिन परिस्थिति से गुजर रहा होगा, और उन्होंने उनके लिए अपनी शुभकामनाएं व्यक्त कीं।
एक अन्य महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने जन सुराज के प्रवक्ता पवन वर्मा द्वारा बिहार में महिलाओं को 10,000 रुपये देने के लिए धनराशि के कथित गलत इस्तेमाल पर किए गए दावों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। चिराग पासवान ने पवन वर्मा से सवाल किया कि उन्हें इस तरह के डेटा और जानकारी कहां से मिलती है। उन्होंने वर्मा के दावों को 'खोखले' करार दिया और उन्हें चुनौती दी कि यदि उनके पास कोई ठोस तथ्य या सबूत हैं, तो उन्हें सार्वजनिक रूप से पेश करें और चिराग ने आश्वासन दिया कि यदि पवन वर्मा तथ्यात्मक जानकारी प्रस्तुत करते हैं, तो सरकार निश्चित रूप से उसका जवाब देगी और स्थिति स्पष्ट करेगी। यह चुनौती राजनीतिक गलियारों में पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग को दर्शाती है।
पवन वर्मा के दावे और आरोप
पवन वर्मा ने बिहार सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे, जिसमें उन्होंने 'रेवड़ी' संस्कृति की आलोचना की थी, जिसका प्रधानमंत्री स्वयं विरोध करते थे और वर्मा ने दावा किया कि वर्तमान में बिहार का ऋण लगभग 4,06,000 करोड़ रुपये है, और इसका हर दिन का ब्याज 63 करोड़ रुपये है। उन्होंने एक और चौंकाने वाला दावा किया कि उनके पास जानकारी है, जो हालांकि गलत भी। हो सकती है, कि 21,000 करोड़ रुपये विश्व बैंक से किसी अन्य परियोजनाओं के लिए आए थे। वर्मा के अनुसार, आदर्श आचार संहिता लागू होने से ठीक एक घंटे पहले, 14,000 करोड़ रुपये निकाले गए और 1 और 25 करोड़ महिलाओं को 10-10,000 रुपये आवंटित किए गए। उन्होंने इस कार्रवाई की नैतिकता पर सवाल उठाया, यह इंगित करते हुए कि चुनाव। से ठीक पहले इस तरह के बड़े पैमाने पर धन का वितरण कितना उचित है। इन आरोपों ने बिहार की वित्तीय प्रबंधन और चुनावी नैतिकता पर एक नई बहस छेड़ दी है। चिराग पासवान की चुनौती के बाद, अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पवन वर्मा अपने दावों के समर्थन में क्या सबूत पेश करते हैं और सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है।