बिहार की राजनीतिक गलियारों में इन दिनों उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) में चल रही आंतरिक उठापटक की खबरें तेजी से फैल रही हैं। इन चर्चाओं को बल तब मिला जब पार्टी के एक प्रमुख विधायक रामेश्वर महतो ने अपने ही दल के शीर्ष नेतृत्व पर गंभीर सवाल उठाए। महतो ने साफ तौर पर परिवारवाद के मुद्दे पर अपनी गहरी नाराजगी व्यक्त की है, जिससे पार्टी के भीतर दरार की अटकलें तेज हो गई हैं।
परिवारवाद के खिलाफ विधायक की आवाज
रामेश्वर महतो ने इंडिया टीवी के साथ एक विशेष बातचीत में उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोक मोर्चा में परिवारवाद के बढ़ते प्रभाव पर अपनी चिंता व्यक्त की। महतो ने जोर देकर कहा कि उनके नेता, उपेंद्र कुशवाहा, हमेशा सिद्धांतों की राजनीति के प्रबल समर्थक रहे हैं और इसी सिद्धांत का हवाला देते हुए, महतो ने स्पष्ट किया कि उन्होंने परिवारवाद के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी इस बात को केवल मीडिया के सामने ही नहीं, बल्कि पहले भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सार्वजनिक रूप से रखा था, और वे आज भी अपनी इस बात पर अडिग हैं। यह बयान पार्टी के भीतर एक महत्वपूर्ण वैचारिक मतभेद को उजागर करता है, जहां एक विधायक अपने नेता के घोषित सिद्धांतों और वर्तमान में हो रही घटनाओं के बीच विरोधाभास देख रहा है।
बेटे को मंत्री बनाए जाने पर नाराजगी
विधायक रामेश्वर महतो की नाराजगी का मुख्य कारण उपेंद्र कुशवाहा के बेटे को मंत्री पद दिया जाना है। महतो ने इस फैसले पर अपनी असहमति व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी नाराजगी का इजहार कर दिया है और अब यह फैसला नेता को करना है कि वे इस स्थिति से कैसे निपटते हैं और महतो ने यह भी दावा किया कि वे अकेले नहीं हैं जो इस मुद्दे पर असहज महसूस कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने पार्टी के अन्य दोनों विधायकों से भी इस। विषय पर बात की थी, और वे भी इस कदम से नाखुश हैं। हालांकि, महतो ने कहा कि अन्य विधायक अपनी नाराजगी को सार्वजनिक। रूप से कब और कैसे व्यक्त करेंगे, यह उनका अपना निर्णय होगा। यह बयान दर्शाता है कि पार्टी के भीतर यह असंतोष केवल एक व्यक्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि इसकी जड़ें गहरी हो सकती हैं।
पार्टी की संभावित कार्रवाई पर विधायक का रुख
जब महतो से यह पूछा गया कि अगर पार्टी उनके इस बयान पर कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई करती है तो उनका क्या रुख होगा, तो उन्होंने बेहद स्पष्ट शब्दों में अपनी बात रखी। महतो ने कहा कि वे राजनीति में किसी पद या लाभ के लिए नहीं, बल्कि समाज सेवा के उद्देश्य से आए हैं। उन्होंने दृढ़ता से कहा कि अगर उन्हें राजनीति में रहकर सेवा करने का अवसर नहीं मिलेगा, तो वे स्वयं इस क्षेत्र को छोड़ देंगे। यह बयान उनकी प्रतिबद्धता और सिद्धांतों के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है, साथ ही यह भी संकेत देता है कि वे अपने रुख पर समझौता करने को तैयार नहीं हैं, भले ही इसके राजनीतिक परिणाम कुछ भी हों।
लिट्टी पार्टी में अनुपस्थिति और अफवाहों का खंडन
हाल ही में उपेंद्र कुशवाहा द्वारा आयोजित 'लिट्टी पार्टी' में रामेश्वर। महतो की अनुपस्थिति ने भी कई अटकलों को जन्म दिया था। इस पर स्पष्टीकरण देते हुए, विधायक महतो ने बताया कि उन्हें उस शाम दिल्ली आना था, जिसके कारण वे पार्टी में शामिल नहीं हो सके। उन्होंने स्वीकार किया कि उन्हें निमंत्रण मिला था, लेकिन यात्रा की अनिवार्यता के कारण वे उपस्थित नहीं हो पाए। महतो ने यह भी कहा कि उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि यह इतना बड़ा कार्यक्रम होगा। उन्होंने सोचा था कि यह केवल परिवार के सदस्यों और करीबी सहयोगियों के साथ एक छोटा सा आयोजन होगा। इसके अतिरिक्त, महतो ने उन सभी अफवाहों का खंडन किया जिनमें कहा जा रहा था कि पार्टी टूटने वाली है और तीनों विधायक पार्टी छोड़ देंगे। उन्होंने इन सभी बातों को झूठ करार दिया और स्पष्ट किया कि उनका किसी अन्य राजनीतिक दल से कोई संपर्क नहीं है। यह बयान पार्टी के भीतर की अस्थिरता की खबरों को शांत करने का प्रयास करता। है, लेकिन परिवारवाद पर उनकी मूल नाराजगी अभी भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनी हुई है।