UP News / रामपुर और आजमगढ़ में सीएम योगी, आजम खान, अखिलेश यादव की परीक्षा, प्रतिष्ठा दांव पर

Zoom News : Jun 22, 2022, 07:50 AM
UP: विधानसभा चुनाव बाद रामपुर व आजमगढ़ पर होने जा रहे उपचुनाव का नतीजा जो भी रहे, लेकिन प्रत्याशी तय होने से लेकर प्रचार तक आए उतार चढ़ाव भी कम दिलचस्प नहीं रहे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए विधानसभा चुनाव में भारी जीत के सिलसिले को बरकरार रखने की चुनौती है तो अखिलेश व आजम खां के लिए अपनी सीट बचाने की।

इन दोनों चुनाव में ध्रुवीकरण की कोशिशें भी खूब हुईं। तो एमवाई समीकरण को साधने की कोशिश भी। अखिलेश यादव तो न आजमगढ़ गए और न ही रामपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रामपुर गए तो आजम खां पर तंज करते हुए कहा कि कोरोना काल में हमने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया। जो जेल में थे, उनको भी फ्री में इलाज मिला। वे उस समय कहते थे कि जेल ही जन्‍नत है। अब कहते हैं जेल नरक थी। यह लोग  इतनी जल्‍दी रंग बदलते हैं कि गिरगिट भी शरमा जाए। रस्सी जल गई, लेकिन ऐंठन नहीं जा रही है। योगी ने रामपुर के सिखों को लुभाने की कोशिश की। 

आयर्मगढ़ पर जोर 

इस चुनाव में मुख्यमंत्री  ने आजमगढ़ का नाम बदल कर आर्यमगढ़ करने का संकेत दिया। साथ ही कहा कि आजमगढ़ को आतंकगढ़ नहीं बनने देंगे। इसी बिसात पर सपा के महाराष्ट्र अबु आजमी ने नूपुर शर्मा का मामला उछाल कर माहौल गर्मानें की कोशिश की। यही नहीं उन्होंने भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल निरहुआ के नाच गाने को लेकर तंज भी किया। इस पर निरहुआ ने भी पलटवार करने में देर नहीं की। यह वहीं निरहुआ है जिन्होंने भाजपा की ओर से पिछली बार वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव के खिलाफ ताल ठोंकी थी। वैसे वह एक वक्त अखिलेश यादव के साथ रह चुके हैं। 


चुनाव मैदान में नहीं, लेकिन प्रतिष्ठा दांव पर

लोकसभा के इन दोनों उपचुनाव में दो विधायकों की प्रतिष्ठा दांव पर है। यह विधायक अखिलेश यादव व आजम खां हैं। यह उपचुनाव अखिलेश यादव व आजम खां द्वारा अपनी सांसदी छोड़ने के कारण हो रहा है। अब चुनाव में सपा की जीत इनकी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा से जुड़ी है। ऐसा इसलिए भी कि अखिलेश के गढ़ में सपा अगर हारी तो यह उसकी व्यक्तिगत क्षति होगी। पर यहां भाजपा अगर सपा से सीट छीन लेती है तो यह उसके लिए अतिरिक्त लाभ माना जाएगा। खामोशी से लड़ रहे बसपा के गुड्डू जमाली भी किसकी जीत का सबब बनेंगे या खुद को छुपा रुस्तम  साबित करेंगे यह भी जल्द साफ होगा। रामपुर में इसी तरह आजम खां की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। यहां आजम खां सपा को जिताने के लिए पुरजोर कोशिश कर चुके हैं। वह जेल में बिताए अपने लंबे वक्त की दस्तान बताते हुए कई बार भावुक हुए, उससे लगता है कि सहानुभूति का फैक्टर भी यहां काम करेगा। पर अप्रत्याशित नतीजों के तहत भाजपा जीतती है तो यह आजम खां के लिए भी व्यक्तिगत झटका होगा। 

 

 


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