Lok Sabha Election / कांग्रेस ने 2024 से पहले बिछाई शतरंज की बिसात, विरोधियों को देगी मात

Vikrant Shekhawat : Jun 27, 2023, 07:56 AM
Lok Sabha Election: पटना की बैठक के बाद कांग्रेस और राहुल गांधी की मिली स्वीकार्यता ने राजनीति को दिलचस्प बना दिया. कांग्रेस लोकसभा ही नहीं बल्कि राज्यों में प्रतिद्वंदी दलों को नेस्तनाबूद करने के लिए विपक्षी एकता का आह्वान करेगी. 25 जून को तेलंगाना की बीआरएस के खिलाफ कांग्रेस ने दिल्ली से एक बड़ा झटका दिया. पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी की मौजूदगी में बीआरएस के कई बड़े नेताओं ने कांग्रेस में शामिल होने की घोषणा कर दी.

लेकिन असल गेम की शुरुआत अब हो रही. कांग्रेस लोकसभा चुनाव तक मोमेंटम बनाए रखने के लिए विपक्षी एकता में शामिल दलों से व्यक्तिगत रिश्तों का त्याग कर एक साथ लड़ने के लिए कहेगी.

कांग्रेस को दक्षिण भारत से बढ़ी उम्मीदें

कर्नाटक की जीत के बाद कांग्रेस को दक्षिण भारत से उम्मीदें बढ़ गई हैं. जिस तरह राजस्थान की सियासी लड़ाई में कांग्रेस वापस लौटते हुए नजर आ रही है. वैसा ही मोमेंटम तेलंगाना में आलाकमान और पार्टी के रणनीतिकार महसूस कर रहे हैं. 2 जुलाई को तेलंगाना के खम्मम में कांग्रेस एक बड़ी रैली करने जा रही है, जहां से राहुल गांधी चुनावी प्रचार का आगाज करेंगे. इसी साल जनवरी में केसीआर ने खम्मम से ही एक बड़ी रैली की थी.

केसीआर के खिलाफ कांग्रेस का साथ

कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाने वाला ये जिला आंध्र प्रदेश की सीमा से सटा है. यहां से दिया गया राजनीतिक संदेश न सिर्फ तेलंगाना बल्कि आंध्र के तेलगु लोगों तक भी पहुंचता है. हाल ही में एक सीट पर हुए उपचुनाव पर टीआरएस ने लेफ्ट दलों के समर्थन से कांग्रेस को हरा दिया. लेकिन अब विपक्ष के गुलदस्ते में मौजूद लेफ्ट को केसीआर के खिलाफ कांग्रेस का साथ देना होगा.

बीआरएस के खिलाफ खिलाफ खड़े करने की तैयारी

मसलन तेलंगाना सीएम केसीआर के उद्धव, अखिलेश यादव, नीतीश कुमार, शरद पवार, ममता बनर्जी और डी राजा सभी से बेहतर ताल्लुकात हैं. लेकिन केसीआर ने राहुल गांधी की वजह से विपक्ष के गठबंधन से तौबा कर लिया. ऐसे में विपक्षी एकता का मैसेज देने के लिए कांग्रेस ने निजी संबंधों को छोड़ इन सभी नेताओं को बीआरएस के खिलाफ खिलाफ खड़े करने की तैयारी कर ली है.

केजरीवाल को आइसोलेट करने का फुलप्रूफ प्लान

वहीं अति महत्वकांक्षा के चलते राजस्थान, मध्य प्रदेश में सीट में हिस्सेदारी मांगने वाले केजरीवाल को भी आइसोलेट करने का फुलप्रूफ प्लान है. दरअसल कांग्रेस का मत है कि जैसे वो यूपी में अखिलेश यादव के साथ खड़े होकर बीजेपी के खिलाफ लड़ाई लड़ने को तैयार है, वैसा ही बाकी पार्टियों को भी करना होगा. जिस राज्य में कांग्रेस मुख्य विपक्षी हो वहां बाकी दलों को साथ देना होगा. ऐसे में राजस्थान हो या मध्य प्रदेश दोनो ही जगह विपक्षी एकता को कांग्रेस के समर्थन में खड़ा होना होगा.

विपक्षी एकता को लेकर कमिटमेंट

लेकिन बीजेपी के बी टीम होने का आरोप झेलने वाली आम आदमी पार्टी की अति महत्वकांक्षा शायद ही उसे कांग्रेस के साथ खड़े होने देगी. ऐसे में केजरीवाल अपनी बनी हुई छवि में न सिर्फ कैद होकर रह जायेंगे बल्कि विपक्षी एकता को लेकर उनका कमिटमेंट भी एक्सपोज हो जाएगा.

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