देश / कांग्रेस-टीएमसी का तनाव कहीं फिर ना बिगाड़ दे विपक्ष का खेल, 15 जून को 2024 का टेस्ट

Zoom News : Jun 13, 2022, 09:38 PM
Delhi: आम चुनाव से पहले विपक्ष एक बार फिर मोर्चाबंदी करने की कोशिश कर रहा है लेकिन इसकी कामयाबी के सामने कई चुनौतियां हैं। विपक्ष की अगर गोलबंदी होती है तो इसमें कांग्रेस और टीएमसी अहम होंगे। हालांकि इन दिनों कांग्रेस और टीएमसी के बीच जारी टकराव को देखकर लगता है कि कहीं एक बार फिर विपक्ष की नैया डूब न जाए। राष्ट्रपति चुनाव 2024 के आम चुनाव से पहले लिटमस टेस्ट साबित हो सकते हैं। ममता बनर्जी ने 15 जून को दिल्ली में विपक्षी दलों की बैठक बुलाई है। अब इसी बैठक से स्पष्ट हो जाएगा कि हवा किस ओर बह रही है। 

टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी 14 जून को दिल्ली पहुंचने वाली हैं। यहां होने वाली बैठक में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार पर आम सहमति बनाने का प्रयास होगा। अब सवाल यह है कि ममता बनर्जी ने बैठक बुलाई और कांग्रेस खुद को विपक्ष का अगुआ बनाए रखना चाहती है। ऐसे में कौन इस बैठक में शामिल होता है और कौन नहीं, यह देखने वाला होगा। 

कांग्रेस ने शुरू की अपनी प्रक्रिया

ममता बनर्जी ने 22 नेताओं को पत्र भेजकर मीटिंग में शामिल होने के लिए कहा है। उन्होंने पत्र में लिखा था कि विभाजनकारी ताकतों से लड़ने के लिए मजबूत और प्रभावी विपक्ष की जरूरत है। इस बैठक में पूरे विपक्ष को कवर करने का प्रयास किया गया है। बैठक में अरविंद केजरीवाल, केसीआर से लेकर लेफ्ट तक को बुलाया गया है। वहीं कांग्रेस के शीर्ष सूत्रों का कहना है कि बैक चैनल से उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया शुरू हो गई है और राय मशविरा किया जा रहा है।

शरद पवार पर सहमत दोनों दल?

अब तक की रिपोर्ट्स के मुताबिक टीएमसी और कांग्रेस दोनों ही एनसीपी चीफ शरद पवार को अपना प्रत्याशी बनाने पर राजी हैं। सोनियां गांधी ने कहा कि उन्होंने शरद पवार के साथ ममता बनर्जी से भी संपर्क किया है। इस मामले में आम सहमति बनाने का जिम्मा वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे तो दिया गया है। बता दें कि बंगाल चुनाव में जीत के बाद भी ममता बनर्जी सोनिया गांधी से मिलने पहुंची थीं। इसके बाद ही  कांग्रेस ही टीएमसी पर आरोप लगाने लगी कि वे सुश्मिता देव और मुकुल संगमा को लालच दे रहे हैं।

जानकारों का कहना है कि राष्ट्रपति चुनाव विपक्ष के लिए एक लिटमस टेस्ट होने वाला है जहां से 2024 का रुख साफ हो जाएगा। ममता बनर्जी के इस कदम से कई सवाल भी खड़े होते हैं। क्या  अरविंद केजरीवाल कांग्रेस के साथ खड़े होंगे? क्या केसीआर विपक्ष के प्रस्ताव पर सहमत होंगे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का क्या रुख रहेगा? क्या यह प्रयास विपक्ष को एकजुट कर पाएगा?


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