गुजरात / मंत्री के बेटे को कानून का पाठ पढ़ाने वाली कॉन्स्टेबल का दावा- मुझे आ रहे धमकी भरे कॉल

News18 : Jul 15, 2020, 07:59 AM
सूरत। लॉकडाउन (Lockdown) और कर्फ्यू के कथित उल्लंघन के मामले में गुजरात के मंत्री के बेटे के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने वाली सूरत पुलिस की महिला कांस्टेबल सुनीता यादव (Sunita Yadav) ने दावा किया कि उन्‍हें धमकी भरे कॉल आ रहे हैं। साथ ही ये भी कहा कि उन्‍हें 50 लाख रुपये की ऑफर दी जा रही है। सुनीता ने कहना है कि वह इस्‍तीफा सौंपने गई थी, लेकिन कमिश्‍नर से मुलाकात नहीं हो पाई थी। उन्‍होंने मीडिया से कहा, 'अभी तो पिक्‍चर बाकी है।'

महिला कांस्टेबल सुनीता यादव इस समय सोशल मीडिया में छाई हुई हैं। सोशल मीडिया पर उनकी जमकर तारीफ हो रही है। उनकी कार्रवाई के बाद मंत्री के बेटे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी और उसे गिरफ्तार किया गया था। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया था कि गुजरात के स्वास्थ्य राज्य मंत्री कुमार कनानी के बेटे को उसके दो दोस्तों के साथ सूरत में रविवार को रात का कर्फ्यू तोड़ने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। वरछा के विधायक के बेटे प्रकाश कनानी और उसके दो दोस्तों को यादव के साथ बहस का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। बाद में तीन को जमानत पर छोड़ दिया गया था।


सुनीता यादव की हर तरफ हो रही तारीफ

इसके बाद से यादव की सोशल मीडिया पर भाजपा के मंत्री के बेटे और उसके दो दोस्तों को रोकने के लिए तारीफ हो रही है। कुछ लोग यादव को 'लेडी सिंघम' बता रहे हैं और कह रहे हैं कि उन्हें गुजरात के पूरे पुलिस बल का नेतृत्व करना चाहिए। वहीं कुछ का कहना है कि उन्हें 2022 के विधानसभा चुनाव में टिकट दिया जाए और कुमार कनानी के खिलाफ उतारा जाए। ट्विटर पर 'मैं सुनीता यादव का समर्थन करता हूं' ट्रेंड कर रहा है। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाती मालीवाल ने उन्हें अपना समर्थन दिया और उस वीडियो को साझा किया जिसमें यादव फोन पर कुमार कनानी से बात करते हुए देखी जा सकती हैं।


मालीवाल ने कहा, 'एक ईमानदार अधिकारी को यह नहीं सिखाइए कि ड्यूटी कैसे की जाती है। पहले अपने बेटे को बताएं कि कैसे व्यवहार करना चाहिए। सुनीता यादव जैसे अधिकारियों को ऐसे जिद्दी लोगों पर नकेल कसने के लिए आगे आना चाहिए।' पूर्व आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा ने भी युवा कांस्टेबल की तारीफ की। उन्होंने कहा, 'मैंने अपनी सेवा के दौरान ऐसे एसपी (पुलिस अधीक्षक) देखे हैं जिनकी क्षमता कांस्टेबलों से बदतर थी जबकि मैंने ऐसे कांस्टेबलों को देखा है जो मौका मिलने पर एसपी से बेहतर होते।' 

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