Vikrant Shekhawat : Jun 13, 2021, 06:29 PM
नई दिल्ली: सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCBM) के सलाहकार डॉ. राकेश मिश्रा ने कहा कि यह देखने में आया है कि ज्यादातर देशों से 80-90% कोरोना के मामले डेल्टा वैरिएंट के हैं, लेकिन यह दो महीनों में वैरिएंट के नए संस्करणों में बदल रहा है। ब्रिटेन से आई कुछ खबरों में सामने आया है कि डेल्टा वैरिएंट कुछ पोषण प्राप्त कर रहा है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि यह अधिक हानिकारक होगा। सीरो सर्वे के बारे में डॉ. राकेश मिश्रा ने कहा कि यह हमें उन लोगों में एंटी बॉडीज के बारे में बताएगा, जिन्हें पहले से ही टीका लगाया जा चुका है। उन्होंने कहा कि देश में बड़े पैमाने पर सीरो सर्वे बहुत ही उपयोगी होगा।उन्होंने कहा कि यह हमें संक्रमण की दर का पता लगाने, कितने लोगों ने एंटी बॉडी विकसित की है यह बताने और कितने लोग हर्ड इम्युनीटी से दूर हैं यह बताने में मदद करता है। यह हमें यह भी बताता है कि देश के किस हिस्से में कम लोग संक्रमित हुए हैं।वहीं वुहान की लैब से कोरोना के फैलने खबरों पर उन्होंने कहा इस तरह की बहुत कम संभावना है कि कोरोना किसी लैब से आया हो। बल्कि इस बात की अधिक संभावना है कि यह चमगादड़ों से आया, लोगों में फैला और कुछ समय तक उनके बीच रहा और फिर इसने कोरोना का नाम दर्जा हासिल कर लिया। उन्होंने कहा कि यह भी हो सकता है कि यह चमगादड़ों से पहले जानवरों में फैला हो और फिर जानवरों से इंसानों में। डॉ. मिश्रा ने कहा कि चमगादड़ 96 प्रतिशत आनुवांशिक समानता के साथ कोरोना का सबसे करीबी है।