देश / संघ से जुड़े संगठन की मांग, चाइनीज कंपनियों को कांट्रैक्ट देना बंद करे सरकार, बढ़ा दे इंपोर्ट ड्यूटी

News18 : Jun 17, 2020, 10:25 AM
नई दिल्ली। बाइकाट चाइना (Boycott china) की मांग करने वाले सबसे पुराने संगठनों में से एक स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संयोजक अरुण ओझा ने सरकार से चीन के खिलाफ कड़े आर्थिक कदम उठाने की मांग की है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े इस संगठन ने कहा है कि चीन (China) से सैनिक मोर्चे पर निपटने की तैयारी तो हो ही उससे बड़ी कार्रवाई आर्थिक (Financial) चोट देने के लिए की जाए। भारत ही उसकी आर्थिक कमर तोड़ सकता है। क्योंकि अपना देश चाइना का सबसे बड़ा बाजार बन गया है। हम जनता को जागरूक कर रहे हैं और सरकार भी कुछ कदम उठाए।

ओझा ने कहा कि सरकार चाइनीज उत्पादों (Chinese Products) पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा दे। इससे वहां का सामान काफी महंगा हो जाएगा और लोग उन्हें खरीदना बंद कर देंगे। उन्होंने कहा कि चीनी कंपनियों को भारत में विकास कार्यों का कांट्रैक्ट देना बंद करना होगा। ग्लोबल टेंडर में चीन को ब्लैकलिस्ट किया जाए।

ओझा ने कहा-सरकार चीन से निपटने के लिए रक्षा उपाय करती रहे लेकिन जोर उसकी आर्थिक कमर तोड़ने पर दे। भारत में इस समय चाइनीज माल की खरीदारी कम हो गई है। इसलिए चीन बौखला रहा है। कोरोना काल में लोग चाइनीज सामान को लेकर और चेत गए हैं। इसलिए अब सरकार को ऐसा ठोस कदम उठाना चाहिए कि चीन का सामान आना बंद हो जाए।

ओझा ने कहा कि, हमें चीन पर निर्भरता कम करनी है। इसलिए जरूरी है कि भारत में उद्योग लगाने की नीतियां उदार की जाएं। छोटे उद्योगों को प्रोत्साहन दिया जाए, ताकि हम अपनी जरूरत की अधिक से अधिक चीजें बना सकें। इलेक्ट्रिकल, सोलर और मेडिसिन के रॉ मैटीरियल में हम चीन पर काफी निर्भर हैं। इन क्षेत्रों को अपने यहां बढ़ावा देने वाली नीतियां बनानी होंगी।

मंच ने कहा, जब नरसिम्हा राव की सरकार थी तब हमारी नीति यह थी कि चीन को आर्थिक रूप से डिस्टर्ब न किया जाए ताकि सामरिक समस्या न आए। मोदी सरकार ने वो पॉलिसी बदल दी है। इसलिए भी चीन बौखला गया है।

लद्दाख की गलवां घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीनी सैनिकों की झड़प में भारत (India-China Conflict) के कम से कम 20 सैनिक शहीद हो गए हैं। इसके बाद दोनों मुल्कों में तनातनी बढ़ गई है। भारत में बाइकाट चाइना की मांग और जोर पकड़ने लगी है।

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