धर्मेंद्र और हेमा मालिनी की प्रेम कहानी और शादी भारतीय फिल्म उद्योग के इतिहास में सबसे चर्चित और विवादास्पद अध्यायों में से एक रही है. उनकी शादी को लेकर कई तरह के फसाने और हकीकतें सामने आती रही हैं, जिनमें सबसे प्रमुख धर्म परिवर्तन का आरोप है. धर्मेंद्र ने खुद एक इंटरव्यू में एक शेर सुनाया था, 'जायज़ा जायज़ हो नाजायज़ नहीं… तनकीद तनकीद हो तंज नहीं… सोच लेना हर बात कहने से पहले… घाव तलवार का भर जाता है लब्ज़ का नहीं. ' इस शेर के माध्यम से धर्मेंद्र शायद यह कहना चाहते थे कि जो बातें एक बार लिख दी जाती हैं, वे इतिहास. बन जाती हैं, और उन्हें बदलना मुश्किल होता है, ठीक वैसे ही जैसे उनके और हेमा मालिनी के रिश्ते को लेकर बनी धारणाएं.
इश्क और संघर्ष की दास्तान
धर्मेंद्र और हेमा मालिनी का रिश्ता सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं,. बल्कि समाज की रूढ़ियों और अपेक्षाओं के खिलाफ एक संघर्ष भी था. धर्मेंद्र पहले से शादीशुदा थे और चार बच्चों के पिता थे, जबकि हेमा मालिनी कुंवारी थीं. दुनिया की नजरों में यह प्रेम कहानी भले ही 'नाजायज़ जायज़ा' की वजह रही हो, लेकिन दोनों ने इसे जिस मुकाम तक पहुंचाया और जितनी सादगी व मर्यादा के साथ निभाया, वह फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक मिसाल बन गया. उनकी मोहब्बत की शिद्दत और हेमा का प्यार पाने के लिए धर्मेंद्र का संघर्ष, बदनामियों के तीर सहना, यह सब उनके रिश्ते की गहराई को दर्शाता है. यह एक ऐसा प्रेम था जिसने कई बाधाओं को पार किया और वर्षों तक कायम रहा.
शादी और मजहब बदलने का फसाना
धर्मेंद्र और हेमा मालिनी की शादी को लेकर सबसे बड़ा फसाना धर्म परिवर्तन का है. इस फसाने के मुताबिक, उनकी शादी में कई कानूनी और सामाजिक अड़चनें थीं. हिंदू विवाह अधिनियम के तहत, पहली पत्नी से कानूनी तलाक के बिना दूसरी शादी संभव नहीं थी. धर्मेंद्र की पहली पत्नी प्रकाश कौर ने उन्हें तलाक देने से इनकार कर. दिया था, जिससे दोनों के लिए हिंदू रीति-रिवाजों से शादी करना मुश्किल हो गया. इसी वजह से यह कहानी प्रचलित हुई कि धर्मेंद्र और हेमा ने शादी करने के लिए अपना मजहब बदलने का फैसला किया, ताकि वे कानूनी रूप से एक साथ आ सकें.
निकाहनामे के चौंकाने वाले दावे
इस फसाने का सबसे ठोस आधार एक कथित निकाहनामा है, जिसका वाकया सन् 1989 का बताया जाता है और इस निकाहनामे के अनुसार, धर्मेंद्र ने अपना नाम 'दिलावर खान' रखा, जिसकी उम्र 44 वर्ष बताई गई, जबकि हेमा मालिनी ने अपना नाम 'आयशा बी. ' रखा, जिनकी उम्र 29 वर्ष दर्ज की गई और कथित तौर पर, 21 अगस्त, 1989 को दिलावर खान केवल कृष्ण ने 1,11,000 रुपये के मेहर की रकम पर आयशा बी. को अपनी पत्नी के तौर पर स्वीकार किया. उस समय इस विवाह पर खूब विवाद हुए थे, और मीडिया में. निकाह कराने वाले काजी का नाम और उनका बयान भी सामने आया था. धर्मेंद्र पर पहली पत्नी को छोड़ने और हेमा मालिनी पर एक बसे-बसाये परिवार को उजाड़ने के गंभीर आरोप लगे थे, जिसने इस पूरे मामले को और भी सनसनीखेज बना दिया.
अयंगर रीति-रिवाज से दूसरा विवाह
धर्म परिवर्तन के फसाने के बाद एक और कहानी सामने आई कि गुप्त विवाह के बाद धर्मेंद्र और हेमा मालिनी ने परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में दोबारा विवाह किया. यह विवाह अयंगर रीति-रिवाज से संपन्न कराया गया था. हेमा मालिनी स्वयं अयंगर ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखती हैं, इसलिए यह विधि अपनाई गई. इस दूसरे विवाह ने उनके रिश्ते को एक सामाजिक और पारंपरिक स्वीकृति देने का प्रयास किया, हालांकि धर्म परिवर्तन के आरोप अभी भी कायम थे और यह दर्शाता है कि दोनों ने अपने रिश्ते को हर संभव तरीके से मजबूत करने की कोशिश की, चाहे वह कानूनी रास्ता हो या सामाजिक.
धर्म परिवर्तन से इनकार और कानूनी सवाल
धर्मेंद्र और हेमा मालिनी ने हमेशा धर्म परिवर्तन के आरोपों को खारिज किया है. हेमा मालिनी की जीवनी 'बियॉन्ड द ड्रीम गर्ल' में भी इस मसले को गलत तथ्य करार दिया गया है और धर्मेंद्र ने बार-बार कहा है कि वे ऐसे शख्स नहीं हैं जो अपने मतलब के लिए अपना धर्म बदल लें. उन्होंने अपने दूसरे विवाह को नितांत निजी मसला बताया. हालांकि, यह सवाल हमेशा बना रहा कि अगर उन्होंने धर्म नहीं बदला और पहली पत्नी से तलाक के बिना दूसरी शादी की, तो क्या यह विवाह गैरकानूनी नहीं हो गया और यह सवाल फिल्म प्रेमियों और प्रशंसकों से उठकर सियासी गलियारों तक भी पहुंचा, जिससे इस मामले की गंभीरता और बढ़ गई.
चुनावी हलफनामों में विरोधाभास
इस विवाद ने तब और तूल पकड़ा जब साल 2004 में धर्मेंद्र ने लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए बीकानेर से नामांकन पत्र भरा. कांग्रेस पार्टी ने उनके चुनावी हलफनामे पर सवाल उठाए. धर्मेंद्र ने पत्नी वाले कॉलम में संपत्ति का तो जिक्र किया, लेकिन पत्नी के नाम का नहीं. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि बताई गई संपत्ति प्रकाश कौर की है, न कि हेमा मालिनी की. उनके शपथ पत्र से यह स्पष्ट नहीं हो रहा था कि उनकी दो पत्नियां हैं या हेमा मालिनी ही उनकी पत्नी हैं. यह विरोधाभास उनके वैवाहिक स्थिति को लेकर चल रही अटकलों को और हवा देने वाला था, जिससे सार्वजनिक जीवन में भी उनके निजी रिश्ते पर बहस छिड़ गई.
हेमा मालिनी का हलफनामा और निजी मसला
करीब एक दशक बाद, सन् 2014 में जब हेमा मालिनी मथुरा लोकसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतरीं, तो उन्होंने अपने हलफनामे में पति का नाम 'धर्मेंद्र देओल' साफ शब्दों में लिखा. उन्होंने संपत्ति का ब्योरा भी विस्तार से दिया. हालांकि, कांग्रेस ने हेमा मालिनी पर भी अपने शपथ पत्र में गलत जानकारी देने का. आरोप लगाया, जिसके जवाब में हेमा ने इसे 'नितांत निजी मसला' कहकर खारिज कर दिया. इसके बावजूद, हेमा मालिनी सोशल मीडिया पर धर्मेंद्र के साथ तस्वीरें साझा करती रही हैं, और उनकी दोनों बेटियां ईशा और अहाना भी अपना सरनेम 'देओल' लिखती हैं, जो उनके परिवार की एकजुटता को दर्शाता है.
परिवार की एकजुटता और प्रकाश कौर का रुख
24 नवंबर को धर्मेंद्र के निधन के बाद आज एक बार फिर. दोनों की शादी और धर्म की हकीकत और फसाने की चर्चा आम है. इन तमाम विवादों और अफवाहों के बावजूद, धर्मेंद्र और हेमा मालिनी ने एक सफल वैवाहिक जीवन बिताया और धर्मेंद्र वैसे भी अफवाहों और फसानों की फिक्र कम ही करते थे. दूसरी तरफ, उनकी पहली पत्नी प्रकाश कौर ने भी विवाद को आगे नहीं बढ़ाया. उन्होंने धर्मेंद्र का पूरा साथ दिया, बच्चों की परवरिश का ख्याल रखा और परिवार की एकजुटता को प्रमुखता दी. उन्होंने हेमा मालिनी की भी आलोचना नहीं की, बल्कि पूरे दमखम के साथ कहा कि हेमा इतनी हसीन हैं कि कोई भी मर्द उनसे प्यार करना चाहेगा. उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री को भी नहीं बख्शा, यह कहते हुए कि इस इंडस्ट्री में तो ज्यादातर हीरो ऐसा ही करते हैं, तो अकेले उनके पति पर ही तंज क्यों? वास्तव में, संयम और मर्यादा का ख्याल दोनों परिवारों की तरफ से बरता गया, जिससे यह जटिल रिश्ता भी एक मिसाल बन सका. धर्मेंद्र इसीलिए कहते रहे कि 'तनकीद तनकीद हो तंज नहीं',. यानी आलोचना रचनात्मक होनी चाहिए, न कि सिर्फ ताना मारने वाली.