AajTak : Dec 23, 2019, 03:53 PM
सऊदी अरामको और रिलायंस इंडस्ट्रीज के बीच 15 अरब डॉलर की डील विवादों में है। दरअसल, केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में इस डील के खिलाफ याचिका दायर की है। इस याचिका में दोनों कंपनियों के बीच की डील को रोकने की अपील की गई है। इस बीच, सप्ताह के पहले कारोबारी दिन यानी सोमवार को रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर 2 फीसदी से अधिक लुढ़क गए। सुबह 11.30 बजे रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर 2.10 फीसदी लुढ़क कर 1565 रुपये प्रति शेयर भाव पर कारोबार कर रहे थे।क्या है मामला?
दरअसल, केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को दिए याचिका में कहा है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) और उसकी भागीदार ब्रिटिश गैस (बीजी) ने उसे 3.5 अरब डॉलर का भुगतान नहीं किया है। यह राशि पन्ना-मुक्ता और ताप्ती (पीएमटी) के उत्पादन-भागीदारी अनुबंध मामले में मध्यस्थता अदालत के केंद्र सरकार के पक्ष में दिए गए फैसले के तहत दी जानी थी। यही नहीं, केंद्र सरकार ने कंपनी पर कर्ज होने समेत तमाम तर्क देते हुए डील पर रोक लगाने की मांग की है। केंद्र सरकार की इस याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने रिलायंस इंडस्ट्रीज से अपनी संपत्तियों के बारे में जानकारी देने को कहा है।
RIL का क्या है कहना?
इस बीच, रिलायंस इंडस्ट्रीज ने केंद्र सरकार की याचिका का विरोध किया है।कंपनी ने कहा कि मध्यस्थता अदालत ने किसी भी फैसले में बकाये की बात नहीं की है, इसलिए केंद्र सरकार की याचिका मान्य प्रक्रिया का उल्लंघन है। रिलायंस ने शपथपत्र में कहा, 'यह कहना सही नहीं है कि मध्यस्थता अदालत ने उसे और उसकी भागीदार कंपनी को सरकार को 3.5 अरब डॉलर के बकाया का भुगतान करने को कहा है।' बता दें कि मामले की अगली सुनवाई 6 फरवरी को होने वाली है।
दरअसल, केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को दिए याचिका में कहा है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) और उसकी भागीदार ब्रिटिश गैस (बीजी) ने उसे 3.5 अरब डॉलर का भुगतान नहीं किया है। यह राशि पन्ना-मुक्ता और ताप्ती (पीएमटी) के उत्पादन-भागीदारी अनुबंध मामले में मध्यस्थता अदालत के केंद्र सरकार के पक्ष में दिए गए फैसले के तहत दी जानी थी। यही नहीं, केंद्र सरकार ने कंपनी पर कर्ज होने समेत तमाम तर्क देते हुए डील पर रोक लगाने की मांग की है। केंद्र सरकार की इस याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने रिलायंस इंडस्ट्रीज से अपनी संपत्तियों के बारे में जानकारी देने को कहा है।
RIL का क्या है कहना?
इस बीच, रिलायंस इंडस्ट्रीज ने केंद्र सरकार की याचिका का विरोध किया है।कंपनी ने कहा कि मध्यस्थता अदालत ने किसी भी फैसले में बकाये की बात नहीं की है, इसलिए केंद्र सरकार की याचिका मान्य प्रक्रिया का उल्लंघन है। रिलायंस ने शपथपत्र में कहा, 'यह कहना सही नहीं है कि मध्यस्थता अदालत ने उसे और उसकी भागीदार कंपनी को सरकार को 3.5 अरब डॉलर के बकाया का भुगतान करने को कहा है।' बता दें कि मामले की अगली सुनवाई 6 फरवरी को होने वाली है।