Bollywood News / ‘जो बोला है वो करो..’ सलमान संग काम करने वाली एक्ट्रेस दीया मिर्जा के साथ बुरा बर्ताव

दीया मिर्जा ने फिल्म ‘तुमको ना भूल पाएंगे’ से जुड़े अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि शूटिंग मेल एक्टर्स के हिसाब से होती थी और स्क्रिप्ट तक उन्हें नहीं दी जाती थी। सेट पर कड़े नियम थे और आखिरी वक्त में कपड़े सिलकर भेजे जाते थे।

बॉलीवुड की जानी-मानी अभिनेत्री दीया मिर्जा, जो 24 साल से इंडस्ट्री का हिस्सा हैं, इन दिनों ओटीटी पर रिलीज हुई फिल्म ‘नादानियां’ में नजर आ रही हैं। अपने लंबे करियर के दौरान उन्होंने कई तरह के अनुभव किए हैं, जिनमें से कुछ सुखद रहे, तो कुछ काफी परेशान करने वाले भी। हाल ही में दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं की स्थिति को लेकर कुछ चौंकाने वाले खुलासे किए।

‘तुमको ना भूल पाएंगे’ की शूटिंग के दौरान का अनुभव

दीया मिर्जा ने 2002 में आई फिल्म ‘तुमको ना भूल पाएंगे’ को याद करते हुए बताया कि उस दौर में फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं को पर्याप्त सम्मान नहीं मिलता था। उन्होंने इस फिल्म में सलमान खान और सुष्मिता सेन के साथ काम किया था, लेकिन उनके मुताबिक सेट पर पुरुष कलाकारों को अधिक प्राथमिकता दी जाती थी।

उन्होंने बताया कि महिला कलाकारों के लिए कई सख्त नियम बनाए गए थे, जबकि पुरुष कलाकारों को अधिक स्वतंत्रता दी जाती थी। दीया के मुताबिक, “हमें अपनी बात कहने की भी इजाजत नहीं थी। सिर्फ वही करना होता था, जो हमसे कहा जाता था।”

मेल एक्टर्स के हिसाब से बनती थी शूटिंग की योजना

दीया मिर्जा ने कहा कि पूरी फिल्म की योजना मेल एक्टर्स के शेड्यूल के हिसाब से बनाई जाती थी। उन्होंने कहा, "आज भी ऐसा होता है, लेकिन अब हमें स्क्रिप्ट और कहानी की जानकारी होती है, जिससे चीजें संभालना आसान हो जाता है। उस समय हमें कुछ भी नहीं बताया जाता था।"

स्क्रिप्ट भी नहीं थी उपलब्ध

दीया ने खुलासा किया कि शूटिंग के दौरान उन्हें फिल्म की स्क्रिप्ट भी उपलब्ध नहीं कराई गई थी। उन्होंने कहा, “डायरेक्टर पंकज पराशर के साथ काम करने को लेकर मैं बहुत उत्साहित थी, क्योंकि उन्होंने ‘चालबाज’ जैसी शानदार फिल्म बनाई थी। सलमान खान भी फिल्म में लीड रोल में थे और बजट भी काफी बड़ा था, लेकिन हैरानी की बात यह थी कि हमें स्क्रिप्ट तक नहीं दी गई थी।”

आखिरी वक्त में तैयार किए जाते थे कपड़े

दीया ने बताया कि उनके कपड़े शूट से ठीक पहले सिले जाते थे और उसी वक्त उन्हें दिया जाता था। इसके अलावा, डायलॉग्स भी शूट से कुछ मिनट पहले ही बताए जाते थे। उन्होंने कहा, "ना कोई रीडिंग होती थी, ना ही कोई वर्कशॉप। मेरा किरदार राजस्थानी था, लेकिन मेरे डायलॉग भोजपुरी में लिखे गए थे।"

महिला कलाकारों की स्थिति में आया बदलाव

दीया मिर्जा ने यह भी माना कि समय के साथ फिल्म इंडस्ट्री में बदलाव आया है। अब महिला कलाकारों को ज्यादा स्वतंत्रता और सम्मान मिलने लगा है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अभी भी सुधार की जरूरत है, खासकर महिला कलाकारों के प्रति नजरिए को बदलने की दिशा में।

दीया के इस खुलासे ने एक बार फिर बॉलीवुड में जेंडर इनइक्वालिटी (लैंगिक असमानता) की बहस को हवा दे दी है। हालांकि, अब कई महिला कलाकार इंडस्ट्री में अपनी पहचान बना रही हैं और अपने अधिकारों के लिए आवाज उठा रही हैं।