JNU हिंसा / हमलावर हुए बेनकाब, लेफ्ट के चार छात्र संगठनों ने JNU के पेरियार हॉस्टल पर हमला किया था: दिल्ली पुलिस

News18 : Jan 10, 2020, 04:50 PM
नई दिल्ली। जेएनयू हिंसा मामले पर प्रेस कांफ्रेंस करते हुए दिल्ली पुलिस ने कुछ फोटो जारी किए हैं। दिल्ली पुलिस के पीआरओ एमएस रंधावा ने फोटो और नाम जारी करते हुए कहा है कि अभी जांच चल रही है। छात्र संघ अध्यक्ष आइशी घोष और तीन अन्य छात्रों के फोटो जारी किए गए हैं। लेकिन साबरमती हॉस्टल में तोड़फोड़ तो जो वीडियेो सबसे ज्यादा सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था उसकी फोटो जारी नहीं की है। पुलिस का कहना है कि बहुत सारे छात्र पढ़ना चाहते हैं, लेकिन चार ग्रुप के छात्र उन्हें रजिस्ट्रेशन नहीं कराने दे रहे हैं। स्टाफ के साथ भी धक्का मुक्की कर रहे हैं। सर्वर को बंद कर दिया गया।

दिल्ली पुलिस को मिले थे यह अहम सुराग मिले

जानकारों की मानें तो दो दिन पहले ही दिल्ली पुलिस और जांच के लिए गठित एसआईटी को अहम सुराग मिल गये थे। रविवार को जेएनयू परिसर में दिखाई दिये नकाबपोश हमलावरों की पहचान भी हो गई थी। एसआईटी को कई वीडियो बाद में ऐसे मिले थे जो अहम सुबूत साबित हुए। वीडियो और दूसरे सुबूत जुटाने के लिए एसआईटी ने पब्लिक नोटिस भी जारी किया था। अखिल भारतीय विद्वार्थी परिषद ने आरोप लगाए थे कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी और दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्रों ने जेएनयू परिसर में आकर हंगामा किया था।

हिंसा के दौरान कार्रवाई नहीं करने को लेकर हो रही थी पुलिस की आलोचना

जेएनयू परिसर में हिंसा के दौरान कार्रवाई नहीं करने को लेकर दिल्ली पुलिस की आलोचना हो रही थी। तोड़फोड़ के मामले में जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष समेत अन्य यूनियन नेताओं को नामजद करने के चलते भी पुलिस की खासी किरकिरी हुई थी। इस पर माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने आरोप लगाया था कि दिल्ली पुलिस मोदी सरकार की ‘कठपुतली’ की तरह काम कर रही है। उन्होंने जेएनयू हिंसा की जांच अदालत की निगरानी में कराने की मांग की थी। और कहा था कि पूर्वाग्रह वाली पुलिस की जांच की कोई प्रामाणिकता नहीं है।

एमएचआरडी मंत्रालय और दिल्ली सरकार की भी हुई आलोचना

हमले का शिकार हुए लोगों से बात करने के लिए कोई समिति नहीं भेजने पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय और दिल्ली सरकार की भी आलोचना हुई थी। जेएनयू परिसर में मंगलवार शाम अभिनेत्री दीपिका पादुकोण के पहुंचने पर भी सोशल मीडिया पर विवाद छिड़ गया था। एक तरफ लोग इसे आने वाली फिल्म ‘छपाक’ का प्रचार करने की रणनीति बताते हुए फिल्म नहीं देखने की बात कर रहे थे तो दूसरी तरफ कई लोगों ने इसे छात्रों के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करने वाला दीपिका का साहसिक कदम बताया था। जबकि भाजपा से जुड़े कुछ लोगों की ओर से फिल्म का बहिष्कार करने की मांग के बीच केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि केवल कलाकार ही नहीं, कोई भी आम आदमी भारत जैसे लोकतंत्र में कहीं भी जाकर अपनी बात रख सकता है।

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