देश / हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की चार-पांच खुराक से स्वास्थ्यकर्मियों में संक्रमण का खतरा कमः आईसीएमआर

AMAR UJALA : Jun 01, 2020, 12:39 PM
दिल्ली: मलेरिया-रोधी दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की सही खुराक लेने के साथ ही अच्छे तरीके से पीपीई (व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण) किट का इस्तेमाल करने से स्वास्थ्यकर्मियों में कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आने का खतरा कम हो सकता है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक अध्ययन में ऐसे नतीजे सामने आए हैं।

रविवार को आईसीएमआर के इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में ऑनलाइन प्रकाशित मामलों को नियंत्रण करने वाले अध्ययन में पाए गए नतीजों के मुताबिक, अध्ययन में शामिल लोगों को चार से पांच  हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की संतुलित खुराक देने पर उनमें सार्स-सीओवी-2 संक्रमण के खतरे में महत्वपूर्ण कमी देखी गई।

अनुसंधानकर्ताओं ने अध्ययन में कहा है कि पीपीई किट का उपयुक्त इस्तेमाल भी लाभकारी साबित हुआ। अध्ययन में कहा गया कि स्वास्थ्यकर्मियों को संक्रमित होने का सबसे अधिक जोखिम होता है।

बता दें की यह दवा भारत में प्रतिबंधित थी लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थन के बाद इसकी मांग दुनियाभर में बढ़ गई।  हालांकि अब कई अलग-अलग रिपोर्ट्स में इन दवाओं को घातक बताया जा रहा है और कोरोना के मरीजों पर इस्तेमाल ना करने की हिदायत दी जा रही है। 

ऐसी ही एक रिपोर्ट वांडरबिल्ट यूनिवर्सिटी और स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं द्वारा जारी की गई है जिसमें कहा गया है कि कोरोना मरीजों के इलाज के लिए प्रस्तावित हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और एजीथ्रोमाइसिन का साथ में सेवन घातक हो सकता है और यह मिश्रण ह्रदय तंत्र पर गंभीर असर डाल सकता है।

डबल्यूएचओ ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन पर अस्थायी तौर पर रोक लगाया

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज में इस्तेमाल की जा रही दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन पर अस्थायी तौर पर रोक लगा दी है। बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए इस दवा का समर्थन किया था। राष्ट्रपति ट्रंप ने यहां तक कहा था कि वह मलेरियारोधी इस दवा को एहतियात के तौर पर स्वयं भी ले रहे हैं।

बहरहाल, इस संबंध में डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडहोम घेब्रेयस ने एक पत्रकार वार्ता में बताया कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन पर अस्थायी रोक लगाई गई है। डाटा सुरक्षा निगरानी बोर्ड की ओर से इससे संबंधित अब तक प्राप्त हुए आंकड़ों का विश्लेषण और समीक्षा की जा रही है।

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