तकनीक / मलबा उठाने के लिए 2025 में अंतरिक्ष जाएगा चार हाथों वाला रोबोट 'क्लीयर स्पेस-1'

AMAR UJALA : Dec 11, 2019, 11:20 AM
अंतरिक्ष में एकत्र हुए मलबे को उठाने के लिए यूरोपीयन स्पेस एजेंसी (ईएसए) 2025 में दुनिया का पहला ‘स्पेस जंक कलेक्टर’ भेजेगा जिसे क्लीयर स्पेस-1 नाम दिया है। चार हाथों वाला रोबोट इस मिशन को पूरा करने में अहम भूमिका निभाएगा। अंतरिक्ष विशेषज्ञों का मानना है कि अंतरिक्ष में एकत्र हुआ मलबा भविष्य के मिशन के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है। इसी को देखते हुए अंतरिक्ष को साफ करने की जरूरत है। मिशन पर करीब 943 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

ऐसे साफ होगा अंतरिक्ष में जमा मलबा

अंतरिक्ष में जमा मलबा हटाने के लिए ईएसए ने 2013 में वेस्पा नाम का एक मलबा पृथ्वी की कक्षा से 800 किमी दूर वेगा लॉन्चर की मदद से छोड़ा था। वेस्पा का वजन करीब 100 किग्रा है जो एक छोटे सैटेलाइट के वजन के बराबर है। 2025 में क्लीयर स्पेस-1 प्रोब जब अंतरिक्ष की संबंधित कक्षा में छोड़ा जाएगा तब वो वेस्पा को अपनी चार रोबोटिक आर्म्स से पकड़कर कक्षा से बाहर लाएगा। इसके बाद दोनों वातावरण में जल जाएंगे और धरती की सतह पर गिर जाएंगे। खास बात ये है कि जब इस मलबे को रोबोटिक आर्म पकड़ेगा तो इसके टुकड़े-टुकड़े होने की संभावना भी कम रहेगी।

सफाई की जरूरत क्यों?

अंतरिक्ष विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले 60 साल में अंतरिक्ष में हजारों टन मलबा पृथ्वी के आसपास जमा हो गया है। इसमें आमतौर पर पुराने रॉकेट के कुछ हिस्से, न इस्तेमाल होने वाले सैटेलाइट और कुछ दूसरी अंतरिक्ष मिशन से जुड़ी सामग्री हैं। अगर अंतरिक्ष को साफ करने का अभियान शुरू नहीं किया गया तो भविष्य में इस तरह का कचरा और बढ़ेगा और सैटेलाइट के इनसे टकराने की संभावना भी अधिक रहेगी।

नए नियम बनाने की भी तैयारी

यूरोपीयन स्पेस एजेंसी के महानिदेशक जैन वॉर्नर का कहना है कि अंतरिक्ष को स्वच्छ रखने के लिए नए नियम की जरूरत है। उन्होंने कहा है कि जो भी सैटेलाइट लॉन्च करेगा उसको इस बात की भी जिम्मेदारी लेनी होगी कि जब सैटेलाइट उपयोग में न हो तो उसे संबंधित कक्षा से हटाना भी होगा। इसी में सभी की भलाई है और किसी हालत में अब इसे जारी नहीं रखा जा सकता है।

अंतरिक्ष में इतना मलबा है जमा

एक रिपोर्ट के अनुसार अंतरिक्ष में पृथ्वी के आसपास पिछले 60 वर्षों में हजारों टन मलबा जमा हुआ है। इसमें पुराने रॉकेट के हिस्सों के साथ, 3,500 सैटेलाइट और 7,50000 छोटे-छोटे टुकड़े मौजूद हैं। अंतरिक्ष में छोटे-छोटे टुकड़े 20 हजार किमी. प्रतिघंटे की रफ्तार से चल रहे हैं।

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