Share Market News / मार्केट में पैसा लगाने के लिए हो जाएं तैयार! आ रहे हैं 1 दर्जन IPO, ये कंपनियां ऑफर ला रही

साल 2025 की सुस्त शुरुआत के बाद प्राइमरी मार्केट में हलचल दिखने लगी है। अगले छह महीनों में 12 से अधिक कंपनियां IPO लाने की तैयारी में हैं। सेकेंडरी मार्केट में स्थिरता और भू-राजनीतिक तनाव में कमी इसके पीछे की वजह है। सेबी से कई कंपनियों को मंजूरी मिल चुकी है।

Share Market News: साल 2025 की धीमी शुरुआत के बावजूद भारतीय प्राइमरी मार्केट अब रफ्तार पकड़ता दिख रहा है। मर्चेंट बैंकरों के मुताबिक, आने वाले तीन से छह महीनों में एक दर्जन से ज्यादा कंपनियां अपना आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) लाने की योजना बना रही हैं। यह तेजी सैकेंडरी मार्केट में स्थिरता लौटने और वैश्विक भू-राजनीतिक तनावों में कमी का परिणाम मानी जा रही है।

प्रमुख कंपनियों की तैयारी जोरों पर
जिन कंपनियों ने IPO लाने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं, उनमें एचडीएफसी बैंक की सब्सिडियरी एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज, नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL), कल्पतरु, रूबिकॉन रिसर्च, ऑल टाइम प्लास्टिक्स, रीग्रीन-एक्सेल ईपीसी इंडिया, और परमेसु बायोटेक जैसे नाम शामिल हैं। ये कंपनियां मुख्य रूप से अपने विस्तार, कर्ज चुकाने और अन्य सामान्य कॉरपोरेट जरूरतों के लिए फंड जुटाना चाहती हैं।

अन्य बड़ी कंपनियां भी कतार में
इनके अलावा, क्रेडिला, एसके फाइनेंस, वेरिटास फाइनेंस, पारस हेल्थकेयर, सीआईईएल एचआर सर्विसेज, एवांसे फाइनेंशियल सर्विसेज, ड्रोफ-केटल केमिकल्स इंडिया, ब्रिगेड होटल वेंचर्स, और श्रीजी शिपिंग भी सेबी की मंजूरी प्राप्त कर चुकी हैं और जल्द ही बाजार में उतर सकती हैं।

2025 में अब तक धीमी रही IPO गतिविधि
हालांकि हालिया गतिविधियों से उत्साह बढ़ा है, लेकिन साल 2025 में अब तक IPO बाजार अपेक्षाकृत धीमा ही रहा है। इस साल अब तक केवल 16 कंपनियां ही IPO ला सकी हैं, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह संख्या 29 थी। पिछली तिमाही में सिर्फ छह प्रमुख IPO ही आए, जिनमें लग्जरी होटल चेन 'द लीला' के मालिक श्लॉस बैंगलोर का IPO प्रमुख रहा।

मंदी के पीछे अस्थिरता जिम्मेदार
विशेषज्ञों के अनुसार, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता, घरेलू चुनावी माहौल, और फेडरल रिजर्व की नीति में संभावित बदलावों के कारण निवेशकों की सतर्कता बनी रही, जिससे IPO गतिविधि धीमी रही। लेकिन अब बाजार में स्थिरता लौटने और निवेशकों की धारणा में सुधार के चलते कंपनियों को पूंजी जुटाने का भरोसा फिर से बढ़ा है।