- भारत,
- 02-May-2024 09:45 AM IST
Hindu Religion: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक बड़ा आदेश जारी करते हुए कहा है कि बिना वैध रस्मों के किसी शादी को हिंदू विवाह अधिनियम के तहत मान्यता नहीं दी जा सकती है। कोर्ट ने कहा है कि हिंदू विवाह एक जरूरी संस्कार और पवित्र बंधन है जिसका भारत के समाज में काफी महत्व है। इसके साथ ही कोर्ट ने अपने आदेश में युवक-युवतियों से ये भी आग्रह किया है कि विवाह में करने से पहले काफी गहराई से विचार कर लें क्योंकि भारतीय समाज के अनुसार, विवाह एक पवित्र बंधन है।क्या है पूरा मामला?दरअसल सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति बी.वी.नागरत्ना और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने दो पायलटों के केस में ये आदेश दिया है। दोनों पायलटों ने वैध रस्मों से विवाह नहीं किया था और कोर्ट से तलाक के लिए मंजूरी मांगी थी। कोर्ट ने कहा कि जहां हिंदू विवाह संस्कारों या रस्मों के अनुसार नहीं किया गया हो उसे हिंदू विवाह नहीं माना जा सकता। ये कोई नाचने-गाने का अवसर नहींसुप्रीम कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा है कि विवाह नाचने-गाने और खाने-पीने का आयोजन का अवसर नहीं है। न ही ये अनुचित दबाव डालकर दहेज और उपहारों की मांग करने का अवसर है। विवाह एक पवित्र बंधन है जो एक पुरुष और एक महिला के बीच संबंध स्थापित करने के लिए है। कोर्ट ने ये भी कहा कि विवाह भारतीय समाज की एक बुनियादी इकाई है।
