Ram Mandir Ayodhya / प्राण प्रतिष्ठा में पीएम मोदी ने विपक्ष को कैसे कमंडल में समेट दिया?

Zoom News : Jan 23, 2024, 08:30 AM
Ram Mandir Ayodhya: अयोध्या में बन रहे भव्य श्रीराम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम संपन्न हो चुका है. प्राण-प्रतिष्ठा के बाद पीएम मोदी भावुक भी नजर आए. पीएम ने रामलला के नवीन विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद अपने संबोधन की शुरुआत ‘सियावर रामचंद्र की जय’ से की. प्राण प्रतिष्ठा के बाद पीएम मोदी अपने 35 मिनट के संबोधन भाषण में 114 बार भगवान राम का नाम लिया, लेकिन विपक्षी दलों के नामों का जिक्र तक नहीं किया. पीएम मोदी ने यह बात जरूर कही कि कुछ लोग कहते थे कि राम मंदिर के निर्माण से आग भड़क जाएगी. ऐसे लोग भारत के सामाजिक भाव की पवित्रता को नहीं जान पाए. इस तरह पीएम मोदी ने विपक्ष को तवज्जो न देकर उन्हें ‘कमंडल’ तक ही समेट दिया है.

रामलला पांच सौ साल के बाद अपने गर्भगृह में विराजमान हुए तो प्राण प्रतिष्ठा में पीएम मोदी मुख्य यजमान बने. पीएम मोदी दोपहर हल्की पीली धोती-कुर्ता पहने और हाथ में थाल लिए, जिसमें श्रीराम के लिए चांदी का छत्र था. प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम करीब घंटे भर चला और पीएम मोदी ने पूरे विधि-विधान के साथ हिस्सा लिया. उन्होंने भगवान की आरती कर चंवर डुलाया, फिर राम के चरणों में कमल रखकर परिक्रमा की और साष्टांग प्रणाम किया. प्राण प्रतिष्ठा के बाद मोदी मंदिर परिसर में मौजूद लोगों के सामने 11 दिन का व्रत तोड़ा.

पीएम मोदी ने रामलला से माफी मांगते हुए कहा कि हमारी कई पीढ़ियों ने वियोग सहा है. मैं आज प्रभु श्रीराम से क्षमा याचना भी करता हूं. हमारे पुरुषार्थ, त्याग, तपस्या में कुछ तो कमी रह गई होगी कि हम इतनी सदियों तक यह कार्य कर नहीं पाए. आज वह कमी पूरी हुई है. मुझे विश्वास है कि प्रभु श्री राम आज हमें अवश्य क्षमा करेंगे. पीएम ने कहा कि रामलला टेंट में नहीं, अब भव्य मंदिर में रहेंगे. पीएम मोदी ने कहा वो भी एक समय था जब कुछ लोग कहते थे कि राम मंदिर बना तो आग लग जाएगी, लेकिन ऐसे लोग भारत की धार्मिक और सामाजिक भाव को नहीं समझ पाए.

‘हमारा भविष्य अतीत से बहुत सुंदर होने जा रहा है’

प्रधानमंत्री ने कहा कि राम मंदिर के निर्माण से देशवासियों में नया उत्साह पैदा हो रहा, आज हमें सदियों की धरोहर मिली है, श्रीराम का मंदिर मिला है. 22 जनवरी 2024 का ये सूरज एक अद्भुत आभा लेकर आया है, ये कैलेंडर पर लिखी एक तारीख नहीं, बल्कि ये एक नए कालचक्र का उद्गम है. लोग इसे हजारों साल याद करेंगे. उन्होंने कहा, ये क्षण उत्सव का ही है. भारतीय समाज का बौद्धिकता की प्रगति का क्षण है. हमारा भविष्य, हमारे अतीत से बहुत सुंदर होने जा रहा है. वो भी समय था, कुछ लोग कहते थे कि राम मंदिर बना तो आग लग जाएगी. ऐसे लोग भारत की समरसता को नहीं जानते हैं. ये निर्माण किसी आग को नहीं ऊर्जा को जन्म दे रहा है. राम मंदिर समाज के हर वर्ग को उज्ज्वल पथ पर चलने की प्रेरणा लेकर आया है. राम आग नहीं हैं, राम ऊर्जा हैं. राम विवाद नहीं, राम समाधान हैं. राम हमारे नहीं, राम सबके हैं. राम वर्तमान नहीं, राम अनंतकाल हैं.

500 साल बाद साकार हुआ सपना

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का सफर काफी चुनौतियों भरा रहा है. राम जन्मभूमि को लेकर सड़क से अदालत तक लंबी कानूनी लड़ी गई, जिसके बाद अब जाकर कहीं पांच सौ साल के बाद राम मंदिर का सपना साकार हो रहा. राम मंदिर को लेकर काफी आंदोलन हुए और सियासत भी जमकर हुई, जिसके चलते कई विपक्षी पार्टियां मानती रही कि यह ऐसा विवाद है, जिसका हल निकलना मुश्किल है. बाबरी विवाद, अदालतों में चली लंबी लड़ाई और फिर शीर्ष अदालत के फैसले के बाद राम मंदिर के निर्माण का मार्ग निकला, जिसके लिए पीएम मोदी ने न्यायालय को भी धन्यवाद दिया. साथ ही कहा कि राम के इस काम में कितने ही लोगों ने त्याग और तपस्या की पराकाष्ठा करके दिखाई है. उन अनगिनत राम भक्तों के, उन अनगिनत कारसेवकों के और उन अनगिनत संत-महात्माओं के हम सब ऋणी हैं.

राम के अस्तित्व पर सवाल उठाया गया: PM

पीएम मोदी ने कहा कि राम के अस्तित्व पर सवाल उठाया गया था जबकि भारत के संविधान में, इसके पहले पृष्ठ पर, भगवान राम का उल्लेख है. कानून की गरिमा बनाए रखने के लिए मैं सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद देता हूं. संविधान के अस्तित्व में आने के बाद भी दशकों तक प्रभु श्री राम के अस्तित्व को लेकर कानूनी लड़ाई चली. मैं भारत की न्यायपालिका का आभार व्यक्त करूंगा, जिसने न्याय की लाज रख ली. पीएम मोदी ने कहा कि कई राष्ट्र अपने ही इतिहास में उलझ जाते हैं। जब भी उन्होंने इतिहास की गांठें सुलझाने का प्रयास किया मुश्किल परिस्थितियां बन गईं. हमने जिस गांठ को भावुकता और समझदारी के साथ खोला है, वो बताता है कि भविष्य बहुत सुंदर होने जा रहा है.

पीएम बोले- कुछ चंद लोग कर रहे थे राम का विरोध

प्रधानमंत्री ने जिस तरह विपक्षी दलों को कुछ लोग कह कर संबोधित कर उन्हें सीमित दायरे में समेट दिया. पीएम मोदी ने विरोध करने वालों को एक विचारधारा के लोग और राजनीतिक दल नहीं बताया, क्योंकि यह कह कर उनके दायरे को बढ़ाना नहीं चाहते थे. इस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संदेश दिया है कि राम मंदिर का विरोध भारत में चंद लोग कर रहे थे, जिसमें कोई एक समुदाय या फिर कोई राजनीतिक दल नहीं था बल्कि कुछ लोग थे. पीएम मोदी ने जिस तरह से कहा कि राम कोई अग्नि नहीं हैं, वह तो एक ऊर्जा हैं. राम कोई विवाद नहीं हैं, वह एक समाधान हैं. राम सिर्फ हमारे नहीं हैं, वह सबके हैं. इस तरह से भगवान राम को सबका बताकर सियासी संदेश देते नजर आए हैं.

पीएम मोदी ने बिना नाम लिए विपक्ष की नीतियों पर बड़ी सादगी से प्रहार किया. उनके साथ खड़े लोगों को भगवान राम से जुड़ी उनकी विरासत समझाते हुए साथ आने का आह्वान भी किया. साथ ही बिना नाम लिए सनातन संस्कृति को चुनौती देने की साजिशों का उल्लेख कर संकेतों से ऐसे लोगों को सबक सिखाने को कहा. एक तरह से यह संदेश दिया कि राम को शक्ति हीन व काल्पनिक बताने वाले देश का भला नहीं कर सकते. उन्होंने राम को सनातन संस्कृति की शक्ति का प्रतीक बताते हुए विरोधियों को चुनौती दी कि उन्हें राम के अस्तित्व को स्वीकार करना होगा.

न्योता मिलने के बाद भी विपक्षी दलों ने किया किनारा

रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के लिए सभी राजनीतिक दलों को निमंत्रण भेजा गया था, लेकिन कांग्रेस सहित विपक्ष के ज्यादातर दलों ने दूरी बना ली थी. उन्होंने खुद यह विकल्प चुना. समारोह में शामिल होने का न्योता मिलने के बावजूद वे शिरकत नहीं किए. उन्होंने इसे बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का इवेंट बताकर न शामिल होने का फैसला किया. कांग्रेस और दूसरे दल शायद यह भूल गए कि देश ने बीजेपी के लिए नहीं, बल्कि राम के लिए उत्सव मनाया है. राम किसी दल या धर्म के नहीं बल्कि सबके हैं.

यही वजह है कि पीएम मोदी ने कहा कि राम भगवान सबके हैं. राम सिर्फ हमारे नहीं, राम तो सबके हैं. पीएम ने कहा कि आज इस ऐतिहासिक समय में देश उन लोगों को भी याद कर रहा है, जिनके कार्य और समर्पण की वजह से आज हम ये शुभ दिन देख रहे हैं. इस तरह पीएम मोदी ने विपक्ष का भले ही नाम नहीं लिया, लेकिन संकेतों में उन्हें खास तवज्जो न देकर बड़ा सियासी संदेश देने का दांव चला है.

पीएम मोदी ने इशारों-इशारों में किया हमला

पीएम मोदी ने एक तरह से यह संदेश देने की कोशिश की कि राम के नाम से वोट गणित बिगड़ जाने वालों की नीतियों के कारण ही मंदिर बनने में देरी हुई. सबकी जिम्मेदारी है कि वह राम के अस्तित्व को नकारने वालों को राम की ताकत का एहसास कराएं. समर्थकों को यह भरोसा देने से भी नहीं चूके कि विपक्ष की कोशिशों के बावजूद सनातन संस्कृति के सरोकारों को सम्मान देने का सिलसिला रुकने वाला नहीं है, लेकिन इसके लिए उनसे संयम की अपेक्षा भी की.

राम ऊर्जा है आग नहीं कहते हुए उन्होंने अपने लोगों को प्राण-प्रतिष्ठा को विजय के रूप में न देखने की सलाह दीय एक तरह से सचेत करने की कोशिश की है कि उत्साह में कुछ ऐसा न करें कि विरोधियों को मौका मिल जाए. उन्होंने यह संकेत भी दिया कि वह रामराज्य शब्द का उल्लेख इसलिए नहीं कर रहे हैं, क्योंकि राम भगवान हैं. उनकी बराबरी करने की उनकी सामर्थ्य नहीं है.

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