Share Market News / कैसी रहेगी सोमवार से बाजार की चाल? क्या जारी रहेगी गिरावट या लौटेगी तेजी, जानें

पिछले हफ्ते भारतीय शेयर बाजार में हर दिन गिरावट देखी गई, जिससे निवेशकों के लाखों करोड़ डूब गए। सेंसेक्स 2,644.6 अंक और निफ्टी 810 अंक लुढ़क गया। विशेषज्ञों के मुताबिक, तिमाही नतीजों के बाद बाजार की दिशा वैश्विक रुझान, एफपीआई गतिविधियों और अमेरिकी व्यापार नीतियों से तय होगी।

Share Market News: पिछले हफ्ते शेयर बाजार में हर दिन गिरावट दर्ज की गई, जिससे निवेशकों के लाखों करोड़ रुपये डूब गए। पिछले आठ कारोबारी सत्रों में बीएसई सेंसेक्स 2,644.6 अंक या 3.36 प्रतिशत टूट गया, जबकि निफ्टी में 810 अंकों यानी 3.41 प्रतिशत की गिरावट रही। इस सतत गिरावट ने निवेशकों को असमंजस में डाल दिया है कि आगामी सप्ताह में बाजार में सुधार आएगा या गिरावट जारी रहेगी।

बाजार की आगामी दिशा क्या होगी?

विशेषज्ञों का मानना है कि अब बाजार की दिशा वैश्विक संकेतों और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की गतिविधियों से तय होगी। तिमाही नतीजों के कमजोर रहने, वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका और विदेशी कोषों की सतत निकासी से बाजार में नकारात्मक धारणा बनी हुई है। शुक्रवार को लगातार आठवें कारोबारी सत्र में गिरावट के साथ सेंसेक्स और निफ्टी बंद हुए।

अमेरिकी व्यापार नीति का प्रभाव

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के प्रमुख-शोध, संपदा प्रबंधन सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि तिमाही नतीजों का सीजन समाप्त होने के बाद अब बाजार की निगाह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीतियों और वैश्विक घटनाक्रमों पर रहेगी। इसके अलावा, डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल और ब्रेंट कच्चे तेल की कीमतें भी बाजार की धारणा को प्रभावित करेंगी।

रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष-शोध अजित मिश्रा ने कहा कि अब एफपीआई प्रवाह और मुद्रा के उतार-चढ़ाव पर विशेष नजर रहेगी। साथ ही, अमेरिकी शुल्क और वैश्विक व्यापार पर इसके प्रभाव को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

गिरावट के मुख्य कारण

इस गिरावट के पीछे कई प्रमुख कारण हैं:

  1. अमेरिकी व्यापार नीति: राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा व्यापारिक भागीदार देशों पर ऊंचे शुल्क लगाने की घोषणा से बाजार में अस्थिरता बढ़ी है।

  2. कमजोर तिमाही नतीजे: कई कंपनियों के नतीजे निवेशकों की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे, जिससे बाजार में नकारात्मकता बनी रही।

  3. विदेशी निवेशकों की निकासी: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने बाजार से लगातार पूंजी निकाली, जिससे बिकवाली का दबाव बढ़ा।

  4. वैश्विक संकेतों का प्रभाव: अमेरिकी फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक और वैश्विक आर्थिक स्थितियों ने भी बाजार की धारणा पर असर डाला।

निवेशकों के लिए क्या रणनीति हो?

विशेषज्ञों का सुझाव है कि इस समय निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत है। वे दीर्घकालिक निवेश की रणनीति अपनाएं और मजबूत फंडामेंटल वाली कंपनियों में निवेश करें। बाजार में अस्थिरता के कारण लघु अवधि के निवेश में जोखिम अधिक बना रहेगा।

आने वाले हफ्तों में बाजार की दिशा वैश्विक संकेतों, विदेशी निवेशकों की गतिविधियों और आर्थिक नीतियों पर निर्भर करेगी। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे जल्दबाजी में फैसले लेने से बचें और अपने पोर्टफोलियो का संतुलन बनाए रखें।