भारतीय शेयर बाजार में आने वाले सप्ताह में निवेशकों की। नजर कई प्रमुख आर्थिक आंकड़ों और वैश्विक घटनाक्रमों पर टिकी रहेगी। सोमवार से शुरू होने वाले इस नए कारोबारी सप्ताह में बाजार की दिशा थोक मूल्य सूचकांक। (WPI) पर आधारित महंगाई के आंकड़े, विदेशी निवेशकों के रुख और वैश्विक संकेतों से निर्धारित होगी। इसके अतिरिक्त, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल और कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव भी बाजार की धारणा को प्रभावित करेगा। पिछले हफ्ते घरेलू शेयर बाजारों में काफी उतार-चढ़ाव देखा गया था, और अंततः वे। गिरावट के साथ बंद हुए, जिससे निवेशकों में चिंता का माहौल बना हुआ है।
पिछले हफ्ते भारतीय शेयर बाजार में निवेशकों को काफी अनिश्चितता का सामना करना पड़ा। सप्ताह के अंत में, बीएसई का बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स 444. 71 अंकों यानी 0. 51 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ। यह गिरावट मुख्य रूप से विदेशी फंडों की लगातार निकासी और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में आई तेज गिरावट के कारण हुई, जिसने निवेशकों के भरोसे पर भारी दबाव डाला है। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि ये कारक आने वाले सप्ताह में भी बाजार की चाल को प्रभावित करते रहेंगे। निवेशकों को इन चुनौतियों के बीच सावधानीपूर्वक निवेश करने की सलाह दी जा रही है।
महंगाई के आंकड़ों पर रहेगी पैनी नजर
रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (रिसर्च) अजीत मिश्रा ने बताया कि इस हफ्ते घरेलू स्तर पर कई महत्वपूर्ण आंकड़े जारी होने हैं। इनमें थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित महंगाई के आंकड़े और व्यापार संतुलन के आंकड़े प्रमुख हैं। WPI महंगाई के आंकड़े अर्थव्यवस्था में वस्तुओं की कीमतों के रुझान को दर्शाते हैं, और ये भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति को प्रभावित कर सकते हैं। यदि महंगाई के आंकड़े उम्मीद से अधिक आते हैं, तो यह ब्याज दरों में बढ़ोतरी की आशंका को बढ़ा सकता है, जिससे इक्विटी बाजारों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है और वहीं, व्यापार संतुलन के आंकड़े देश के आयात और निर्यात की स्थिति को दर्शाते हैं, जो रुपये की चाल और विदेशी मुद्रा भंडार पर प्रभाव डालते हैं।
विदेशी निवेशकों की लगातार निकासी और रुपये का दबाव
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) की भारतीय शेयर बाजार से लगातार निकासी एक बड़ी चिंता का विषय बनी हुई है। इस महीने के पहले दो हफ्तों में विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से 17,955 करोड़ रुपये के शेयर बेचकर पैसे निकाले हैं। इसके साथ ही, वर्ष 2025 में अब तक विदेशी निवेशकों की कुल निकासी बढ़कर 1. 6 लाख करोड़ रुपये हो गई है। अजीत मिश्रा ने इस बात पर जोर दिया कि विदेशी फंडों की लगातार निकासी और रुपये में तेज गिरावट ने निवेशकों के भरोसे पर भारी दबाव डाला है। जब विदेशी निवेशक बड़ी मात्रा में पूंजी निकालते हैं, तो यह बाजार में तरलता को कम करता है और शेयर की कीमतों पर नकारात्मक दबाव डालता है और रुपये का कमजोर होना भी आयात को महंगा बनाता है और विदेशी निवेश को कम आकर्षक बनाता है।
वैश्विक संकेत और भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता
घरेलू कारकों के अलावा, वैश्विक संकेत भी भारतीय शेयर बाजार की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। अजीत मिश्रा ने कहा कि वैश्विक स्तर पर अमेरिकी बाजारों का प्रदर्शन और वहां। से आने वाले व्यापक आर्थिक संकेत निकट अवधि में निवेशकों की भावना को प्रभावित करेंगे। अमेरिकी अर्थव्यवस्था से जुड़े आंकड़े, जैसे कि मुद्रास्फीति, रोजगार और ब्याज दरें, वैश्विक निवेशकों के जोखिम लेने की क्षमता को प्रभावित करते हैं, जिसका असर भारतीय बाजारों पर भी पड़ता है। इसके अलावा, भारत-अमेरिका व्यापार वार्ताओं से जुड़े घटनाक्रम पर भी निवेशकों की नजर रहेगी। यदि इन वार्ताओं में कोई ठोस प्रगति होती है, तो यह बाजार के लिए एक सकारात्मक उत्प्रेरक का काम कर सकता है।
बाजार की सीमित दायरे में रहने की उम्मीद
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड में ऐसेट मैनेजमेंट के रिसर्च हेड सिद्धार्थ खेमका ने बाजार के दृष्टिकोण पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कुल मिलाकर हमें उम्मीद है कि बाजार सीमित दायरे में रहेंगे, हालांकि व्यापक सूचकांकों में उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा और इसका मतलब है कि बाजार में कोई बड़ी एकतरफा तेजी या गिरावट की संभावना कम है, लेकिन छोटे-मोटे झटके और रिकवरी देखने को मिल सकती है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर कोई ठोस प्रगति होती है तो इससे बाजार में एक सार्थक तेजी आ सकती है। यह समझौता दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों को मजबूत करेगा और भारतीय। कंपनियों के लिए नए अवसर पैदा कर सकता है, जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा।
आने वाले सप्ताह में निवेशकों को इन सभी प्रमुख मुद्दों पर बारीकी से नजर रखनी होगी। घरेलू आर्थिक आंकड़े, विदेशी निवेश के रुझान, रुपये की चाल और वैश्विक घटनाक्रम मिलकर बाजार की अगली दिशा तय करेंगे। सावधानी और शोध आधारित निवेश इस अस्थिर माहौल में महत्वपूर्ण साबित होंगे।