Science / 2024 में फिर से चांद पर होंगे इंसानों के कदम, अमेरिकी सरकार ने 28 बिलियन डॉलर किए मंजूर

Zee News : Sep 22, 2020, 04:02 PM
वॉशिंगटन: अब फिर से चांद पर इंसानों के कदम पड़ने वाले हैं। नासा ने साल 2024 चांद पर इंसानों को उतारने का बीड़ा उठाया है। इसके लिए अमेरिकी कांग्रेस ने 28 बिलियन डॉलर की रकम मंजूर की है। इस रकम में से 16 बिलियन डॉलर चांद पर उतरने वाले लैंडिंग एयरक्राफ्ट पर खर्च होंगे।


डोनाल्ड ट्रंप के लिए है महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट

अमेरिका में 3 नवंबर को चुनाव है। उससे पहले ही कांग्रेस ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी देने की कोशिशें तेज कर दी हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (US President Donald Trump) ने इसे अपनी प्राथमिकता बताते हुए कहा था कि वह चांद पर फिर से इंसानों के कदम पड़ते देख कर खुश होंगे। 28 बिलियन डॉलर की रकम 2021 से 2025 के बीच के के बजट में से निकाली जाएगी।


नासा पर रहता है राजनीतिक दबाव

नासा के प्रशासनिक अधिकारी और आर्टेमिस मिशन से जुड़े जिम ब्राइडेंस्टाइन (NASA administrator Jim Bridenstine) ने पत्रकारों से फोन पर बातचीत की। उन्होंने कहा कि नासा पर हमेशा राजनीतिक दबाव होता है खासकर चुनाव के समय में चांद पर जाने का प्रोग्राम पहले भी नासा ने बनाया था, लेकिन बराक ओबामा ने अपने राष्ट्रपति शासन काल में इस मिशन को रद्द कर दिया था। वहीं, डोनाल्ड ट्रंप इस मिशन पर कई बिलियन डॉलर की रकम खर्च करने को तैयार हैं।


दक्षिणी ध्रुव पर जाएंगे अंतरिक्ष यात्री

उन्होंने कहा कि अगर क्रिसमस तक अमेरिकी कांग्रेस 3।2 बिलियन डॉलर की रकम मंजूर कर देता है, तब भी हम साल 2024 में चांद पर उतरने के मिशन को पूरा कर लेंगे। उन्होंने कहा कि हम इस बार चांद के दक्षिणी ध्रुव पर जा रहे हैं। पिछले अपोलो मिशन की तरह चांद के उत्तरी ध्रुव पर नहीं।


तीन चरण में पूरा होगा काम

चांद पर इंसानों को भेजने का यह मिशन तीन चरण में में पूरा होगा। चांद पर 2 अंतरिक्ष विज्ञानी जाएंगे, जिसमें से एक महिला होगी, चांद पर जाने की यात्रा ओरियन नाम के अंतरिक्ष यान से होगी।


साल 2021 से 2042 तक चलेगा मिशन

नासा का पहला यान आर्टेमिस-I (Artemis)नवंबर 2021 में उड़ान भरेगा। इसे एसएलएस रॉकेट से भेजा जाएगा, जो अभी टेस्टिंग फेस में है। यह रॉकेट अपने साथ ओरियन कैप्सूल को भी लेकर जाएगा। आर्टेमिस II मिशन साल 2023 में अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर चांद तक जाएगा, लेकिन उसकी सतह पर लैंडिंग नहीं करेगा। और आखिर में आर्टेमिस III चांद की सतह तक जाएगा, जैसे 1969 में अपोलो 11 गया था। आर्टेमिस III काफी लंबे समय तक चांद की सतह पर रुकेगा, करीब 1 सप्ताह तक। और दो से 5 बार बार एक्स्ट्रावेहिकुलर एक्टिविटीज को अंजाम देगा।


अब चांद के बारे में हमारे पास अधिक जानकारी

ब्राइडेंस्टाइन ने कहा के वैज्ञानिकों ने बेहद असाधारण काम को अंजाम देने का बीड़ा उठाया है। इस बार हम वह काम कर रहे हैं जो पहले कभी नहीं हुआ। अपोलो मिशन के समय हमें पता था कि चांद की सतह सूखी है। लेकिन अब हमें पता है कि चांद की सतह पर पानी भी है और बर्फ भी, खासकर जहां हम उतरेंगे चांद के दक्षिणी ध्रुव पर।

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