राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने रविवार, 21 दिसंबर को विकसित भारत-रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) गारंटी बिल, 2025 (वीबी-जी राम जी) को अपनी मंजूरी दे दी है। इस महत्वपूर्ण स्वीकृति के साथ, यह विधेयक अब एक पूर्ण कानून का रूप ले चुका है,। जो ग्रामीण भारत में रोजगार और आजीविका सुरक्षा के परिदृश्य को बदलने के लिए तैयार है। यह नया कानून 20 साल पुराने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की जगह लेगा,। जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों को बढ़ाना और आय सुरक्षा को मजबूत करना है।
कानून का स्वरूप और उद्देश्य
विकसित भारत-रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) गारंटी बिल, 2025, जिसे संक्षेप में वीबी-जी राम जी बिल कहा जा रहा है, को संसद के दोनों सदनों से पहले ही पारित किया जा चुका था। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद, यह अब कानूनी रूप से बाध्यकारी हो गया है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, इस कानून को विकसित भारत 2047 के व्यापक दृष्टिकोण के अनुरूप तैयार किया गया है और इसका प्राथमिक उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में आय सुरक्षा को मजबूत करना और साथ ही टिकाऊ एवं उत्पादक परिसंपत्तियों का निर्माण करना है। सरकार का लक्ष्य इस कानून के माध्यम से समावेशी और संतुलित विकास को बढ़ावा देना है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा मिल सके।
मजदूरी भुगतान और मुआवजा
नए कानून के तहत, ग्रामीण परिवारों को प्रति वित्त वर्ष 125 दिन का वैधानिक मजदूरी रोजगार सुनिश्चित किया जाएगा। यह मनरेगा के तहत पहले से निर्धारित 100 दिनों के रोजगार की तुलना में एक महत्वपूर्ण वृद्धि है। यह वृद्धि ग्रामीण श्रमिकों को अधिक दिनों तक काम और आय प्राप्त। करने का अवसर प्रदान करेगी, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। सरकार इस प्रस्तावित कानून को अगले साल, यानी 1 अप्रैल, 2026 से लागू करने की तैयारी में है। यह कार्यान्वयन ग्रामीण भारत में रोजगार गारंटी के एक नए युग की शुरुआत करेगा, जिससे लाखों परिवारों को सीधा लाभ मिलेगा।
वीबी-जी राम जी कानून के प्रावधानों के तहत, इच्छुक ग्रामीण परिवारों को न्यूनतम 125 दिन का रोजगार देना सरकार की वैधानिक जिम्मेदारी होगी। इसके साथ ही, मजदूरी के भुगतान को लेकर भी स्पष्ट नियम बनाए गए हैं। मजदूरी का भुगतान साप्ताहिक या अधिकतम 15 दिनों के भीतर करना अनिवार्य किया गया है। यह सुनिश्चित करेगा कि श्रमिकों को उनके काम का मेहनताना समय पर मिले और इसके अतिरिक्त, यदि किसी कारणवश तय समयसीमा के भीतर भुगतान नहीं होता है, तो देरी के लिए मुआवजा देने का भी प्रावधान रखा गया है। यह प्रावधान श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा और उन्हें समय पर भुगतान सुनिश्चित करने में मदद करेगा।
संसदीय बहस और सरकार का रुख
यह विधेयक बीते गुरुवार को संसद में विपक्ष के विरोध के बीच पारित हुआ था। ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधेयक पर हुई बहस के दौरान कांग्रेस पर महात्मा गांधी के आदर्शों की हत्या करने का आरोप लगाया, जबकि उन्होंने दावा किया कि मोदी सरकार ने उन आदर्शों को जीवित रखा है। मंत्री ने मनरेगा योजना की जगह नया विधेयक लाने और उसमें से महात्मा गांधी का नाम हटाने को लेकर विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि नए कानून का उद्देश्य ग्रामीण विकास और रोजगार। को और अधिक प्रभावी बनाना है, न कि किसी नाम को हटाना।