राज्यसभा में विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण), 2025 यानी VB-G RAM-G बिल पर चर्चा के दौरान तीखी बहस देखने को मिली. इस बिल का उद्देश्य महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की जगह लेना है. आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने केंद्र सरकार पर. कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि 'राम के नाम पर खेल मत खेलिए. ' उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि महात्मा गांधी राम भक्त थे और राम भगवान भी अपने भक्त का नाम हटाने से खुश नहीं होंगे, बल्कि 'श्राप' देंगे. सिंह ने सवाल उठाया कि क्या इस 'जी राम जी'. योजना से राम का सम्मान हो रहा है या अपमान.
गांधी और राम के नाम पर राजनीति
संजय सिंह ने अपने संबोधन में महात्मा गांधी के वैश्विक सम्मान का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि 80 देशों में गांधी की प्रतिमाएं स्थापित हैं और हाल ही में जी-20 में आए विदेशी मेहमानों ने भी गांधी की समाधि पर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की, न कि गोलवरकर या गोडसे के यहां और इस संदर्भ में, उन्होंने सरकार को आगाह किया कि राम के नाम पर राजनीति न की जाए और उन्हें अपमानित न किया जाए. सिंह ने आशंका व्यक्त की कि यदि इस योजना में भ्रष्टाचार होता है, तो यह कहा जाएगा कि 'भाजपाइयों ने राम जी के नाम पर' भ्रष्टाचार किया है. उन्होंने सरकार की तुलना किसान कानूनों से की, जिन्हें किसानों के डेढ़ साल के विरोध के बाद वापस लेना पड़ा था, और चेतावनी दी कि सरकार वही 'ऐतिहासिक भूल' दोहरा रही है, जिससे मजदूर, किसान और गरीब सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे.
अन्य दलों की प्रतिक्रिया और बिल की मुख्य बातें
संजय सिंह ने अयोध्या में हुए जमीन विवाद का मुद्दा भी उठाया, जिसमें उन्होंने आरोप. लगाया कि सरकार ने गरीब किसानों से 'औने-पौने दाम पर' जमीन लेकर 'अमीरों को' दी. उन्होंने 'लोढ़ा ब्रदर्स' का उदाहरण देते हुए कहा कि 'राम के नाम पर लूट' हुई, यही कारण था कि भाजपा अयोध्या में चुनाव हार गई. उन्होंने सरकार से इस बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग की, ताकि इसकी खामियों पर विस्तृत चर्चा हो सके. इसके अतिरिक्त, सिंह ने मेहराज मलिक और सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी का मुद्दा भी उठाया, जिस पर चेयर ने यह कहते हुए आपत्ति जताई कि मामला 'सब ज्यूडिस' है और रिकॉर्ड में नहीं जाएगा.
अन्नाद्रमुक (AIADMK) के सांसद एम. थंबीदुरई ने बिल का समर्थन किया, लेकिन 60-40 के प्रावधान पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया और उन्होंने यह भी याद दिलाया कि जब महात्मा गांधी के नाम पर योजना बन रही थी, तब डीएमके के दबाव में सरकार ने उसे 'मनरेगा' नाम दिया था, ताकि उसमें एमजीआर का नाम न आ सके. बीजेडी सांसद शुभाशीष खूंटिया ने कहा कि केवल नाम बदलने से मजदूरों का भला नहीं. होगा और बिल में कई खामियां हैं, इसलिए इसे सेलेक्ट कमेटी को भेजा जाना चाहिए. वाईएसआरसीपी (YSRCP) के निरजन रेड्डी ने भी बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग का समर्थन किया. इन भारी विरोधों और हंगामे के बीच, VB-G RAM-G बिल लोकसभा से ध्वनि मत से पारित हो गया, जहां विपक्षी सांसदों ने बिल फाड़कर संसद में फेंक दिया और वेल में पहुंचकर नारेबाजी की और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोकसभा में कहा कि कांग्रेस ने कभी गांधी की बात नहीं मानी, जबकि भाजपा गांधी जी को मानती है.
VB-G RAM-G बिल बनाम मनरेगा: मुख्य अंतर
VB-G RAM-G बिल मनरेगा की तुलना में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित करता है. नई योजना में 125 दिन के रोजगार का नियम है, जबकि मनरेगा में 100 दिन का रोजगार मिलता था और मनरेगा में पूरा खर्च केंद्र सरकार वहन करती थी, लेकिन नई स्कीम में केंद्र के साथ-साथ राज्यों को भी आर्थिक योगदान देना होगा. राज्यों के हिसाब से योगदान का अनुपात अलग-अलग हो सकता है और फंड के मामले में, अब 90:10 के बजाय 60:40 का फॉर्मूला होगा, जिसका अर्थ है कि राज्यों की हिस्सेदारी और जिम्मेदारी दोनों बढ़ेंगी. इसके अतिरिक्त, नई स्कीम में काम के हिसाब से पंचायतों की ग्रेडिंग की जाएगी, यानी जहां जैसा काम होगा, वैसी ही ग्रेडिंग होगी, जो व्यवस्था अभी मनरेगा में नहीं थी. इन बदलावों को लेकर ही विपक्षी दल अपनी चिंताएं व्यक्त कर रहे हैं और. बिल को अधिक जांच के लिए सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग कर रहे हैं.