- भारत,
- 21-Jun-2025 11:05 AM IST
Israel-Iran War: संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के महानिदेशक राफेल ग्रॉसी ने एक गंभीर चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि यदि इज़रायल ने ईरान के बुशहर परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर हमला किया, तो यह मध्य पूर्व में एक भयावह परमाणु आपदा को जन्म दे सकता है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक आपातकालीन बैठक को संबोधित करते हुए ग्रॉसी ने कहा कि इस हमले के "विनाशकारी परिणाम" हो सकते हैं।
बुशहर पर हमला: आपदा का द्वार
ग्रॉसी ने बताया कि बुशहर परमाणु संयंत्र में हज़ारों किलोग्राम परमाणु सामग्री मौजूद है और यह रिएक्टर मध्य पूर्व का पहला नागरिक परमाणु केंद्र है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर संयंत्र पर सीधे हमला हुआ या इसकी बिजली आपूर्ति बाधित हुई, तो इससे शीतलन प्रणाली फेल हो सकती है, जिससे रिएक्टर मेल्टडाउन जैसी खतरनाक स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
"सबसे गंभीर स्थिति में, बुशहर के सैकड़ों किलोमीटर के दायरे में बसे लोगों को स्थल खाली करने और शरण लेने का आदेश देना पड़ सकता है। इससे खाड़ी क्षेत्र की अरब राजशाहियाँ भी प्रभावित होंगी, जो वैश्विक तेल आपूर्ति में प्रमुख भूमिका निभाती हैं," ग्रॉसी ने कहा।
विकिरण का खतरा और मानवीय संकट
IAEA प्रमुख के अनुसार, संभावित हमले की स्थिति में रेडियोधर्मी उत्सर्जन से बचने के लिए लोगों को आयोडीन टैबलेट का सेवन करना पड़ सकता है। साथ ही खाद्य आपूर्ति और जल संसाधनों पर प्रतिबंध जैसी कठिनाइयाँ उत्पन्न हो सकती हैं। यहां तक कि यदि केवल बिजली आपूर्ति पर हमला होता है, तब भी वह संयंत्र की सुरक्षा प्रणाली को निष्क्रिय कर सकता है।
"यह ईरान का ऐसा परमाणु स्थल है, जहां परिणाम सबसे भयावह हो सकते हैं," ग्रॉसी ने स्पष्ट किया।
नेतन्याहू का आक्रामक रुख
इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को "इज़रायल के अस्तित्व के लिए खतरा" बताते हुए इसे नष्ट करने की कसम खाई है। उनका कहना है, “जब तक ज़रूरत होगी, हम लड़ते रहेंगे।” वहीं ईरान का दावा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है। लेकिन 60% तक यूरेनियम संवर्धन करने की उसकी नीति ने इज़रायल और पश्चिमी देशों को और अधिक चिंतित कर दिया है।
जंग का नौवां दिन: बढ़ते हताहत
13 जून को इज़रायल के आश्चर्यजनक हमले से शुरू हुआ संघर्ष लगातार तेज़ हो रहा है। इज़रायल ने ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हमले किए हैं, जिसमें शीर्ष वैज्ञानिक और जनरल मारे गए हैं। वॉशिंगटन स्थित ईरानी मानवाधिकार संगठन के अनुसार, ईरान में अब तक 657 लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें 263 आम नागरिक शामिल हैं। वहीं इज़राइल पर 450 मिसाइलें और 1,000 ड्रोन दागे जा चुके हैं, जिसमें 24 लोगों की मौत और सैकड़ों घायल होने की पुष्टि हुई है।