- भारत,
- 30-Jun-2025 10:10 PM IST
Emmanuel Macron: फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने ईरान के साथ हालिया सीजफायर के बाद इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की नीतियों की कड़ी निंदा की है। मैक्रों ने न केवल ईरान पर इजराइली हमलों की आलोचना की, बल्कि इन हमलों में मारे गए ईरानी अधिकारियों के प्रति संवेदना भी व्यक्त की। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि इजराइल को ईरान के परमाणु कार्यक्रम में हस्तक्षेप करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।
मैक्रों और पेजेश्कियान के बीच बातचीत
रविवार को मैक्रों ने ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान से फोन पर बातचीत की। मेहर न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान मैक्रों ने ईरान के अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के साथ सहयोग समाप्त करने के फैसले पर चिंता जताई। जवाब में, पेजेश्कियान ने कहा कि IAEA के डायरेक्टर राफेल ग्रॉसी द्वारा ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर गलत जानकारी देने के कारण यह कदम उठाया गया, जिसने इजराइल को आक्रामकता का मौका दिया।
इजराइल पर मैक्रों का हमला
मैक्रों ने बातचीत में इजराइल के हमलों में मारे गए ईरानियों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की और कहा कि फ्रांस इन हमलों की निंदा करने वालों में सबसे आगे था। उन्होंने बेंजामिन नेतन्याहू का नाम लेते हुए कहा कि उनके शासन को ईरान के परमाणु कार्यक्रम में हस्तक्षेप करने का कोई कानूनी आधार नहीं है। मैक्रों ने यह भी आश्वासन दिया कि फ्रांस IAEA के नियमों के कार्यान्वयन के संबंध में ईरान की चिंताओं को समझता है और तेहरान के साथ सहयोग जारी रखेगा।
दोहरे मापदंडों की शिकायत
ईरानी राष्ट्रपति पेजेश्कियान ने कहा कि इजराइल के परमाणु हथियारों की तुलना में ईरान की शांतिपूर्ण परमाणु गतिविधियों के साथ दोहरे मापदंड अपनाए गए हैं। उन्होंने बताया कि ईरान की सभी परमाणु गतिविधियां IAEA की निगरानी में हैं, फिर भी अमेरिका और इजराइल ने इन्हें निशाना बनाया। पेजेश्कियान ने जोर देकर कहा कि इजराइल परमाणु अप्रसार संधि (NPT) का सदस्य नहीं है और वह लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन कर रहा है।
भविष्य में हमले की आशंका
पेजेश्कियान ने मैक्रों से सवाल किया कि इस बात की क्या गारंटी है कि भविष्य में ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमला नहीं होगा। उन्होंने IAEA के हालिया व्यवहार पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे ईरानी जनता का विश्वास डगमगा गया है। पेजेश्कियान ने जोर दिया कि IAEA और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों को शांति और सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने होंगे ताकि विश्वास बहाल हो सके।