आनंद एल राय द्वारा निर्देशित फिल्म 'तेरे इश्क में' नवंबर में सिनेमाघरों में रिलीज हुई, जिसने दर्शकों के बीच काफी उत्सुकता जगाई थी. कई दर्शक, विशेष रूप से 2013 की हिट फिल्म 'रांझणा' के प्रशंसक, इसके सीक्वल या इसी तरह की भावनात्मक कहानी की उम्मीद कर रहे थे. जब फिल्म के निर्देशक ने स्पष्ट किया कि यह सीक्वल नहीं है, बल्कि एक नई कहानी है, तब भी धनुष को एक बार फिर शंकर के रूप में देखने की संभावना ने उत्साह को चरम पर पहुंचा दिया था. फिल्म का टीज़र और ट्रेलर जारी होने के बाद, बनारस के. घाटों पर इसका जोरदार प्रचार किया गया, जिससे उम्मीदें और बढ़ गईं.
'रांझणा' से तुलना और उम्मीदें
'रांझणा' के साथ 'तेरे इश्क में' की तुलना स्वाभाविक थी, खासकर धनुष की वापसी और आनंद एल राय के निर्देशन के कारण और दर्शकों को एक ऐसी प्रेम कहानी की उम्मीद थी जो 'रांझणा' की तरह ही दिल को छू जाए और लंबे समय तक याद रहे. फिल्म के प्रचार ने भी इस तुलना को हवा दी, जिससे लोगों को लगा कि उन्हें एक और गहन और भावुक प्रेम गाथा देखने को मिलेगी और हालांकि, जब फिल्म 28 नवंबर को रिलीज हुई, तो यह उम्मीदें पूरी तरह से बदल गईं, और कई दर्शकों को सिनेमाघरों से उदासी के साथ लौटना पड़ा, क्योंकि फिल्म उनकी अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर पाई.
कमजोर प्रेम कहानी
फिल्म की केंद्रीय प्रेम कहानी, जिसमें धनुष और कृति सेनन मुख्य भूमिका में थे, दर्शकों को प्रभावित करने में विफल रही और यह एक ऐसी कहानी थी जो शुरू तो हुई, लेकिन कहीं पहुंचती नहीं दिखी. फिल्म में कोई भी ऐसा दृश्य नहीं था जहां धनुष और कृति के बीच का भावनात्मक जुड़ाव इतना गहरा हो कि दर्शकों की आंखों में आंसू आ जाएं और प्रेम कहानी में गहराई और स्पष्टता की कमी महसूस हुई, जिससे यह एकतरफा और अधूरी सी लगी. दर्शकों को यह समझने में मुश्किल हुई कि कृति के किरदार का धनुष के प्रति क्या रुख था, जिससे प्रेम कहानी का प्रभाव कमजोर पड़ गया.
पिता-पुत्र का अटूट बंधन
जहां प्रेम कहानी ने निराश किया, वहीं धनुष के किरदार शंकर और. उनके पिता के बीच का रिश्ता फिल्म का सबसे मजबूत स्तंभ बनकर उभरा. यह रिश्ता इतना गहरा और मार्मिक था कि इसने पूरी फिल्म का भार अपने कंधों पर उठा लिया. एक ऐसा पिता जो अपने बेटे को हर हाल में खुश देखना चाहता है, उसे हर कदम पर सहारा. देता है, और उसके लिए कुछ भी करने को तैयार रहता है, यह चित्रण दर्शकों के दिलों को छू गया. वहीं, बेटे का अपने पिता के प्रति प्यार और सम्मान भी बखूबी. दर्शाया गया, जिससे यह रिश्ता और भी विश्वसनीय और भावनात्मक बन गया.
प्रकाश राज का शानदार अभिनय
प्रकाश राज ने धनुष के पिता की भूमिका में असाधारण प्रदर्शन किया. उनके अभिनय ने इस रिश्ते को जीवंत कर दिया. जिस भी दृश्य में प्रकाश राज और धनुष एक साथ स्क्रीन पर आए, वहां या तो खुशी का माहौल बना या फिर दर्शकों की आंखें आंसुओं से भर गईं और उनकी केमिस्ट्री इतनी शानदार थी कि इसने दर्शकों को कहानी से गहराई से जोड़ दिया. प्रकाश राज ने अपने किरदार के साथ पूरा न्याय किया, और उनकी दमदार उपस्थिति ने फिल्म को एक भावनात्मक आधार प्रदान किया, जो प्रेम कहानी की कमी को पूरा करने में सहायक रहा.
पंडित का यादगार संवाद
फिल्म में कुछ ही संवाद ऐसे थे जो दर्शकों के मन पर गहरा. प्रभाव छोड़ पाए, और उनमें से एक शंकर के पिता से जुड़ा था. शंकर के पिता की मृत्यु के बाद, 'रांझणा' के पंडित की एंट्री होती है, जो शंकर से कहता है, “देख तेरे इश्क में तेरा बाप जल गया. ” यह संवाद फिल्म के सबसे प्रभावशाली पलों में से एक था, जिसने पिता-पुत्र के रिश्ते की गहराई और उसके दर्द को बखूबी व्यक्त किया और यह संवाद दर्शकों के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ा और फिल्म के मुख्य संदेश को उजागर करने में मदद की.
अभिनय ने बचाई फिल्म
कुल मिलाकर, 'तेरे इश्क में' की कहानी कमजोर थी और. इसके गाने भी उतने यादगार नहीं थे जितने 'रांझणा' के थे. हालांकि, फिल्म के कलाकारों, विशेषकर प्रकाश राज और धनुष के शानदार अभिनय ने इसे बचा लिया. उनकी दमदार परफॉर्मेंस ने दर्शकों को फिल्म से जोड़े रखा, भले ही मुख्य प्रेम कहानी में कमी थी. अगर यह फिल्म पूरी तरह से बाप-बेटे के रिश्ते पर केंद्रित होती, तो शायद इसे और भी अधिक सराहा जाता, क्योंकि दर्शकों ने केवल इन दो किरदारों से ही सबसे गहरा जुड़ाव महसूस किया और पिता के जाने का दुख ऐसा लगा जैसे अपना ही कोई नुकसान हुआ हो, जो इन किरदारों की सफलता का प्रमाण है.