India-Bangladesh News / भारत का बांग्लादेश को दो टूक जवाब: आरोपों को नकारा, शांतिपूर्ण चुनाव का समर्थन

भारत ने बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार के उन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है कि उसकी जमीन का इस्तेमाल बांग्लादेश विरोधी गतिविधियों के लिए किया जा रहा है। भारत ने अपनी जमीन का इस्तेमाल पड़ोसी मुल्क के खिलाफ न होने देने की प्रतिबद्धता दोहराई और बांग्लादेश में स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव के लिए समर्थन व्यक्त किया।

भारत ने मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा लगाए गए आरोपों को दृढ़ता से और स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है और नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय (एमईए) ने स्पष्ट रूप से कहा है कि भारतीय क्षेत्र का उपयोग कभी भी उसके मित्र पड़ोसी, बांग्लादेश के हितों के लिए हानिकारक किसी भी गतिविधि के लिए नहीं किया गया है और न ही कभी किया जाएगा। यह कूटनीतिक प्रतिक्रिया ढाका द्वारा जारी एक हालिया प्रेस नोट के बाद आई है, जिसमें ऐसे दावे किए गए थे जिन्हें भारत ने पूरी तरह से निराधार बताया है। विदेश मंत्रालय का बयान भारत की गैर-हस्तक्षेप की सुसंगत नीति और अपने सभी पड़ोसियों, विशेष रूप से बांग्लादेश के साथ स्थिर। और मैत्रीपूर्ण संबंध बनाने की उसकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है, जिसके साथ वह गहरे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध साझा करता है। यह खंडन कूटनीतिक तनाव के एक क्षण को उजागर करता है, क्योंकि भारत अपनी स्थिति स्पष्ट। करना चाहता है और बांग्लादेशी आरोपों से उत्पन्न किसी भी गलतफहमी को दूर करना चाहता है।

आरोपों की उत्पत्ति: ढाका का प्रेस नोट

यह विवाद 14 दिसंबर, 2025 को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा जारी एक प्रेस नोट से उत्पन्न हुआ। जबकि भारतीय विदेश मंत्रालय के सार्वजनिक बयान में प्रेस नोट के भीतर के दावों का विशिष्ट विवरण पूरी तरह से स्पष्ट नहीं किया गया था, भारतीय सरकार की प्रतिक्रिया इंगित करती है कि ये दावे बांग्लादेश के प्रति शत्रुतापूर्ण गतिविधियों के लिए भारतीय भूमि के कथित उपयोग से संबंधित थे और ढाका से इस आधिकारिक संचार ने नई दिल्ली से त्वरित और निर्णायक प्रतिक्रिया को प्रेरित किया, जिसने आरोपों को सीधे और सार्वजनिक रूप से संबोधित करना आवश्यक समझा। उल्लिखित तिथि, 14 दिसंबर, 2025, मूल स्रोत में एक भविष्योन्मुखी या शायद एक टाइपो का सुझाव देती है, लेकिन भारत की प्रतिक्रिया स्पष्ट रूप से बांग्लादेश से एक हालिया और विशिष्ट संचार के लिए है और कूटनीतिक आदान-प्रदान सीमा पार संबंधों की संवेदनशीलता और संप्रभु राज्यों के बीच स्पष्ट संचार चैनलों के महत्व को रेखांकित करता है।

बांग्लादेश के विशिष्ट आरोप और कूटनीतिक तलब

भारत के आधिकारिक खंडन से पहले, बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने ढाका में भारतीय उच्चायोग को तलब किया था। इस कूटनीतिक बैठक के दौरान, बांग्लादेश ने कथित तौर पर पूर्व प्रधान मंत्री शेख हसीना के बयानों पर आपत्ति दर्ज कराई थी। शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश के आरोप का मूल यह था कि वह कथित तौर पर विदेश में रहते हुए हिंसा भड़काने का प्रयास कर रही थीं। यह विशेष आरोप, हालांकि शेख हसीना के कार्यों के संदर्भ में भारत द्वारा सीधे संबोधित नहीं किया गया था, व्यापक कूटनीतिक विवाद के लिए एक महत्वपूर्ण पृष्ठभूमि बनाता है। भारतीय उच्चायोग को तलब करने का बांग्लादेश का निर्णय उन कथित गतिविधियों और। बयानों को गंभीरता से दर्शाता है, जिसके कारण एक औपचारिक कूटनीतिक विरोध हुआ। अपने व्यापक बयान में, भारत ने बांग्लादेश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए अपने दृढ़ समर्थन को दोहराया।

विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश में "स्वतंत्र, समावेशी, निष्पक्ष और विश्वसनीय चुनावों" की वकालत करने वाली भारत की सुसंगत स्थिति पर जोर दिया और इसके अलावा, भारत ने "शांतिपूर्ण माहौल" में इन चुनावों के संचालन के महत्वपूर्ण महत्व पर जोर दिया। यह रुख लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति भारत की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता और अपने पड़ोसी देश में एक स्थिर और लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार देखने की उसकी इच्छा को दर्शाता है। एक शांतिपूर्ण चुनावी प्रक्रिया के लिए भारत का समर्थन बांग्लादेश के प्रति उसकी विदेश नीति का एक आधारशिला है, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि सुनिश्चित करना है।

क्षेत्रीय अखंडता और मैत्रीपूर्ण संबंधों की पुष्टि

भारतीय विदेश मंत्रालय ने उस आरोप का स्पष्ट रूप से खंडन किया जिसमें कहा गया था कि भारतीय क्षेत्र का उपयोग बांग्लादेश के हितों के खिलाफ किया जा रहा था। बयान में स्पष्ट रूप से घोषणा की गई कि भारत ने "कभी भी अपने क्षेत्र का उपयोग बांग्लादेश के मित्रवत लोगों के हितों के लिए शत्रुतापूर्ण गतिविधियों के लिए नहीं होने दिया है। " यह दावा अपने पड़ोसियों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने और अपनी सीमाओं की पवित्रता बनाए रखने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है। यह भारत और बांग्लादेश के लोगों के बीच गहरे जड़ वाले मैत्रीपूर्ण संबंधों को भी उजागर करता है, इस बात पर जोर देता है कि इस दोस्ती को नुकसान पहुंचा सकने वाले कोई भी कार्य भारत की नीति के विपरीत हैं।

कानून और व्यवस्था तथा शांतिपूर्ण चुनावों का आह्वान

अपने बयान का समापन करते हुए, भारत ने बांग्लादेश से अपनी सीमाओं के भीतर कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया। यह अपील शांतिपूर्ण चुनावी प्रक्रिया के लिए भारत की इच्छा से सीधे जुड़ी हुई है और बांग्लादेश से आंतरिक स्थिरता सुनिश्चित करने का आह्वान करके, भारत परोक्ष रूप से सुझाव देता है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के सफल संचालन के लिए एक अनुकूल वातावरण आवश्यक है। यह कूटनीतिक अनुरोध बांग्लादेश की आंतरिक स्थिरता के लिए भारत की चिंता और उसके विश्वास को रेखांकित करता है कि कानून और व्यवस्था बनाए रखना बांग्लादेशी लोगों की लोकतांत्रिक आकांक्षाओं को बिना किसी बाधा या हिंसा के साकार करने के लिए सर्वोपरि है। भारत का संदेश स्पष्ट है: एक विश्वसनीय लोकतांत्रिक संक्रमण के लिए एक शांतिपूर्ण आंतरिक स्थिति महत्वपूर्ण है।