CPA Report / भारत अल्पसंख्यकों के लिए है सबसे बेस्ट, पाकिस्तान के मुंह पर तमाचा है ये रिपोर्ट

Zoom News : Feb 07, 2023, 11:23 AM
CPA Report: पाकिस्तान लगातार गाल बजाता रहता है कि भारत में अल्पसंख्यकों पर जुल्म हो रहा है. कश्मीर को लेकर बेबुनियादी दावे करता है. कई इस्लामी देशों का साथ लेकर दावा करने वाले पाकिस्तान को सीपीए (Centre For Policy Analysis) जरूर पढ़नी चाहिए.

वैश्विक अल्पसंख्यकों पर सेंटर फॉर पॉलिसी एनालिसिस (CPA Report) की एक रिपोर्ट में धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति समावेशी उपायों के लिए भारत को 110 देशों में नंबर एक के रूप में स्थान दिया गया है. सेंटर फॉर पॉलिसी एनालिसिस (CPA) एक रिसर्च सेंटर है, जिसका हेडक्वार्टर भारत के पटना में है. 110 देशों में भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सबसे अच्छी स्थिति है. इसके बाद दक्षिण कोरिया, जापान, पनामा और अमेरिका का स्थान है.

अफगानिस्तान, सोमालिया सूची में सबसे नीचे

रिपोर्ट में कहा गया है कि मालदीव, अफगानिस्तान और सोमालिया सूची में सबसे नीचे हैं, यूके और यूएई 54वें और 61वें स्थान पर हैं. सीपीए रिपोर्ट के अनुसार भारत की अल्पसंख्यक नीति विविधता बढ़ाने पर जोर देती है. भारत के संविधान में संस्कृति और शिक्षा में धार्मिक अल्पसंख्यकों की उन्नति के लिए विशेष प्रावधान हैं. रिपोर्ट के अनुसार, किसी अन्य संविधान में भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यकों को बढ़ावा देने के लिए कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है.

किसी भी धार्मिक संप्रदाय पर कोई प्रतिबंध नहीं

रिपोर्ट इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे, कई अन्य देशों के विपरीत, भारत में किसी भी धार्मिक संप्रदाय पर कोई प्रतिबंध नहीं है. मॉडल की समावेशिता और कई धर्मों और उनके संप्रदायों के खिलाफ भेदभाव की कमी के कारण संयुक्त राष्ट्र भारत की अल्पसंख्यक नीति को अन्य देशों के लिए एक मॉडल के रूप में उपयोग कर सकता है.

भारत की सबसे बेस्ट पॉलिसी

रिपोर्ट में भारत की अल्पसंख्यक नीति पर प्रकाश डाला गया है जिसकी समय-समय पर समीक्षा और फिर से जांच की जानी चाहिए. इसमें आगे कहा गया है कि यदि भारत देश को संघर्षों से मुक्त रखना चाहता है तो उसे अल्पसंख्यकों के प्रति अपने दृष्टिकोण को तर्कसंगत बनाना होगा. CPA द्वारा बनाई गई वैश्विक अल्पसंख्यक रिपोर्ट का उद्देश्य भी विश्व समुदाय को विभिन्न देशों में उनकी आस्था के आधार पर अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव पर शिक्षित करना है. यह रिसर्च उन मुद्दों पर भी विचार करता है जिनसे विभिन्न धार्मिक समूह और संप्रदाय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निपटते हैं.

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