Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म कराने में जुटे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के "ट्रंप कार्ड" से यूक्रेन चारों खाने चित्त नजर आ रहा है। वहीं रूस भी ट्रंप के कहने पर यूक्रेन युद्ध पर बातचीत को राजी हो गया है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन स्वयं डोनाल्ड ट्रंप से इस मुद्दे पर मिलने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं। पहले दौर की वार्ता रूस और अमेरिकी अधिकारियों के बीच सऊदी अरब के रियाद में हो चुकी है। हालांकि इस वार्ता में यूक्रेन शामिल नहीं था, जिससे यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की नाराज हैं।
जेलेंस्की का विरोध
जेलेंस्की का कहना है कि ट्रंप रूस की गलत सूचना पर भरोसा कर रहे हैं। इसलिए यूक्रेन रूस और अमेरिका के बीच हुई किसी भी बात और समझौते को नहीं मानेगा। दूसरी तरफ, जेलेंस्की की इस टिप्पणी से नाखुश ट्रंप ने उन्हें मामूली कॉमेडियन कहकर मजाक उड़ाया है। ट्रंप ने कहा है कि यूक्रेन अमेरिका से उस युद्ध के लिए 350 बिलियन डॉलर से अधिक चाहता था, जिसे कभी जीता नहीं जा सकता। मगर जेलेंस्की ने बाइडेन प्रशासन का उपयोग किया और अमेरिका का फायदा उठाया। इस वजह से ट्रंप और जेलेंस्की के बीच तनाव बढ़ गया है।
रूस की स्थिति
क्या अमेरिका और यूक्रेन के बीच पैदा हुए इस तनाव का फायदा रूस को होने जा रहा है? क्या रूस ट्रंप के ही ट्रंप कार्ड से खेल रहा है? दुनिया भर के विशेषज्ञ इस पर अपनी राय दे रहे हैं। लीना सुरज़्को हार्नेड, एसोसिएट टीचिंग प्रोफेसर, राजनीति विज्ञान, पेनसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी, के अनुसार, जेलेंस्की को 18 फरवरी को सऊदी अरब में हुई उनके देश के भविष्य से संबंधित चर्चा से बाहर रखा गया। इस वार्ता में न तो कोई यूक्रेनी प्रतिनिधि था और न ही यूरोपीय संघ का कोई सदस्य। वार्ता में केवल अमेरिकी एवं रूसी प्रतिनिधिमंडल और उनके सऊदी मेजबान थे। इस बैठक का रूस में हर्षोल्लास से स्वागत किया गया।
अमेरिका पुतिन की नीति पर चल रहा?
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका पुतिन की नीति के अनुरूप आगे बढ़ रहा है। यूक्रेन के भविष्य के बारे में निर्णय लेने में उसकी कोई भूमिका न होना, पुतिन की अपने पड़ोसी देश को कमजोर करने की नीति के अनुसार है। पुतिन लंबे समय से यूक्रेन की सरकार की वैधता को अस्वीकार करते रहे हैं। हालांकि, अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने कहा है कि भविष्य की चर्चाओं में किसी न किसी स्तर पर यूक्रेन को शामिल किया जाएगा, लेकिन ट्रंप प्रशासन के कार्यों और बयानों ने यूक्रेन की स्थिति को कमजोर किया है। अमेरिका अब रूस की उस योजना के अनुरूप चल रहा है, जिसमें वह यूक्रेन सरकार को अवैध ठहराने की कोशिश कर रहा है और शांति समझौते के तहत यूक्रेन में चुनाव कराने की वकालत कर रहा है।
अमेरिका द्वारा यूक्रेन को बदनाम करना
विशेषज्ञों के अनुसार जेलेंस्की की वैधता पर सवाल उठाना, यूक्रेन के प्रमुख सहयोगियों से उसके समर्थन को कमजोर करने की रूस की रणनीति का हिस्सा हो सकता है। इस बीच, पुतिन ने दावा किया है कि उनका देश शांति वार्ता के लिए तैयार है, लेकिन कई पर्यवेक्षकों को उनके इस दावे पर संदेह है। रूस के हमले अभी भी जारी हैं, और उसने किसी भी अस्थायी युद्धविराम समझौते को स्वीकार नहीं किया है। रूस यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि यूक्रेन में ऐसा कोई वैध नेता नहीं है, जिससे वह बातचीत कर सके।
सऊदी अरब की बैठक में शर्तें तय करना
सऊदी अरब में हुई बैठक में अमेरिका ने शांति समझौते के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में यूक्रेन में चुनावों पर चर्चा की। ट्रंप ने 18 फरवरी को संवाददाता सम्मेलन में कहा था, "हमारे पास ऐसी स्थिति है कि यूक्रेन में चुनाव नहीं हुए हैं। वहां 'मार्शल लॉ' है।" विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप ने गलत दावा किया कि जेलेंस्की की स्वीकृति रेटिंग "चार प्रतिशत" रह गई है, जबकि ताजा सर्वेक्षणों में यह 57 प्रतिशत पाई गई है।
जेलेंस्की चुनाव से पीछे नहीं हट रहे
विशेषज्ञों के अनुसार, जेलेंस्की चुनावों के खिलाफ नहीं हैं। उन्होंने कहा है कि चुनाव सही समय पर होने चाहिए। जेलेंस्की ने दो जनवरी को कहा था कि "मार्शल लॉ खत्म होने के बाद संसद चुनाव की तारीख तय करेगी।" उन्होंने चार जनवरी को कहा था कि "युद्ध के दौरान चुनाव नहीं हो सकते।" यूक्रेन में विपक्षी नेता भी इस बात से सहमत हैं कि अभी चुनाव के लिए सही समय नहीं है। जेलेंस्की के मुख्य राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी पेट्रो पोरोशेंको और विपक्षी गोलोस पार्टी की नेता इना सोवसुन ने भी युद्धकालीन चुनावों के विचार को खारिज कर दिया है।
निष्कर्ष
रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर ट्रंप की नीति विवादों में है। रूस और अमेरिका के बीच हुई वार्ता से यूक्रेन को बाहर रखने के फैसले से जेलेंस्की और ट्रंप के बीच तनाव बढ़ गया है। रूस इस स्थिति का लाभ उठाने की कोशिश कर रहा है, और अमेरिका के कदमों से यूक्रेन की स्थिति कमजोर होती दिख रही है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आने वाले दिनों में अमेरिका, रूस और यूक्रेन के बीच यह संकट कैसे सुलझता है।