Tesla In India / क्या भारत आ रही है टेस्ला, इंडिया के लिए Linkedin पर निकाली नौकरियां

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की टैरिफ नीति के बीच पीएम मोदी की यूएस यात्रा में एलन मस्क से मुलाकात के बाद टेस्ला ने भारत में हायरिंग शुरू कर दी है। 13 पदों पर भर्ती के साथ टेस्ला की एंट्री के संकेत मिल रहे हैं। यह भारत की नई ईवी नीति और व्यापार रणनीति का नतीजा है।

Tesla In India: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया अमेरिकी यात्रा और टेस्ला के सीईओ एलन मस्क से उनकी मुलाकात का असर अब साफ तौर पर दिखने लगा है। टेस्ला ने भारत में हायरिंग शुरू कर दी है, जिससे संकेत मिलता है कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) उद्योग को लेकर नए अवसर खुल रहे हैं।

टेस्ला की भारत में हायरिंग की शुरुआत

अमेरिकी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता टेस्ला ने भारत में 13 पदों के लिए भर्तियां शुरू की हैं, जिनमें सेवा सलाहकार, पार्ट्स सलाहकार, सेवा तकनीशियन, सेवा प्रबंधक, बिक्री एवं ग्राहक सहायता, स्टोर प्रबंधक, ग्राहक सहायता पर्यवेक्षक, वितरण संचालन विशेषज्ञ, ऑर्डर संचालन विशेषज्ञ, आंतरिक बिक्री सलाहकार और उपभोक्ता सहभागिता प्रबंधक जैसी भूमिकाएं शामिल हैं। ये भर्तियां मुंबई उपनगरीय क्षेत्र के लिए की जा रही हैं, जिससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि टेस्ला जल्द ही भारतीय बाजार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की तैयारी में है।


वर्षों से चल रही थी तैयारी

भारत सरकार पिछले कई वर्षों से टेस्ला को आकर्षित करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उच्च आयात शुल्क और करों के कारण टेस्ला भारत में अपनी इकाइयां स्थापित करने से हिचकिचा रही थी। अब जब डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति हैं और उनके टैरिफ वॉर को देखते हुए भारत ने अपनी व्यापार नीति में बदलाव किया है, जिससे टेस्ला जैसी कंपनियों को भारत में निवेश के लिए प्रोत्साहन मिल रहा है। हाल ही में घोषित ईवी नीति के तहत सरकार 50 करोड़ डॉलर से अधिक का निवेश करने वाली कंपनियों को आयात शुल्क में रियायत देने को तैयार है।

मोदी-मस्क बैठक और टेस्ला का भारत में प्रवेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एलन मस्क की बैठक के बाद भारत में टेस्ला की हायरिंग की शुरुआत यह दर्शाती है कि दोनों पक्षों के बीच करों और टैरिफ को लेकर सहमति बनी है। ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत को "टैरिफ किंग" कहे जाने के बावजूद, अब ऐसा प्रतीत होता है कि भारत ने अपनी नीतियों में बदलाव कर वैश्विक कंपनियों के लिए व्यापार करने का रास्ता आसान बना दिया है।

अमेरिका-भारत व्यापार संबंधों पर प्रभाव

टेस्ला की भारत में एंट्री का असर न केवल भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर पड़ेगा, बल्कि यूरोप और अन्य देशों का भारत को लेकर नजरिया भी बदल सकता है। यदि टेस्ला सफलतापूर्वक भारतीय बाजार में प्रवेश करती है, तो अन्य वैश्विक ईवी निर्माता कंपनियां भी भारत में निवेश करने के लिए आगे आ सकती हैं।

चीन पर प्रभाव

टेस्ला की भारत में एंट्री से चीन की स्थिति पर असर पड़ सकता है। पहले एप्पल और अब टेस्ला जैसे बड़े ब्रांड्स भारत की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि भारत धीरे-धीरे चीन के विकल्प के रूप में उभर रहा है। कई भारतीय राज्य, जैसे कि तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना, टेस्ला को आकर्षित करने के लिए विभिन्न योजनाएं लेकर आए हैं। यदि टेस्ला भारत में अपनी विनिर्माण इकाई स्थापित करती है, तो यह चीन के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है।

निवेश की संभावनाएं

एलन मस्क के भारत आने की अटकलें करीब डेढ़ साल से लगाई जा रही थीं, और तब अनुमान था कि टेस्ला भारत में 3 से 5 अरब डॉलर (25,000 से 40,000 करोड़ रुपये) का निवेश कर सकती है। लेकिन अब जब परिस्थितियां बदल रही हैं, तो यह निवेश 65,000 से 80,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।

निष्कर्ष

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी यात्रा और एलन मस्क के साथ उनकी बैठक का सीधा प्रभाव अब भारतीय व्यापार पर दिख रहा है। टेस्ला की भारत में एंट्री न केवल ईवी सेक्टर को बढ़ावा देगी, बल्कि भारत को एक प्रमुख विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने में भी मदद करेगी। चीन से हटकर भारत में निवेश का यह रुझान आने वाले वर्षों में और मजबूत हो सकता है, जिससे भारत वैश्विक व्यापार मानचित्र पर एक नई ऊंचाई हासिल कर सकता है।