जयपुर शहर के निवासियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है, खासकर उन परिवारों के लिए जिनके बच्चों को विशेष चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता होती है। शहर के प्रतिष्ठित जेके लोन अस्पताल परिसर में एसएमएस अस्पताल की तर्ज पर एक अत्याधुनिक 11 मंजिला आइपीडी (इन-पेशेंट डिपार्टमेंट) टावर के निर्माण की कवायद शुरू हो गई है। 74 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से बनने वाला यह टावर, अस्पताल की सुविधाओं में। अभूतपूर्व वृद्धि करेगा और बच्चों के इलाज के लिए लोगों को अब भटकना नहीं पड़ेगा। यह पहल राजस्थान और पड़ोसी राज्यों से आने वाले लाखों बच्चों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करेगी।
विशालकाय 11 मंजिला IPD टावर की संरचना
जेके लोन अस्पताल में प्रस्तावित आइपीडी टावर एक भव्य और आधुनिक संरचना होगी, जिसमें कुल 11 मंजिलें होंगी। इस योजना के अनुसार, टावर में तीन मंजिला बेसमेंट पार्किंग की सुविधा होगी, जो अस्पताल आने वाले मरीजों के परिजनों और स्टाफ के लिए पार्किंग की समस्या को काफी हद तक हल करेगी। इसके ऊपर आठ मंजिला भवन में विभिन्न वार्ड बनाए जाएंगे, जिससे अस्पताल की भर्ती क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। यह निर्माण बच्चों के इलाज के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
बेड की कमी को दूर करने का समाधान
जेके लोन अस्पताल में सालाना 5 लाख से अधिक बच्चे इलाज के लिए ओपीडी में पहुंचते हैं, जिनमें से 60 हजार से अधिक बच्चों को भर्ती करने की आवश्यकता होती है और इस भारी संख्या के कारण अस्पताल में अक्सर बेड की गंभीर कमी बनी रहती है। चिकित्सकों के अनुसार, मौसमी बीमारियों के दौरान तो स्थिति और भी विकट हो जाती है, जहां सामान्य वार्डों में एक बेड पर दो या तीन बच्चों को भी भर्ती करना पड़ता है। सरकार ने पिछले बजट में 100 बेड बढ़ाने की घोषणा। की थी, जिसे अब बढ़ाकर 500 बेड करने की तैयारी है। इस नए आइपीडी टावर के निर्माण से यह समस्या काफी हद तक समाप्त हो जाएगी, जिससे गंभीर मरीजों को भी समय पर बेड मिल सकेगा।
आधुनिक जांच और सहायक सुविधाओं का विकास
नए आइपीडी टावर में केवल बेड की संख्या ही नहीं बढ़ेगी, बल्कि कई अत्याधुनिक जांच और सहायक सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी। प्रस्ताव के अनुसार, टावर के एक फ्लोर पर ब्लड बैंक, लैब और एमआरआई (मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग) जैसी महत्वपूर्ण जांच सुविधाएं स्थापित की जाएंगी। वर्तमान में, एमआरआई जांच की सुविधा उपलब्ध न होने के कारण मरीजों को एसएमएस अस्पताल भेजना पड़ता है, जिससे समय और संसाधनों की बर्बादी होती है। इन नई सुविधाओं के साथ, जेके लोन अस्पताल बच्चों के इलाज के लिए एक पूर्णतः आत्मनिर्भर केंद्र बन जाएगा। प्रत्येक बेड पर ऑक्सीजन की सुविधा भी उपलब्ध होगी, जो। गंभीर रूप से बीमार बच्चों के लिए अत्यंत आवश्यक है।
मरीजों और परिवारों पर सकारात्मक प्रभाव
इस विस्तार का बच्चों और उनके परिवारों पर गहरा सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। एमआरआई जैसी विशेष जांचों के लिए अन्य अस्पतालों में रेफर करने की आवश्यकता कम होने से उपचार प्रक्रिया सुव्यवस्थित होगी, मरीजों का बोझ कम होगा और निदान तथा उपचार में तेजी आएगी और बढ़ी हुई बेड क्षमता का मतलब होगा कि गंभीर मरीजों को भर्ती होने में कम देरी होगी, जिससे समग्र रोगी परिणामों में सुधार होगा। यह पहल राजस्थान सहित विभिन्न राज्यों से आने वाले बच्चों। के लिए गुणवत्तापूर्ण बाल चिकित्सा देखभाल को अधिक सुलभ बनाएगी।
कांवटिया अस्पताल में ट्रोमा सेंटर का विकास
जेके लोन अस्पताल के इस महत्वपूर्ण विकास के साथ ही, जयपुर की स्वास्थ्य सेवा अवसंरचना को मजबूत करने के लिए एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है। कांवटिया अस्पताल में एक ट्रोमा सेंटर विकसित करने का खाका भी तैयार किया जा रहा है। यह पहल शहर में आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं को बेहतर बनाने की सरकार की व्यापक प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह दोहरी रणनीति विशेष बाल चिकित्सा देखभाल और सामान्य आपातकालीन प्रतिक्रिया दोनों को संबोधित करती है, जिससे एक अधिक मजबूत स्वास्थ्य सेवा पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण होगा।
आधिकारिक पुष्टि और भविष्य की उम्मीदें
एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. दीपक माहेश्वरी ने इन विकासों की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि जेके लोन अस्पताल के आइपीडी टावर के लिए फाइल भेज दी गई है और स्वीकृति मिलते ही काम शुरू कर दिया जाएगा और डॉ. माहेश्वरी ने आइपीडी टावर और ट्रोमा सेंटर दोनों की आवश्यकता पर जोर दिया और इन्हें अत्यंत उपयोगी सौगात बताया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि ये महत्वपूर्ण नई सुविधाएं संभवतः नए साल में जयपुर के निवासियों को मिल जाएंगी, जो शहर की स्वास्थ्य सेवा यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।