Parliament Session: संसद के बजट सत्र में सोमवार, 3 फरवरी को वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता में गठित इस समिति ने विधेयक पर अंतिम रिपोर्ट तैयार कर ली है। हालाँकि, विपक्षी सांसदों ने इस रिपोर्ट पर असहमति जताई है।
जेपीसी रिपोर्ट और विवाद
जेपीसी की रिपोर्ट को जगदंबिका पाल और भाजपा सांसद संजय जायसवाल लोकसभा में प्रस्तुत करेंगे। इस रिपोर्ट में हिंदी और अंग्रेजी संस्करणों के साथ समिति के समक्ष दिए गए साक्ष्यों के रिकॉर्ड भी होंगे। पाल ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात कर रिपोर्ट पेश करने की अनुमति प्राप्त की। उनका कहना है कि इस विधेयक में पहली बार एक खंड जोड़ा गया है, जिसमें यह सुनिश्चित किया गया है कि वक्फ की संपत्तियों और उनके लाभों का उपयोग हाशिए पर खड़े लोगों, गरीबों, महिलाओं और अनाथों के कल्याण के लिए किया जाए।
जेपीसी की बैठक में 44 खंडों में से 14 खंडों पर संशोधन प्रस्तावित किए गए थे, जिन पर मतदान कर बहुमत से निर्णय लिया गया। समिति ने इन संशोधनों को स्वीकार कर लिया और अंतिम रिपोर्ट को मंजूरी दे दी।
ओवैसी की नाराजगी
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने जेपीसी की रिपोर्ट पर आपत्ति जताई है। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी असहमति नोट के कुछ हिस्सों को बिना उनकी जानकारी के रिपोर्ट से हटा दिया गया। ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए लिखा, "मैंने जेपीसी को विस्तृत असहमति नोट दिया था, लेकिन उसमें से कुछ हिस्सों को हटा दिया गया। यह चौंकाने वाला है कि विवादास्पद न होते हुए भी तथ्यात्मक बिंदुओं को रिपोर्ट से निकाल दिया गया।" उन्होंने जेपीसी अध्यक्ष पर विपक्ष की आवाज दबाने का आरोप भी लगाया।
वक्फ अधिनियम की आलोचना और संशोधन की जरूरत
1995 में लागू हुए वक्फ अधिनियम को वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और विनियमन के लिए बनाया गया था। हालाँकि, पिछले कुछ दशकों में इस अधिनियम की आलोचना कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार और अतिक्रमण से संबंधित मामलों को लेकर होती रही है। वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 का उद्देश्य इन समस्याओं को दूर करने के लिए डिजिटलीकरण, सख्त ऑडिटिंग प्रणाली, पारदर्शिता बढ़ाने और अवैध रूप से कब्जे वाली संपत्तियों को पुनः प्राप्त करने जैसे सुधार लागू करना है।
विपक्ष का विरोध और आगे की राह
विपक्ष का मानना है कि यह विधेयक समुदाय विशेष की संपत्तियों को नियंत्रित करने का एक प्रयास है और इसके क्रियान्वयन में संतुलन की कमी है। कई सांसदों ने इसे लेकर सरकार से अधिक स्पष्टता और समावेशी संवाद की मांग की है।अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जब संसद में यह रिपोर्ट पेश की जाएगी, तो उस पर क्या प्रतिक्रिया आती है और क्या सरकार विपक्ष की आपत्तियों को दूर करने के लिए कोई कदम उठाती है।