Karnataka Congress / कर्नाटक कांग्रेस में एकता का प्रदर्शन: सिद्धारमैया और शिवकुमार ने मतभेद नकारे

कर्नाटक कांग्रेस के सीएम सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने मतभेद की खबरों को खारिज किया। दोनों नेताओं ने आलाकमान के फैसले का सम्मान करने और 2028 के विधानसभा चुनावों पर ध्यान केंद्रित करने की बात कही। उन्होंने विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव के दावों को भी खोखला बताया।

कर्नाटक कांग्रेस में चल रही सियासी खींचतान और नेतृत्व के संकट की अटकलों के बीच, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इन सभी खबरों को सिरे से खारिज कर दिया है और बेंगलुरु में मीडिया से मुखातिब होते हुए, दोनों नेताओं ने पार्टी में पूर्ण एकता और आलाकमान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। यह कदम ऐसे समय में आया है जब विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स और। विपक्षी दलों द्वारा कांग्रेस के भीतर दरार की बातें कही जा रही थीं।

मतभेद की खबरों का खंडन

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उनके और डीके शिवकुमार के बीच कोई मतभेद नहीं है और भविष्य में भी ऐसी कोई स्थिति उत्पन्न नहीं होगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि पार्टी का मुख्य एजेंडा 2028 के। विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को फिर से सत्ता में लाना है। सिद्धारमैया ने बताया कि उन्होंने स्थानीय निकाय चुनावों की रणनीति पर भी चर्चा की है, जो उनके लिए समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा, "हम दोनों मिलकर चुनाव लड़ेंगे। हमारे बीच कोई भ्रम नहीं है और ना आगे होगा और " यह बयान पार्टी कार्यकर्ताओं और जनता के बीच एकता का संदेश देने के लिए महत्वपूर्ण है।

आलाकमान के फैसले का सम्मान

दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि वे। पार्टी आलाकमान द्वारा लिए गए किसी भी फैसले का पालन करेंगे। सिद्धारमैया ने कहा, "हमने तय किया है कि आलाकमान जो भी कहेगा, हम उसे मानेंगे। कल से कोई भ्रम नहीं होगा। वह तो खैर अभी भी नहीं है। " यह बयान पार्टी के भीतर अनुशासन और केंद्रीय नेतृत्व के प्रति निष्ठा को दर्शाता है और डीके शिवकुमार ने भी इसी बात को दोहराते हुए कहा कि वे आलाकमान के निर्देशों का पूरी तरह से पालन करेंगे और कर्नाटक कांग्रेस में कोई गुटबाजी नहीं है। उन्होंने कहा कि वे अभी भी मिलकर काम कर रहे हैं और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के सभी बयानों का समर्थन करते हैं।

विपक्ष के दावों को खोखला बताया

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भाजपा और जेडीएस द्वारा लगाए जा रहे झूठे आरोपों और अविश्वास प्रस्ताव लाने की उनकी धमकियों को भी खारिज कर दिया और उन्होंने कहा कि भाजपा के पास केवल 60 विधायक हैं और जेडीएस के पास 18 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के पास 140 विधायक हैं। उन्होंने कहा, "वे हमारी संख्या की बराबरी नहीं कर पाएंगे और उनके दावे और कोशिश खोखले हैं। " यह बयान विपक्ष को यह स्पष्ट संदेश देता है कि कांग्रेस सरकार मजबूत। स्थिति में है और उसे किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम है। डीके शिवकुमार ने भी अविश्वास प्रस्ताव पर टिप्पणी करते हुए कहा, "BJP को करने दीजिए, हम विधानसभा और सरकार चलाने में सक्षम हैं। " यह आत्मविश्वास पार्टी की आंतरिक एकजुटता और सरकार की स्थिरता को दर्शाता है।

विधायकों के दिल्ली दौरे की वजह

कुछ विधायकों के दिल्ली में आलाकमान से मिलने जाने की खबरों पर सिद्धारमैया ने स्पष्टीकरण दिया। उन्होंने कहा कि जहां तक उन्हें जानकारी है, कुछ विधायक मंत्री बनना चाहते हैं, और शायद इसी कारण वे दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व से मिलने गए थे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि वे नेतृत्व के खिलाफ हैं। सिद्धारमैया ने बताया कि उनमें से कुछ विधायकों से उनकी बात हुई है और उन्होंने उन्हें अपने दिल्ली जाने का कारण बताया है। यह स्पष्टीकरण उन अटकलों को शांत करने का प्रयास है जो इन मुलाकातों को पार्टी के भीतर असंतोष से जोड़ रही थीं।

डीके शिवकुमार ने खुद को बताया 'वफादार सिपाही'

उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने खुद को कांग्रेस का "वफादार सिपाही" बताया और पार्टी के प्रति अपनी अटूट निष्ठा व्यक्त की और उन्होंने कहा, "आप सभी की मदद से हम कांग्रेस की सरकार लेकर आए और अपने वादे के अनुसार काम कर रहे हैं। कर्नाटक की जनता अपना पूरा सपोर्ट दे रही है। हमें उनकी उम्मीदों पर खरा उतरना है। हम लोग उसी दिशा में काम कर रहे हैं और " उन्होंने आगे कहा कि जहां तक नेतृत्व का सवाल है, वे पार्टी आलाकमान की बात मानेंगे। शिवकुमार ने इस बात पर भी जोर दिया कि पार्टी देश में कठिन दौर से गुजर रही है, लेकिन उन्हें विश्वास है कि कर्नाटक एक बड़ी भूमिका निभाएगा। उन्होंने 2028 में दोबारा सरकार बनाने और मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के नेतृत्व में 2029 में भी अच्छा प्रदर्शन करने का संकल्प व्यक्त किया। यह बयान पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और। कर्नाटक में कांग्रेस के भविष्य के लिए उनके दृष्टिकोण को दर्शाता है।