Reliance Share Prices: भारत सरकार के नए बजट ने मिडिल क्लास को इनकम टैक्स में बड़ी राहत देकर उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने का प्रयास किया है। इस बजट के तहत 12 लाख रुपए तक की आय पर प्रभावी रूप से टैक्स को शून्य कर दिया गया है। यह कदम न केवल मिडिल क्लास के लिए एक बड़ी राहत है, बल्कि इससे देश में खपत बढ़ने की भी उम्मीद है। इसका सीधा असर देश की सबसे बड़ी रिटेल कंपनी रिलायंस रिटेल और उसकी मूल कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज पर देखने को मिल सकता है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज, जो भारत की सबसे वैल्यूएबल कंपनी है, के शेयर की कीमत पिछले 6 महीनों में 13% तक गिर चुकी है। कंपनी के शेयर स्प्लिट के बाद से इसके शेयर प्राइस में लगातार गिरावट देखी गई है। हालांकि, बजट में मिडिल क्लास को मिली टैक्स राहत और सरकार के खपत बढ़ाने के फोकस के चलते रिलायंस के शेयर में 10% तक की बढ़त की संभावना जताई जा रही है।
बजट का मिडिल क्लास पर प्रभाव
सरकार ने बजट में मिडिल क्लास को टैक्स राहत देकर उनकी क्रय शक्ति को बढ़ाने का प्रयास किया है। 12 लाख रुपए तक की आय पर टैक्स को प्रभावी रूप से शून्य करने से मिडिल क्लास के पास अधिक डिस्पोजेबल इनकम होगी। इसका सीधा असर देश की खपत पर पड़ेगा, जिससे रिलायंस रिटेल जैसी कंपनियों की सेल्स में वृद्धि होने की उम्मीद है।
इसके अलावा, सरकार ने पावर सेक्टर पर भी फोकस बढ़ाया है। इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) और बैटरी सेगमेंट को सस्ता करने के प्रयासों से रिलायंस इंडस्ट्रीज को भी फायदा हो सकता है, क्योंकि कंपनी ने इन क्षेत्रों में भारी निवेश किया है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर में संभावित उछाल
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट धर्मेश शाह के अनुसार, आने वाले दिनों में रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर में 5 से 10% तक की बढ़त देखने को मिल सकती है। वर्तमान में रिलायंस का शेयर प्राइस 1250 रुपए के आसपास है। शाह का मानना है कि बजट में मिडिल क्लास को मिली राहत और सरकार के खपत बढ़ाने के फोकस से रिलायंस के साथ-साथ अन्य कंपनियों जैसे बजाज फाइनेंस, कोटक महिंद्रा बैंक, टाटा कंज्यूमर, इंफोसिस, यूबीएल, महिंद्रा एंड महिंद्रा, आयशर मोटर्स, टाइटन, हैवेल्स, एसबीआई कार्ड्स और इंडियन होटल्स (ताज ब्रांड) के शेयर में भी ग्रोथ पोटेंशियल है।
सरकार का डिमांड फैक्टर पर फोकस
अर्थव्यवस्था में दो मुख्य फैक्टर काम करते हैं – पहला, सरकार द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर और कैपेक्स पर खर्च, और दूसरा, देश में डिमांड को बढ़ाना। पिछले 10 सालों में सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर और कैपेक्स पर भारी निवेश किया है, जिसने कोविड महामारी के दौरान देश की ग्रोथ रेट को संभालने में मदद की। हालांकि, इस दौरान प्राइवेट सेक्टर का निवेश कम रहा है।
इस बार सरकार ने बजट में डिमांड फैक्टर पर फोकस किया है। मिडिल क्लास को टैक्स राहत देकर सरकार ने देश में खपत बढ़ाने का प्रयास किया है। भारत हमेशा से डिमांड रिच देश रहा है, जिसकी वजह से 2008 की मंदी और 2020 के कोविड संकट के दौरान भी भारतीय अर्थव्यवस्था ने अपनी मजबूती दिखाई। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस बार मिडिल क्लास को राहत देने का काम किया है।
निष्कर्ष
बजट में मिडिल क्लास को मिली टैक्स राहत न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगी, बल्कि इससे देश में खपत बढ़ने की भी उम्मीद है। इसका सीधा फायदा रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी कंपनियों को मिल सकता है, जिनके शेयर में आने वाले दिनों में उछाल की संभावना है। सरकार का डिमांड फैक्टर पर फोकस देश की अर्थव्यवस्था को गति देने में मददगार साबित हो सकता है।