INS Androth / नेवी को मिला 'समंदर का शिकारी', INS एंड्रोथ से कांप उठेगा दुश्मन; यहां जानें खासियत?

भारतीय नौसेना का दूसरा पनडुब्बी रोधी उथले पानी का युद्धक जहाज आईएनएस एंड्रोथ आज नौसेना को सौंपा गया। लक्षद्वीप के एंड्रोथ द्वीप से प्रेरित नाम वाला यह स्वदेशी युद्धपोत अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर से लैस है। इसकी कमीशनिंग भारत की तटीय सुरक्षा और आत्मनिर्भर नौसैनिक शक्ति को मजबूत करेगी।

INS Androth: आज भारतीय नौसेना ने अपने दूसरे पनडुब्बी रोधी उथले पानी के युद्धक जहाज (एएसडब्ल्यू-एसडब्ल्यूसी) आईएनएस एंड्रोथ को अपने बेड़े में शामिल किया। यह युद्धपोत भारत की समुद्री ताकत और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। विशाखापत्तनम में नौसेना डॉकयार्ड में आयोजित एक समारोह में फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, पूर्वी नौसेना कमान (ईएनसी), वाइस एडमिरल राजेश पेंढारकर ने इसकी कमीशनिंग की अध्यक्षता की। यह जहाज न केवल भारत की तटीय सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि पानी के नीचे के खतरों से निपटने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

क्यों रखा गया एंड्रोथ नाम?

आईएनएस एंड्रोथ का नाम केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप के एंड्रोथ द्वीप के नाम पर रखा गया है। यह द्वीप ऐतिहासिक रूप से भारत के पश्चिमी समुद्री तट के संरक्षक के रूप में जाना जाता है। एंड्रोथ द्वीप महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों की निगरानी करता है, जो मध्य पूर्व और अफ्रीका से भारत के तट तक ऊर्जा आयात और वाणिज्यिक व्यापार के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह द्वीप तस्करी, समुद्री डकैती और घुसपैठ जैसे खतरों से भी देश की रक्षा करता है। जहाज का नाम एंड्रोथ द्वीप के प्रहरी की भूमिका को दर्शाता है, जो भारत के समुद्री हितों की रक्षा के लिए तैनात इस युद्धपोत के उद्देश्य को प्रतीकात्मक रूप से जोड़ता है।

आईएनएस एंड्रोथ की खासियत

गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) लिमिटेड, कोलकाता द्वारा स्वदेशी रूप से निर्मित, आईएनएस एंड्रोथ आत्मनिर्भर भारत का एक शानदार उदाहरण है। इस युद्धपोत की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

  • स्वदेशी निर्माण: 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ निर्मित, यह 77 मीटर लंबा और लगभग 1500 टन वजन वाला जहाज भारत के जहाज निर्माण उद्योग की परिपक्वता को दर्शाता है।

  • अत्याधुनिक तकनीक: यह युद्धपोत उन्नत सेंसर, हथियार और प्रणोदन प्रणाली से लैस है, जो विशेष रूप से तटीय और उथले जल में पनडुब्बी रोधी युद्ध के लिए डिजाइन किए गए हैं।

  • पनडुब्बी रोधी क्षमता: उन्नत पतवार पर लगे सोनार, परिवर्तनीय गहराई वाले सोनार, टॉरपीडो, माइन और नजदीकी एएसडब्ल्यू हथियारों से लैस यह जहाज दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगाने और उन्हें निष्क्रिय करने में सक्षम है।

  • तटीय युद्धक्षेत्र में प्रभावी: पारंपरिक बड़े युद्धपोतों की तुलना में यह उथले जल में अधिक प्रभावी है, जिससे यह तटीय क्षेत्रों में भारत की रक्षा क्षमता को बढ़ाता है।

समंदर का शिकारी

आईएनएस एंड्रोथ को एएसडब्ल्यू-एसडब्ल्यूसी वर्ग के तहत डिजाइन किया गया है, जो विशेष रूप से उथले और तटीय जल में संचालन के लिए बनाया गया है। यह जहाज नौसेना के स्तरित पनडुब्बी रोधी युद्ध ग्रिड का हिस्सा है, जो बड़े विध्वंसक, फ्रिगेट और समुद्री गश्ती विमानों का पूरक है। यह युद्धपोत दुश्मन की पनडुब्बियों के लिए एक मजबूत प्रतिरोध पैदा करता है और भारत के समुद्री क्षेत्र में प्रभुत्व स्थापित करने में मदद करता है।

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम

आईएनएस एंड्रोथ का भारतीय नौसेना में शामिल होना केवल एक नए युद्धपोत का आगमन नहीं है, बल्कि यह भारत की बढ़ती समुद्री शक्ति और आत्मनिर्भरता की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। हाल ही में शामिल किए गए अन्य जहाजों जैसे अर्नाला, निस्तार, उदयगिरि, और नीलगिरि के साथ, आईएनएस एंड्रोथ भारतीय नौसेना के स्वदेशी डिजाइन और निर्माण के माध्यम से अपने परिचालन क्षेत्र को मजबूत करने के प्रयासों को दर्शाता है। यह युद्धपोत तकनीकी और सामरिक चमत्कार का प्रतीक है, जो भारत के राष्ट्रीय गौरव और रणनीतिक समुद्री संकल्प को उजागर करता है।