प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया जॉर्डन यात्रा ने भारत और अरब देश जॉर्डन के बीच राजनयिक संबंधों के 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया है। यह यात्रा 15 और 16 दिसंबर को हुई, जो 37 साल बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री का जॉर्डन दौरा था। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय साझेदारी को मजबूत करना, ऊर्जा सुरक्षा में सहयोग बढ़ाना, साझा विकास को बढ़ावा देना और क्षेत्रीय शांति व समृद्धि में योगदान देना था।
ऐतिहासिक यात्रा और गर्मजोशी भरा स्वागत
प्रधानमंत्री मोदी का जॉर्डन दौरा 37 वर्षों के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा थी, जिसने इसे और भी ऐतिहासिक बना दिया और 15 दिसंबर को, जब पीएम मोदी अल हुसैनीया पैलेस पहुंचे, तो जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला द्वितीय ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया और औपचारिक तौर पर उनका अभिनंदन किया। यह स्वागत दोनों देशों के बीच गहरे सम्मान और मैत्रीपूर्ण संबंधों का प्रतीक था। दोनों नेताओं ने सीमित और प्रतिनिधिमंडल स्तर के प्रारूप में मुलाकात की, अपनी पिछली मुलाकातों और बातचीत को याद किया, और इस बात पर जोर दिया कि यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब दोनों देश अपने राजनयिक संबंधों की स्थापना के 75 साल मना रहे हैं। प्रधानमंत्री ने भारत-जॉर्डन संबंधों को मज़बूत करने के प्रति महामहिम किंग अब्दुल्ला की प्रतिबद्धता की सराहना की।
ऊर्जा सुरक्षा और स्वच्छ विकास में साझेदारी
पीएम मोदी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि इस मुलाकात के परिणामस्वरूप भारत-जॉर्डन साझेदारी का एक महत्वपूर्ण विस्तार हुआ है। नई और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग क्लीन ग्रोथ, ऊर्जा सुरक्षा और जलवायु जिम्मेदारी के प्रति उनकी साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह साझेदारी न केवल दोनों देशों की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करेगी,। बल्कि वैश्विक स्तर पर स्थायी ऊर्जा समाधानों को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर ध्यान केंद्रित करने से जीवाश्म ईंधन पर। निर्भरता कम होगी और पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को बल मिलेगा।
जल संसाधन प्रबंधन में सहयोग
जल संसाधन प्रबंधन और विकास में सहयोग भी इस यात्रा का एक प्रमुख बिंदु रहा और पीएम मोदी ने कहा कि इस सहयोग से दोनों देशों को संरक्षण, कौशल और प्रौद्योगिकी में बेहतरीन तरीकों को साझा करने में मदद मिलेगी, जिससे लंबे समय तक पानी की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। जॉर्डन जैसे शुष्क क्षेत्र वाले देश के लिए जल सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है, और भारत के पास जल प्रबंधन में कई नवीन समाधान और अनुभव हैं जिन्हें साझा किया जा सकता है और यह सहयोग जल संरक्षण तकनीकों, कुशल सिंचाई प्रणालियों और जल पुनर्चक्रण परियोजनाओं में आदान-प्रदान को बढ़ावा देगा।
विरासत संरक्षण और पर्यटन को बढ़ावा
पर्यटन और विरासत संरक्षण के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण प्रगति हुई है और पेट्रा और एलोरा के बीच ट्विनिंग एग्रीमेंट विरासत संरक्षण, पर्यटन और एकेडमिक आदान-प्रदान के लिए नए रास्ते खोलेगा। पेट्रा जॉर्डन का एक विश्व प्रसिद्ध पुरातात्विक स्थल है, जबकि एलोरा भारत में एक महत्वपूर्ण विरासत स्थल है। इस समझौते से दोनों स्थलों के संरक्षण, प्रबंधन और प्रचार में सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान होगा, जिससे दोनों देशों में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और सांस्कृतिक समझ गहरी होगी। यह समझौता छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए भी नए अवसर पैदा करेगा।
सांस्कृतिक आदान-प्रदान और डिजिटल नवाचार
सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम (2025-2029) के नवीनीकरण से लोगों के बीच संबंध और गहरे होंगे। यह कार्यक्रम कला, संगीत, नृत्य, साहित्य और शिक्षा के क्षेत्रों में आदान-प्रदान को बढ़ावा देगा, जिससे दोनों देशों के नागरिकों को एक-दूसरे की संस्कृतियों को बेहतर ढंग से समझने का अवसर मिलेगा। इसके अतिरिक्त, भारत के डिजिटल इनोवेशन को साझा करने से जॉर्डन के डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन को सपोर्ट मिलेगा और समावेशी शासन को बढ़ावा मिलेगा। भारत ने डिजिटल इंडिया पहल के तहत कई सफल डिजिटल समाधान विकसित किए हैं, जिन्हें जॉर्डन अपने। नागरिकों के लिए सेवाओं को बेहतर बनाने और शासन को अधिक पारदर्शी बनाने के लिए अपना सकता है।
आतंकवाद के खिलाफ साझा लड़ाई
दोनों नेताओं ने आतंकवाद के मुद्दे पर भी गहन चर्चा की और किंग अब्दुल्ला ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई के लिए मज़बूत समर्थन जाहिर किया है और आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की कड़ी निंदा की। प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद, उग्रवाद और कट्टरपंथ से निपटने और इन बुराइयों के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में योगदान देने के लिए किंग अब्दुल्ला के नेतृत्व की सराहना की है। यह साझा प्रतिबद्धता क्षेत्रीय और वैश्विक शांति व सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि दोनों देश इस वैश्विक खतरे से निपटने के लिए मिलकर काम करने को तैयार हैं। यह दर्शाता है कि दोनों देश न केवल आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में, बल्कि सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में भी एक-दूसरे के साथ खड़े हैं।
कुल मिलाकर, प्रधानमंत्री मोदी की जॉर्डन यात्रा ने दोनों देशों के बीच संबंधों को एक नई ऊंचाई दी है। यह यात्रा न केवल द्विपक्षीय सहयोग के नए रास्ते खोलेगी, बल्कि साझा मूल्यों और हितों पर आधारित एक मजबूत और स्थायी साझेदारी की नींव भी रखेगी।