World News / प्रिगोजिन की रूस से लेकर अफ्रीका-सीरिया तक फैली है अकूत संपत्ति, अब किसका होगा कब्जा?

Zoom News : Aug 27, 2023, 09:24 AM
World News: वैगनर चीफ प्रिगोजन की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. सबसे अहम सवाल ये है कि प्रिगोजिन की अकूत संपत्ति अब किसकी होगी? ये सवाल इसलिए कि, प्रिगोजिन के पास करीब 21 हजार करोड़ की संपत्ति है. प्रिगोजिन की मौत के बाद इस संपत्ति का वारिस कौन होगा? इस सवाल का जवाब लोग जानना चाहते हैं. क्या प्रिगोजिन के परिवार के बीच वैगनर चीफ के साम्राज्य का बंटवारा होगा? या फिर प्रिगोजिन से प्रतिस्पर्धा रखने वाले कारोबारी उस पर कब्जा करेंगे?

पुतिन के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद करने के बाद जब वैगनर्स का जोश ठंडा हो गया तो जुलाई में रूस में वैगनर चीफ येवगेनी प्रिगोजिन के ठिकाने पर रूसी सुरक्षा बलों ने छापा मारा. सुरक्षा बलों ने प्रिगोजिन के इस ठिकाने पर एक-एक कोने की तलाशी ली. इस छापेमारी के दौरान जब वैगनर चीफ के ऑफिस की तलाशी ली गई तो उसकी भव्य हवेली में बंदूकों, गोला-बारूद के साथ-साथ भारी मात्रा में नोटों की गड्डियां और सोने की ईंटें भी मिलीं थीं. रूस के सरकारी चैनल के हवाले से बताया गया था कि छापे के दौरान वैगनर प्रमुख की संपत्तियों में 600 मिलियन रूबल की नकदी मिली थी. इसके अलावा प्रिगोजिन के अलग-अलग नाम से कई पासपोर्ट भी मिले थे.

अब आप प्रिगोजिन की दौलत के बारे में भी जान लीजिए

प्रिगोजिन की कुल निजी संपत्ति 2 बिलियन पाउंड, यानी भारतीय रुपये में करीब 21 हजार करोड़ है. प्रिगोजिन ने यॉट से लेकर प्राइवेट प्लेन तक रखा था. प्रिगोजिन के पास 7.5 मिलियन पाउंड का एक आलीशान महल है. कई महंगी गाड़ियों के अलावा बेशकीमती 1975 लिंकन कॉन्टिनेंटल कार भी है. तेल, गैस, हीरे और सोने का बड़ा कारोबार भी है. फरवरी में एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि प्रिगोजिन ने पिछले चार वर्षों में सूडान, सीरिया और अन्य देशों में तेल, गैस, हीरे और सोने के उत्पादन से 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की कमाई की है.

दावा किया जाता है कि प्रिगोजिन का वैगनर ग्रुप उन देशों से हीरे, सोना, तेल और गैस लूटता था, जहां वो काम करता था. साथ ही सरकारों की तरफ से उसे सीधे भुगतान भी किया जाता रहा. दावा तो यहां तक किया जाता है कि प्रिगोजिन संदिग्ध सरकारी कॉन्ट्रैक्ट और प्राकृतिक संसाधनों से भी पैसा बनाता था. रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रिगोजिन का कारोबार और उसकी गतिविधियां अफ्रीका के कम से कम 10 देशों में फैली हुई हैं, जहां वो सुरक्षा और हथियारों की ट्रेनिंग से लेकर खनन और अन्य व्यावसायिक कामों में लगा था.

अफ्रीकी देशों में सोने के खदान पर थी प्रिगोजिन की नजर

सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक में वैगनर की मौजूदगी की खबर पहली बार दुनिया के सामने साल 2018 में आई थी. तब प्रिगोजिन के एक नए तिलिस्म का खुलासा हुआ था. इस खुलासे के बाद लोगों को समझ में आया कि सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक में वैगनर ग्रुप के लड़ाके जंग इसलिए लड़ रहे हैं, ताकि प्रिगोजिन वहां की हीरा और सोने की खदानों पर कब्ज़ा कर सकें.

वैगनर ग्रुप का अफ्रीकी महाद्वीप में ये खेल सिर्फ एक देश में सीमित नहीं है. इस धंधे की शुरुआत सूडान से हुई. साल 2017 में गृह युद्ध में झुलस रहे सूडान में रूस की सेना पहुंची. सूडान में विद्रोहियों से निपटने का काम प्रिगोजिन को दिया गया था. यहां भी वैनगर ग्रुप की नज़र सूडान के सोने की खदानों और तेल के कुओं पर थी. तब से प्रिगोजिन की कंपनी एम इन्वेस्ट सूडान में सोने के खनन का काम कर रही है.

सीरिया में तेल के कुओं से प्रिगोजिन की मोटी कमाई

सूडान की तरह सीरिया की सरकार ने भी प्रिगोजिन की कंपनी को तेल के कुओं का ठेका दिया था. इसके बदले में सीरिया की सरकार ने विद्रोही गुटों के कब्ज़े से तेल के कुएं छुड़ाने पर 25 फीसदी हिस्सा प्रिगोजिन की कंपनी को देने का वादा किया था. एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रिगोजिन की अगुवाई में काम करने वाले वैगनर ग्रुप को सिर्फ सोने की खदान से हर साल 2,378 करोड़ रुपए की कमाई होती थी.

टिम्बर कारोबार में सालाना 44 करोड़ की कमाई थी. इसके अलावा बीवरेज के कारोबार से भी प्रिगोजिन बड़ी कमाई करता था. बड़ा सवाल है कि प्रिगोजिन के इस साम्राज्य का अब क्या होगा? क्या प्रिगोजिन के प्रतिद्वंद्वी उस पर कब्जा करेंगे? या वैगनर ग्रुप के अंदर ही उस पर कब्जे के लिए आपसी जंग शुरू हो जाएगी?

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