देश / प्रकाश जावड़ेकर का किसानों को लेकर बड़ा बयान- इस वर्ष बाजार में अधिक धान बेचा

Zoom News : Nov 30, 2020, 09:58 PM
नई दिल्ली | केंद्र सरकार के कृषि कानूनों का किसानों की ओर से लगातार विरोध किया जा रहा है। इन कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर हजारों की संख्या में किसान मौजूद हैं और दिल्ली में प्रवेश करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इस बीच, केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सोमवार को कहा कि पंजाब के किसानों ने इस वर्ष बाजार में अधिक धान बेचा और पिछले वर्ष की तुलना में ऊंचे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर यह बिक्री की। साथ ही किसानों से अपील की कि वे नए कृषि कानूनों को लेकर 'भ्रमित' नहीं हों।

पर्यावरण मंत्री जावड़ेकर ने ट्वीट कर कहा, ''कृषि कानूनों को लेकर भ्रमित नहीं हों। पिछले साल की तुलना में पंजाब के किसानों ने इस साल बाजार में धान ऊंचे एमएसपी पर बेचा। एमएसपी जारी है और मंडी भी जारी है तथा सरकारी खरीद भी हो रही है।'' नए कृषि कानूनों के विरोध में पिछले पांच दिनों से हजारों किसानों का विरोध-प्रदर्शन जारी है।

किसानों से गिला-शिकवा नहीं 

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि किसानों से कोई गिला-शिकवा नहीं है। किसान हमारे हैं। किसानों को आंदोलन के लिए उकसाया गया है। कृषि कानून पर भ्रम फैलाया गया है। किसान कानून से एमएसपी को बंद नहीं किया गया है और न ही किसानों से खरीद को बंद किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में यह भ्रम फैलाया गया है।

प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि पंजाब की मंडियों में इस साल ज्यादा खरीद हुई है। किसानों की मंडिया जीवित रहेंगी। जो राज्य सरकार कहती हैं कि वो केंद्र का कानून लागू नहीं करेंगी, वो ऐसा कर ही नहीं सकती है। राज्य सरकार कानून को नहीं बदल सकती है। किसानों से वार्ता के लिए दरवाजे खुले हैं। किसानों से हर मुद्दे पर चर्चा होगी।

शाह ने सशर्त वार्ता का प्रस्ताव दिया

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किसान संगठनों से बुराड़ी मैदान पहुंचने की अपील की थी और कहा था कि वहां पहुंचते ही केंद्रीय मंत्रियों का एक उच्चस्तरीय दल उनसे बातचीत करेगा। किसानों के 30 से अधिक संगठनों की रविवार को हुई बैठक में किसानों के बुराड़ी मैदान पहुंचने पर तीन दिसंबर की तय तारीख से पहले वार्ता की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की पेशकश पर बातचीत की गई, लेकिन हजारों प्रदर्शनकारियों ने इस प्रस्ताव को स्वीकारने से मना कर दिया और सर्दी में एक और रात सिंघू तथा टीकरी बार्डरों पर डटे रहने की बात कही।

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